vekayya

राष्ट्रीय ध्वज किसी भी देश की आन, बान, सान होता है। इसके लिए लोग अपनी जान की बाजी लगाने में भी अपना स्वाभिमान मानते है। इसको सामने देखते है तो मन गदगद हो जाता है और याद आता है कि आखिर, कैसे भारत के वीर सपूतों ने अपने देश के झंडे की शान को बनाये रखने के लिए हँसते-हँसते सीने पर गोलियां खा ली और ममता के आंचल के सम्मान के लिए, अपने जान की आहुति स्वत्रंत्रता रूपी अग्नि में डाल दी। जिसके चलते आज हमारा तिरंगा(MADE BY PINGALI VENKAYYA) सम्मान से लहरा कर बीर सपूतों की कहानी सुना रहा है।

vekayya

हम आपको बता दें कि पिंगली वेंकैया(PINGALI VENKAYYA) वह व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के तिरंगे को बनाया और जिसको देखकर आज भी हमारा मन गदगद हो जाता है।

ये भी पढ़े…..भारत के आज़ादी के 75 वर्ष (AMRIT MAHOTSAV) और 100 वर्ष

पिंगली वेंकैया(PINGALI VENKAYYA) का जन्म 2 अगस्त,1876 को वर्तमान में, आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टम के निकट भातलापेंनुमारु नामक स्थल पर हुआ था। इनके पिता का नाम हनुमंतरायदु था और माता का नाम काल्पवती था और ये तेलगु ब्राम्हण कुल नियोगी से संबंधित थे।

मछलीपट्टम से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद वो अपने वरिष्ठ स्नातक को पूरा करने के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए। वहाँ से लौटने पर उन्होंने रेलवे गार्ड के रूप में और फिर एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया और बाद में वे एंग्लो वैदिक में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने के लिए लाहौर चले गए।

ये भी पढ़ें…..विकासशीलता के दौर में, तरक्की की बाट जोहता बटाईदार (अधिया) किसान

वेंकैया(PINGALI VENKAYYA) कई विषयों के ज्ञाता थे, उनको भू-विज्ञान और कृषि विज्ञान क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही लगाव था। वे हीरो के खदानों के विशेषज्ञ भी थे।

वेंकैया ने 19 साल की उम्र में ‘ब्रिटिश आर्मी’ से जुड़ गए थे और अफ्रीका में एंग्लो-बोअर जंग में भाग लिया था और यहीं पर वे गांधी जी से मिले थे, जिसके बाद वे गांधी जी के समर्थक हो गए थे।

pingali

राष्ट्रीय ध्वज का रचना का विचार कैसे आया पिंगली वेंकैया(PINGALI VENKAYYA) के मन में

पिंगली वेंकैया वर्ष 1916 में एक राष्ट्रीय ध्वज के बारे में सोच रहे थे क्योंकि बिना एक झंडे के नीचे आये लोगों में एकरूपता का अभाव रहता। इन्हीं सभी बातों में एक बात यह मुख्य थी कि सभी भारतवासियों को एक धागे में कैसे पिरोया जाए। बस तभी उन्होंने अपने इस विचार को बोमान जी और उमर सोमानी जी के पास रखा और जिनका साथ मिलने से “नेशनल फ्लैग मिशन” की स्थापना हो पाई। ऐसा नहीं है कि ध्वज बनाने में केवल एक ही हाथ था बल्कि यह याद रखें कि पिंगली वैंकेया गांधी जी के विचारों से बहुत प्रेरित थे, ऐसे में राष्ट्रीय ध्वज के संदर्भ में उनसे सलाह लेना तो स्वाभाविक ही था। गांधी जी ने ही उन्हें ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी। पर उस समय वेंकैया ने जो ध्वज तैयार किया था वह गांधी जी को भारत प्रतिनिधित्व करने वाला नहीं लगा, आपको बता दे कि उस समय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर बहुत गरमा गर्मी थी इसलिए उसे वहीं रोक दिया।

ये भी पढ़ें…फोटोग्राफी का सिद्धांत

इसके बाद वेंकैया ने 1916 से 1921 तक लगभग 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का अध्ययन किया तथा उसके बाद तिरंगे का निर्माण किया। इस समय ये 45 वर्ष के हो चुके थे।

लंबा समय क्यो लगा पिंगली वेंकैया को राष्ट्रीय ध्वज बनाने में?

