संपादकीय लेखन कला का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक दस्तावेज है क्योंकि प्रत्येक समाचार पत्र या पत्रिका के कुछ ऐसे मूलभूत सिद्धांत होते हैं, जिनका पालन नीति निर्देशक तत्वों के रूप में प्रत्येक संपादक या संपादकीय लेखक को करना होता है। प्रत्येक संपादक व संपादकीय लेखक अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र होता है।
समान्यतः, संपादकीय लेखन उसके लेखक के स्वभाव, रुचि एवं चरित्र की झलक प्रस्तुत करता है और उसके साथ ही उसकी मध्यानशीलता एवं ज्ञान की बहुआयामितता का परिचय देता है क्योंकि समाचार पत्र की नीति अनुपालन के साथ-साथ, विवेक कौशल पर भी आधारित रहता है।
संपादकीय लेखन में लेखक के लिए यह आवश्यक होता है कि चयनित विषय का अपने ढंग से प्रभावशाली और तर्क सहित प्रस्तुत करे। यहां यह कहना भी आवश्यक है की संपादकीय लेखक को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जो पक्ष वह प्रस्तुत कर रहा है उसके विपक्ष में भी तर्क अवश्य प्रस्तुत किए जाने चाहिए।
अतः संपादकीय लेखक के लिए यह बात भली-भांति जान लेना उचित होता है कि, उसके लेखक का लक्ष्य क्या है और किसी लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वह अपनी बात प्रभावशाली ढंग से कह सकता है या नहीं? यही कारण है कि प्रत्येक स्थिति या घटना का मूल्यांकन संपादकीय लेखक निम्न प्रकार से करते हैं:-
- घटना की जानकारी(भूमिका)।
- घटना की व्याख्या(विषय विश्लेषण)
- घटना की स्थिति का उल्लेख(विषय विश्लेषण)
- परिणामों से शिक्षा और सतर्कता(विषय विश्लेषण)
- स्थिति की वास्तविक समझ(निर्देश)
- मार्गदर्शन करना या मंच देना(निर्देश)
- निराकरण की प्रेरणा(निष्कर्ष)
- परिणामों के भावी स्थिति का संकेत(निष्कर्ष)
अच्छे संपादकीय के गुण
- प्रारंभिक जानकारी
- कई भाषाओं का ज्ञान
- तकनीकी ज्ञान
- पाठक के रुचि का ज्ञान
- सत्यनिष्ठा
प्रक्रिया तत्व
- शुरुआत
- मध्य
- अंत
संपादकीय लेखन के उद्देश्य
- शिक्षित करना
- जागरूक करना
- परिवर्तन लाना
- नकारात्मक और सकारात्मक पक्ष सामने रखना
संपादकीय लेखन का विषय चयन करने के आधार:-
- पाठकों की रुचि
- कोई विषय प्रभावशाली कितना है
- पहुंच
- व्यापकता
संपादकीय महत्व
- प्रशासनिक कौशल
- निर्देशनात्मक
- संकलनात्मक कौशल
- प्रस्तुतीकरण
विश्लेषण:- विस्तारपूर्वक जब किसी लेख को लिखा जाए।
टिप्पणी:- टिप्पणी किसी भी विषय पर लिखी जा सकती है। समाचार पत्रों में ये ज्यादातर सीधे हाथ के पहले कॉलम में लिखी जाती है। यह संपादकीय का छोटा संस्करण होता है। एक टिप्पणी लगभग 5 से 7 लाइन की हो सकती है।
टिप्पणी के सिद्धान्त:- 1) निष्पक्षता 2) पारदर्शिता 3)तटस्थ 4) लघु संस्करण
संपादक के नाम पत्र:- प्रक्रिया तत्व:- 1) शुरुआत:- घटना/बयान/हाल ही में/बीते दिनों में इत्यादि से शुरुआत करना। 2) बॉडी:- तथ्य,भाषा,डेटा आदि। 3)निष्कर्ष(अंत):- सुझाव
पत्र की विशेषताएं:-
- प्रासंगिक
- महत्वपूर्ण
- व्यापकता
- गहनता
- सत्यता
- तथ्यता
- स्पष्टता
- तर्कपूर्ण
- निष्कर्ष
समाचार संगठन की संरचना
- प्रबंधन विभाग
- संपादकीय विभाग
- प्रशासनिक विभाग
- वितरण विभाग
- विज्ञापन विभाग
- परिवहन विभाग
- मुद्रण विभाग
- इंजीनियर विभाग
You must log in to post a comment.