Photo by Andrea Piacquadio on Pexels.com
संपादकीय लेखन(sampadkiya lekhan ke gun) कला का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक दस्तावेज है क्योंकि प्रत्येक समाचार पत्र या पत्रिका के कुछ ऐसे मूलभूत सिद्धांत होते हैं, जिनका पालन नीति निर्देशक तत्वों के रूप में प्रत्येक संपादक या संपादकीय लेखक को करना होता है। प्रत्येक संपादक व संपादकीय लेखक अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र होता है।
समान्यतः, संपादकीय लेखन उसके लेखक के स्वभाव, रुचि एवं चरित्र की झलक प्रस्तुत करता है और उसके साथ ही उसकी मध्यानशीलता एवं ज्ञान की बहुआयामितता का परिचय देता है क्योंकि समाचार पत्र की नीति अनुपालन के साथ-साथ, विवेक कौशल पर भी आधारित रहता है।
संपादकीय लेखन में लेखक के लिए यह आवश्यक होता है कि चयनित विषय का अपने ढंग से प्रभावशाली और तर्क सहित प्रस्तुत करे। यहां यह कहना भी आवश्यक है की संपादकीय लेखक को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जो पक्ष वह प्रस्तुत कर रहा है उसके विपक्ष में भी तर्क अवश्य प्रस्तुत किए जाने चाहिए।
अतः संपादकीय लेखक के लिए यह बात भली-भांति जान लेना उचित होता है कि, उसके लेखक का लक्ष्य क्या है और किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वह अपनी बात प्रभावशाली ढंग से कह सकता है या नहीं? यही कारण है कि प्रत्येक स्थिति या घटना का मूल्यांकन संपादकीय लेखक निम्न प्रकार(sampadkiya lekhan ke gun) से करते हैं:-
READ MORE ON NEXT PAGE
This post was last modified on 17th January 2023 9:08 pm
Page: 1 2
Atal Bihari Vajpayee was one of India's most prominent and beloved political leaders. He served…
महात्मा गांधी और इमैनुअल कान्ट का निरपेक्ष आदेश का सिद्धांत अगर मैं कहूँ कि हम…
Raksha Bandhan is an Indian festival celebrated on the full moon day of the Hindu…
Holika Dahan, also known as Chhoti Holi, is a Hindu festival celebrated every year in…
International Society for Krishna Consciousness (ISKCON) International Society for Krishna Consciousness, also known as ISKCON…
Krishna Janmashtami, also known as Janamastami, is a Hindu festival that celebrates the birth of…