Principles of Photography
किसी भी कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से पूर्ण करने के लिए उसका एक सिद्धान्त होता है, जिसको समझ कर संबधित कार्य को पूर्ण किया जा सकता है। ठीक ऐसे ही फोटोग्राफी जगत में फोटोग्राफी का सिद्धांत(Principles of Photography)) है जिसको प्रयोग में लाकर कोई भी व्यक्ति एक अच्छा फोटोग्राफर बन सकता है।
वास्तव में कहा जाए तो फोटोग्राफी का सिद्धान्त किसी image की संरचना को एक आयाम देने की कोशिश करता है। अगर कोई व्यक्ति एक अच्छा फोटोग्राफर बनना चाहता है तो उसे इस सिद्धान्त को अवश्य ही समझ लेना चाहिए।
एक बेहतर छवि (image) प्राप्त करने के लिए फोटोग्राफी में सिद्धान्त और तत्व एक साथ मिलकर बेहतर और अधिक रोचक चित्र बनाने का रास्ता खोलते हैं।
फोटोग्राफी के 7 सिद्धान्त (Principles of Photography)
- Pattern(पैटर्न)
- Balance(संतुलन)
- Negative space(नकारात्मक स्थान)
- Grouping(समूहन)
- Closer(समापन)
- Colour(रंग) and
- light/shadow(प्रकाश/छाया)
1. पैटर्न(नमूना):-
नमूना वह ढांचा होता है जो नियमितता/एकरूपता(Regularity) के विवेक का प्रयोग करके एक दृश्य दुनिया( Visual World) का आभास कराता है। एक नमूने का निर्माण करने के लिए डिज़ाइन(Design) के तत्वों को अनुमानित रूप में एक साथ रखा जा सकता है। ऐसा करने से उस विषय की छवि को आसानी से समझा जा सकता है और इसी के साथ उसके विभिन्न फोटोग्राफिक तकीनकों का भी पता लगाया जा सकता है।
जिसके चलते दर्शकों को शांत प्रभाव देकर उनका ध्यान इस तरफ आकर्षित किया जा सकता है। ऐसे में नमूनों का प्रयोग,दृश्यों के मध्य एक तालमेल बिठा कर अच्छी जानकारी साझा की जा सकती है।(Principles of Photography)

2. संतुलन:-
संतुलन रचना(Composition) को सौंदर्यपूर्ण/सुंदरता से भरा हुआ( Aesthetic) बनाता है। इसका उपयोग मुख्यतः दृश्य के महत्वता और उसके गंभीरता को दिखाने के लिए किया जाता है जिसके अंतर्गत उसमें, या तो एकजुटता या विभाजन देखा जा सकता है।
संतुलित चित्र जहाँ image के स्थिरता पर जोर देता है तो वहीं असंतुलित image दर्शकों के मन मे असंतुलन या अनबन का बीज बोता है जिससे उनके मन मे उसे लेकर उथल-पुथल होने लगता है। संतुलन में सममित संतुलन और विषम संतुलन शामिल हैं।
सममित संतुलन( SYMMETRICAL BALANCE):-
सममित संतुलन तब होता है जब आपके पास धुरी के केंद्रीय बिंदु के साथ एक डिज़ाइन के दो समान पक्ष होते हैं।

विषम संतुलन( ASYMMERTICAL BALANCE) विषम संतुलन तब होता है जब आपके पास किसी डिज़ाइन के दोनों ओर अलग-अलग दृश्य चित्र होते हैं, और फिर भी छवि अभी भी संतुलित लगती है।

3. नकारात्मक स्थान( Negative Space):-
नकारात्मक स्थान का संबंध उस स्थान से है जो विषय के पीछे होता है और जिसका कोई विशेष महत्व(Emphasis) नहीं होता है। ऐसे में फ़ोटो लेते हुए एक तत्व या एक दिशा में ध्यान केंद्रित किए बिना, मृत स्थान या नकारात्मक स्थान दर्शकों के ध्यान को भंग कर देता है।
ऐसे में फ्रेम कंपोजीशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आपको पहले ही सुनिश्चित करना होगा कि फ्रेम में ज्यादा चीजे समाहित न हो। जिससे फ़ोटो के मुख्य विषय से ध्यान के उथल-पुथल होने का खतरा उत्पन्न हो। इसके साथ-साथ यह भी पहले से सोच लें कि दृश्य के अनुरूप कौन सा एंगल सबसे ज्यादा पर्फेक्ट होगा। आप पूरी तरह से यह प्रयास करें कि बिजली के वायर के जैसी अन्य फालतू की वस्तुएं फ़ोटो के समय कैद न हों। (Principles of Photography)

