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चारधाम यात्रा

धर्मग्रंथों के अनुसार जो लोग चारधाम यात्रा के दर्शन करने में सफल होते हैं, उनके न केवल इस जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं, बल्कि वे जीवन-मृत्यु के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं। तीर्थयात्री इस यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री(यमुना) और गंगोत्री(गंगा) का दर्शन करते हैं।

हिमालय की गोद में बसे चार धाम में बद्रीनाथ का सबसे अधिक महत्व है। बद्रीनाथ के अलावा इसमें केदारनाथ (शिव मंदिर), यमुनोत्री और गंगोत्री (देवी मंदिर) शामिल है। बद्रीनाथ भगवान विष्णु का पवित्र धाम है, जहाँ इन्हें बद्री विशाल भी कहा जाता है। केदारनाथ, भगवान शिव की भूमि है और यह पंच-केदारों में से एक है। (चारधाम यात्रा)

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम पवित्र गंगा और यमुना नदियों के उद्गम स्थल है। बद्रीनाथ, उत्तराखंड के चमोली, केदारनाथ रुद्रप्रयाग और गंगोत्री-यमुनोत्री उत्तरकाशी में स्थित है।

चार धाम के दर्शन के लिए 4,000 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई की चढ़ाई करनी पड़ती है। ये डगर कहीं तो बहुत आसान है पर कही बहुत कठिन है। चार धाम यात्रा केवल गर्मी के महीनों में होती है और शीतकाल में सभी धामों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

सनातन धर्म मे चारों धामों को बहुत ही पवित्र और मोक्ष प्रदाता बताया गया है। धर्म ग्रंथो के अनुसार, जो लोग चार धाम के दर्शन में सफल होते हैं, उनके न केवल इस जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं, बल्कि वे जीवन-मृत्यु के बंधन से भी मुक्त हो जाता है। इस स्थान के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थल है, जहाँ पृथ्वी और स्वर्ग का एकाकरण होता है। (चारधाम यात्रा)

तीर्थयात्री इस यात्रा के दौरान सबसे पहले यमुनोत्री और गंगोत्री का दर्शन करते हैं। फिर यहाँ से पवित्र जल लेकर केदारनाथ पर जला-भिषेक करते हैं। उसके बाद अंत में बद्रीनाथ धाम के दर्शन करते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार पीड़ित मानवता को बचाने के लिए जब देवी गंगा ने पृथ्वी पर आना स्वीकार कर लिया तो हलचल मच गयी, क्योकि पृथ्वी गंगा के प्रवाह को सहन करने में असमर्थ थी।

फलस्वरूप शंकर भगवान ने पहले उन्हें अपने जटाओं में समेटा और उसके बाद गंगा जी ने स्वयं को 12 भागों में विभाजित कर लिया, इन्हीं में से अलकनंदा भी एक हैं, जो बाद में भगवान विष्णु का निवास स्थान बनी। इसी स्थान को बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है। बद्रीनाथ ‘पंचबद्री’ में एक है।(चारधाम यात्रा)

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