तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम…..किसी भी राष्ट्र के लिए जो स्वतंत्र है और जहाँ लोकतंत्र का शासन है, वहाँ अपना एक राष्ट्रीय ध्वज होता है और यह राष्ट्रीय ध्वज उस देश की स्वतंत्रता का प्रमाण होता है, जिसका सम्मान पूरे श्रद्धा और विश्वास से करना चाहिए और किसी भी देश के ध्वज का उपहास नहीं करना चाहिए।(तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)
तिरंगा, भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, जिसे क्षैतिज आयताकार में तीन रंगों से मिलकर बनाया गया है, जिसके कारण इसे तिरंगा भी कहा जाता है। इस तिरंगे के लिए न जाने कितने देश प्रेमियों ने अपने जान को हँसते हँसते न्यौछावर कर दिया पर भारत के स्वाभिमान को नीचे नहीं गिरने दिया।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अर्थात तिरंगा, जिसमें सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच मे सफ़ेद और सबसे नीचे हरा रंग होता है। सफ़ेद रंग के पट्टी के बीचों बीच नीले रंग का अशोक का धर्मचक्र है, जिसमें कुल 24 तीलियाँ है। इन 24 तीलियों का 24 महत्व है, जिसे चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं….(तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)

हम आपको बता दें कि हमारे देश के राष्ट्र ध्वज का वर्तमान स्वरूप 22 जुलाई 1947 को आयोजित संविधान सभा मे बैठक के दौरान अपनाया गया था।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में रंगों का महत्व(तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा इसलिए भी कहते हैं क्योंकि इसमें तीन रंग है और इसे बनाने का श्रेय पिंगली वेंकैया को जाता है। राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगे की लंबाई चौड़ाई का अनुपात क्रमशः 2 अनुपात 3 होता है। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं जिन्हें यह तिरंगा एक साथ लेकर चलता है और यह हमारे लिए एकता का प्रतीक का काम करता है।
ऐसा नहीं है कि इन तीन रंगों को मिलाकर रातों-रात राष्ट्रीय झंडा तैयार कर दिया गया वरन इस झंडे को बनाने में लंबा समय लगा है जिसमे बड़ा योगदान गांधी जी का भी है। वर्तमान तिरंगे में मौजूद 3 रंग और अशोक का धर्मचक्र का अपना एक अर्थ है जो कि इस प्रकार है:-
1) केसरिया रंग:- तिरंगे का सबसे ऊपरी भाग केसरिया रंग है, जो साहस और बलिदान का प्रतीक है। यह रंग राष्ट्र के प्रति हिम्मत और निःस्वार्थ की भावना को प्रदर्शित करता है।
2) सफ़ेद रंग:- राष्ट्रीय ध्वज के बीच की पट्टी सफ़ेद रंग की होती है, जो सच्चाई, शांति और पवित्रता का प्रतीक होती है। भारतीय दर्शन शास्त्र के अनुसार सफ़ेद रंग स्वच्छता और ज्ञान को भी दर्शाता है।
3) हरा रंग:- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के सबसे नीचे की पट्टी हरे रंग की होती है, जो समृद्धि, विश्वास, उर्वरता, खुशहाली और प्रगति को प्रदर्शित करता है। भारतीय दर्शन शास्त्र के मुताबिक हरा रंग उत्सवी और दृढ़ता का रंग है, जो हमारे जीवन मे खुशियां बिखेरता है और यह रंग पूरे भारत की धरती पर हरियाली को दिखाता है।
अशोक चक्र:- हिन्दू धर्म के मुताबिक पुराणों में 24 की संख्या का बहुत ही महत्व है। अशोक चक्र को धर्म चक्र भी कहा जाता है। अशोक चक्र के बीच में 24 तीलियां पूरे दिन के 24 बहुमूल्य घंटो को दिखाता है। इसके साथ ही राष्ट्रीय ध्वज की 24 तीलियाँ जीवन को दर्शाती हैं।

भारतीय झंडे को अपनाने का इतिहास(तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)
■ 1906: भारत का गैर आधिकारिक ध्वज पहली बार 07 अगस्त,1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में ‘लोअर सर्कुलर रोड’ के पास पारसी बागान स्क्वायर पर फहराया गया था।इसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ शामिल थी। यह ध्वज स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा निर्माणित किया गया था।
■ 1907: भारत का दूसरा झंडा पेरिस में मैडम कामा और उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा 1907 में ठहराया गया था।
■ 1921: बाद में वर्ष 1921 में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी से मुलाकात की और ध्वज के 1 मूल डिजाइन का प्रस्ताव रखा जिसमें लाल और हरे रंग के बैंड शामिल थे। जिसमें गांधी जी ने सफ़ेद रंग की पट्टी के साथ चरखा डालने की बात कही। ताकि सभी धर्मों को एक साथ लाया जा सके।
■ 1931:- कई बदलाव से गुजरने के बाद वर्ष 1931 में कराची में कांग्रेस कमेटी की बैठक में तिरंगे को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।
■ 1947:- 22 जुलाई,1947 को हुए संविधान सभा के बैठक के दौरान इसे चरखे की जगह अशोक के धर्मचक्र को अपना लिया गया और यह 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 के बीच राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
भारतीय तिरंगे से संबंधित नियम(तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)
- प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग रोकथाम) अधिनियम,1950:
- यह राष्ट्रीय ध्वज, सरकारी विभागों द्वारा उपयोग किए जाने वाले चिन्ह, राष्ट्रपति या राज्यपाल की आधिकारिक मुहर, महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री के चित्र में निरूपण तथा अशोक चक्र के उपयोग को प्रतिबंधित करता है।
राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971:
- यह राष्ट्रीय ध्वज, संविधान, राष्ट्रगान और भारतीय मानचित्र सहित देश के सभी राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान को प्रतिबंधित करता है।
- यदि कोई व्यक्ति अधिनियम के तहत निम्नलिखित अपराधों में दोषी ठहराया जाता है तो वह 6 वर्ष की अवधि के लिए संसद एवं राज्य विधानमंडल के चुनाव लड़ने हेतु अयोग्य हो जाता है।
● राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना
● भारत के संविधान का अपमान करना
● राष्ट्रगान के गायन को रोकना
भारतीय ध्वज संहिता, 2002:
भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है:-
- पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है।
- दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है।
- संहिता का तीसरा भाग केंद्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के विषय में जानकारी देता है ।
- इसने ध्वज के सम्मान और उसकी गरिमा को बनाए रखते हुए तिरंगे के अप्रतिबंधित प्रदर्शन की अनुमति दी।
- झंडा हाथ से काटे और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए। झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लगाया या फहराया नहीं जा सकता।
- सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच की तिरंगा फहराया जा सकता है। झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता। झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जाएगा सिवाय उन मौकों के जब सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हो।
- झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता। किसी भी तरह का फिजिकल डैमेज नहीं पहुंचाया जा सकता। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर, 3 साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
- फहराते वक्त झंडा फटा या क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए, उसका रंग उड़ा नहीं होना चाहिए।
- झंडे पर कुछ भी लिखा नहीं होना चाहिए।
- अगर झंडा फट जाए या उसके रंग उतर जाएं तो एकांत में उसे जला दें या जल में बहा दें।
- ध्वज का उपयोग उत्सव के रूप में या किसी भी प्रकार की सजावट के प्रयोजनों के लिए नहीं किया जा सकता है या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों या देश का नाम ऊंचा करने वाले व्यक्ति के अतिरिक्त) केशव पर डाल देता है तो इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जाएगा।
- आधिकारिक प्रदर्शन के लिए केवल भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित विनिर्देशों के अनुरूप और उनके चिन्ह वाले झंडे का उपयोग किया जा सकता है।
- इसमें उल्लेख है कि तिरंगे का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है।
- ध्वज संहिता, ध्वज के सही प्रदर्शन को नियंत्रित करने वाले पूर्व मौजूदा नियमों को प्रतिस्थापित नहीं करता है हालांकि यह पिछले सभी कानूनों परंपराओं और प्रथाओं को एक साथ लाने का प्रयास था।
अगर आपको कहीं झंडे का अपमान होता दिखे तो तुरंत पुलिस को खबर करें। कहीं झंडा जमीन पर पड़ा या लोगों के पांव तले आता दिखे तो उसे उठाकर जल समाधि दे दें या एकांत में जला दें।(तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)
20 जुलाई 2022 के बाद तिरंगा फहराने के कुछ नियमों में हुआ बदलाव
स्वतंत्रता दिवस से पहले केंद्र सरकार ने तिरंगा फहराने के नियमों में बड़ा बदलाव किया। नए नियमों के अनुसार, अब हर नागरिक दिन और रात तिरंगा फहरा सकता है पर पहले ऐसा नहीं था। इसी के साथ अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज का भी प्रयोग किया जा सकता है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों को लिखे एक पत्र में कहा है कि भारतीय झंडा संहिता में 20 जुलाई 2022 के एक आदेश के जरिए संशोधन किया गया है और अब भारतीय झंडा संहिता 2002 के भाग 2 के पैरा 2.2 के खंड(11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा, झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाए या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाए , इसे अब दिन-रात ठहराया जा सकता है। ऊपर आप पढ़ सकते हैं कि इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक की है रानी की अनुमति थी। (तिरंगे को फहराने से पहले जान ले ध्वज संबंधी ये नियम)
पॉलिएस्टर से बना तिरंगा भी फहराया जा सकेगा
ऐसे ही झंडा संहिता के एक अन्य प्रावधान में भी बदलाव करते हुए कहा गया है कि राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काटा और हाथ से बुना हुआ या मशीन से बना होगा मान्य होगा। इसी के साथ यह कपास, पॉलिएस्टर, उन रेशमी खादी से बना होगा तो मान्य होगा। हम आपको बता दें कि इससे पहले मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग की अनुमति नहीं थी।
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