पिंगली वेंकैया ने लगभग 30 से अधिक देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का अध्ययन लंबे समय तक किया। असल में, इसके पीछे, वे देश की एकता और अखंडता को दर्शाना चाहते थे, जिसमें हर धर्म का रंग हो। वे पहले की तरह गलती नही करना चाहते थे, कहने का तात्पर्य उन्हें गाँधी जी द्वारा कहे गए ऐसे ध्वज का निर्माण करना था जो, एक रूपता को दर्शाता हो और सबको बराबर समझता हो और हमने पहले ही बता दिया है कि ध्वज को लेकर पहले बहुत गर्मा-गर्मी रहती थी। ऐसे में वेंकैया ने समय लेकर जो 1921 में झंडा बनाया वो इन सबको पूरा करता था।

ये भी पढ़ें…….श्रीनिवासन रामानुजन ने सपने में देख लिया था ब्लैक होल!बना दिया था फॉर्मूला

शुरुआत में तिरंगे के अंदर तीन रंग का इस्तेमाल किया जाता था, जिसमें लाल रंग हिंदुओं के लिए, हरा रंग मुसलमानों के लिए और सफ़ेद रंग अन्य धर्मों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। चरखे को प्रगति का प्रतीक मानकर उसे झंडे में जगह दी गयी थी। 1931 में जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसके तहत लाल रंग को हटाकर केसरिया रंग का इस्तेमाल किया जाने लगा।

ऐसे बना वर्तमान तिरंगा

1942 के अगस्त आंदोलन से अंग्रेज़ो को भनक लग चुकी थी कि अब, भारत मे उनका शासन लंबे समय तक नहीं चलने वाला है और 1947 आते आते यह सत्य भी हो गया। उन्हें भारतवासियों ने भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। पर आज़ादी की घोषणा के साथ ही, यानी 15 अगस्त से पहले फिर कांग्रेस के सामने यह प्रश्न आ खड़ा हुआ कि अब राष्ट्रीय ध्वज का क्या रूप होगा। जिसके लिए डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी का निर्माण हुआ और 14 अगस्त को इस कमेटी ने अखिल भारतीय कांग्रेस के ध्वज को ही राष्ट्रीय ध्वज के रूप में करने की सिफारिश की, जिसमें चरखे को हटाकर अशोक का धर्म चक्र इस्तेमाल करने को सर्वसम्मति से मान लिया गया और 15 अगस्त 1947 को तिरंगा हमारे आज़ादी और हमारे देश का प्रतीक बन गया।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947,अंग्रेज़ो से भारत की स्वतंत्रता से कुछ दिन पूर्व की गई थी (जिसमें चरखे की जगह अशोक के धर्म चक्र की बात को मान लिया गया था)। इसे 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।

पिंगली वेंकैया का भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अभिकल्पन करके, भारत के इतिहास में एक अहम पद पा लिया और वर्ष 1963, 4 जुलाई को इनकी मृत्यु हो गयी।

338px pingali venkayya 2009 stamp of india

पिंगली वेंकैया को सम्मान देने के लिए वर्ष 2009 में डाक टिकट निकाला गया| पर शायद अब भारत के लोग इनको भूल चुके हैं या शायद ही कोई इनके बारे में जानता हो|

अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगे तो शेयर अवश्य करें और आगे हमारे पेज से जुड़े रहने के लिए हमें फॉलो (केवल WordPress उपयोक्ता) या सब्सक्राइब ( कोई भी) करें|

By Admin

One thought on “पिंगली वेंकैया(PINGALI VENKAYYA) : जिन्होंने भारत का राष्ट्रीय ध्वज बनाने से पहले 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का किया अध्ययन”

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Copy Protected by Chetan's WP-Copyprotect.

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading