भारत के केरल राज्य की राजधानी, तिरुवनंतपुरम के पूर्वी किले के भीतर स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु का मंदिर है। यह मंदिर केरल और द्रविड़ वास्तुशिल्प शैली का अनुपम उदाहरण है। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का इतिहास 8वीं सदी से मिलता है। यह विष्णु के 108 पवित्र मंदिरों में से एक है। जिसे भारत के दिव्य देसम भी कहा जाता है। दिव्य देसम भगवान विष्णु का सबसे पवित्र निवास स्थान है, जिसका उल्लेख तमिल संतो द्वारा लिखे गए पांडुलिपियों में मिलता है। इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान विष्णु हैं जो भुजंग सर्प अनंत पर लेटे हुए हैं।

ऐसा माना जाता है कि सातवें दरवाजे को नाग बंधन से बंद किया गया है। यहाँ आपको बताया जाएगा कि यह दरवाज़ा क्यो नहीं खोला जा सका और इसे खोलने के लिए क्या करना होगा?
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को, देश का सबसे धनी मंदिरों में से एक माना जाता है। माना जाता है कि आज भी मंदिर का सातवां दरवाज़ा हर किसी के लिए पहेली बना हुआ है। मंदिर के इस दरवाज़े को आज तक कोई नहीं खोल पाया है। हैरानी की बात है कि यह दरवाज़ा लकड़ी का बना हुआ है। इस दरवाज़े को खोलने या बंद करने के कुंडी, नट बोल्ट , जंजीर, कब्जा या टाला नहीं लगा हुआ है। ये दरवाज़ा कैसे बंद है, ये बात आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
श्री पद्मनाभस्वामी का मंदिर भगवान विष्णु का विश्राम स्थल माना जाता है, इसका अर्थ है जिसके नाभि में कमल है, इस कमल से ही सृष्टि का सृजन हुआ है।
इस मंदिर का संचालन त्रावणकोर का शाही परिवार, ट्रस्ट के माध्यम से कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 7 लोगों की कमेटी ने मंदिर के दरवाज़े को खोलने का प्रयास किया, जिसमें अकूत संपत्ति निकली।
6 दरवाज़े तक तो सब सही चल रहा था पर, उसके बाद दरवाज़ा खोलने गयी टीम के सदस्यों ने 7वें गेट को खोलने की कोशिश की थी, लेकिन दरवाज़े पर बने बड़े सांप के चित्रों को देखकर काम रोक दिया। ऐसा माना जाता है कि सातवे दरवाज़े को खोलना, किसी बड़ी विपदा को बढ़ावा देना है। ऐसा इसलिए क्योंकि पांच दरवाज़ों को खोलने के बाद ही टी. पी. सुदरराजन यानी वे सख्स जिन्होंने इन दरवाज़ों को खुलवाने के लिए अदालत में याचिका दी थी, पहले वे बीमार हुए और फिर वे मौत के मुह में समा गए। इसके बाद मंदिर के प्रशासन ने यह चेतावनी जारी कर दी कि, यदि किसी भी उस अंतिम कक्ष को खोलने या खुलवाने का प्रयास या कोशिश भी किया तो इसका अंजाम सबके लिए बहुत बुरा होगा।
ऐसा कहा जाता है कि त्रावणकोर के राजा ने सभी धर्मों के सिध्द पुरूषों, तांत्रिकों और अघोरियों को बुलाकर वह दरवाज़ा नाग बंधन करके बंद करवाया था। दूसरी मान्यता यह भी है कि यह सीधे पाताल लोक से जुड़ा हुआ है, जो भी खोलने जाएगा वह सीधे समुद्र से होकर पाताल में पहुँच जाएगा। वहीं अगली मान्यता के अनुसार अंदर कोई सुरंग है, जहाँ से नागलोक का रास्ता जाता है। जहाँ अत्यंत कीमती माणिक, मोती, नाना प्रकार के हीरे-जवाहरात हैं और जिनकी रक्षा शक्तिशाली नाग कर रहे हैं।
कैसे खुलेगा दरवाजा
यह मान्यता है कि, केवल उच्च कोटि के साधु और योगी, जिन्होंने गरुण मंत्र को सिद्ध हस्त कर लिया है, वही इस दरवाजे को खोल सकते हैं। अन्यथा तबाही, दुर्भाग्य और विपत्तियां जबरदस्ती खोलने वाले को अपनी चपेट में ले लेगा। गरुण मंत्र में हल्की सी भी चूक, मौत का गेट उसके लिए खोल देगी।
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