ऐसे में यह भी ध्यान रखें कि कोई वस्तु आपके फ्रेम की सुंदरता को खराब तो नहीं कर रही इसी के साथ यह भी गौर करें कि कौन सी वस्तु आपके फ़ोटो में और अच्छे से निखार ला सकती है। आमतौर पर बैकग्राउंड को सुंदर दिखाने के लिए फूल, लकड़ी का टैक्सचर और किताबों के लाइब्रेरी का प्रयोग ज्यादा देखने को मिलता है।
4. समूहन(Grouping):-
समूहीकरण चित्र की दिशा को एक सह-रैखिक(Co-linear) या रेखा(line) बनाता है। इसके अन्तर्गत आकृतियों और रेखाओं को एक ही तत्व के रूप में माना जाता है। मानव दिमाग को चित्रों को समझकर, वस्तुओं को एक साथ समूहित करना अच्छा लगता है। ऐसे में कोई भी डिज़ाइन के तत्वों का पालन करके एक चित्र को समूहित कर सकता है या फिर इसके पृष्ठ भूमि में बहुत अधिक आइटम होने पर इसका कल्पना मात्र(Abstract) बनने की अधिक संभावना बन जाती है।

5. रंग(Colour):-
रंगों का महत्व किसी भी तस्वीर में बहुत अधिक होता है और यह एक संतोषप्रद तत्व बनाने से कहीं ज्यादा होता है। यह दर्शक को अपनी तरफ आकर्षित करने और विषय के फ्रेम पर ध्यान केंद्रित करने को कहता है। रंगों में देखा जाए तो विपरीत रंग दर्शकों को अपनी तरफ ज्यादा खींचते हैं क्योंकि वे एक दूसरे में मिश्रित न होने के साथ दो विषयों के बीच एक दीवार बनाते हैं, जिसके कारण दर्शक उस वस्तु को लंबे समय तक देखता रहता है।

कूल टोंड चित्र एक डार्क या रहस्यमयी चित्र बना सकती है जबकि एक वार्म रंग एक हल्का और हैप्पी मोड बनाता है।

6. समापन(closing):-
फोटोग्राफर द्वारा कहानी को समाप्त करते हुए सूचनात्मक तरीके से भूले हुए रिक्त स्थान को भर देना चाहिए ताकि छवि अधूरी न दिखे। इसके असंतुलित होने पर फ़ोटो में गड़बड़ी(Chaos) की आशंका बढ़ जाती है। जो की एक अच्छा संकेत नहीं है।
7. प्रकाश एवं छाया (Light And Shadow):-
फोटोग्राफी (Principles of Photography)में प्रकाश और छाया एक प्रमुख भूमिका अदा करते हैं। जब प्रकाश की अनुपस्थिति होती है, तो इसे आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है पर छाया एक सीमा तक ही आँख की मदद कर सकती है। छाया का उपयोग जहाँ नाटक के शुरुआत में संकेत में रूप में किया जाता है तो वहीं नाटक के दौरान प्रकाश पर जोर दिया जाता है। वास्तव में, प्रकाश और छाया दोनों के होने पर संतुलन बनाता है।

ऐसे में अच्छी फ़ोटो का रहस्य रोशनी में छिपा होता है। जहाँ बहुत तेज रोशनी जैसे तेज धूप, पोर्ट्रेट के लिए सही नहीं होता है। जबकि, वहीं मद्धम रोशनी लैंडस्केप के लिए अच्छा नही है। अगर आप किसी की फ़ोटो खींच रहे हैं तो उसका फेस रोशनी की तरफ होना चाहिए। पर यह ध्यान रखना चहिए की जहाँ तक संभव हो सके उसके फेस पर सीधी रोशनी न पड़े।
वहीं अगर आप खुले स्थान पर सूरज के रोशनी में फ़ोटो ले रहे हैं तब उस समय सूरज आपके पीठ(Back) की तरफ होना चाहिए। इसके साथ दिन का वह वक़्त चुने जब रोशनी न तो तेज हो और न ही बहुत कम।
रूल ऑफ थर्ड
रूल ऑफ थर्ड से अभिप्राय ऐसे रेखाओं से है जिसे लंबवत तथा समानांतर रेखाओं की मदद से तीन हिस्सों में बात दिया जाता है। इस रूल के अन्तर्गत मुख्य तत्व को वहाँ रखा जाता है जहाँ वे रेखाएं एक दूसरे को काट रही हैं। इसमें यह भी ध्यान देने को कहा जाता है की एक अकेले पात्र या ऑब्जेक्ट को केंद्र में नहीं रखा जाना चाहिए। केंद्र के दाएं व बाए हिस्सो में पात्र को देखना अच्छा लगता है। इसपर आप अमल करते हैं या नहीं ये आप पर निर्भर करता है। (Principles of Photography)
“रूल ऑफ थर्ड” पर विस्तार से को विस्तार से जानिये……
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