उप संपादक किसी भी समाचार पत्र के लिए रीढ़ की हड्डी है।
पत्रकारिता के क्षेत्र में उपसंपादक के कार्य.…दैनिक कार्यों को निष्पादित करना मुश्किल होता है। परंतु ये लोग समाचार पत्र का संपादन, टाइपिंग, शीर्षक लगाना, समाचार पत्र को सत्यापित करना, जैसे अन्य कार्य करते हैं। वर्तमान में ये लोग अब समाचार पत्रों के पेज भी बनाने लगे हैं।

इनके अलावा भी कुछ अन्य कार्य प्रमुख हैं(पत्रकारिता के क्षेत्र में उपसंपादक के कार्य)। जैसे:-
- स्टोरी के तथ्यों की जांच करना:- उपसंपादक का सर्वप्रथम कार्य यह है कि, वह स्टोरी से जुड़े सभी तथ्यों की जांच करें।
- स्टोरी को संपादित करना।
- समाचारों का प्रस्तुतिकरण:- समाचार को उचित प्रकार से प्रस्तुत करना भी उप संपादक का काम है।
- समाचारों के शीर्षक को निर्धारित करना।
- चित्रों का कैप्शन लगाना:- छाया विवरण का कार्य भी यही करते हैं। इसमें किस खबर को ऊपर, कौन सा कैप्शन नीचे लगेगा आदि बातें सम्मिलित होती हैं।
- व्याकरण संबंधी गलतियों को ठीक करना।
- समाचार में निष्पक्षता लाना।
- समाचारों को छोटे-छोटे वाक्यो में बदलना।
- समाचार की पुनरावृत्ति को रोकना।
- समाचार का इंट्रो लिखना।
- समाचारों में सुरुचिपूर्ण वाक्यों का निर्माण।
- विभिन्न अनुच्छेदों के मध्य संयोजन बनाना। (पत्रकारिता के क्षेत्र में उपसंपादक के कार्य)
उप संपादक के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए…
उपसंपादक के निम्नलिखित गुण:-
उप संपादक को “ऑल राउंडर” होना चाहिए:- उपसंपादक को सभी विषयों का ज्ञान होना अनिवार्य है। जब तक उसे सभी विषयों का सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं होगा तब तक वह एक अच्छा उप संपादक नहीं बन सकता है।
भाषा पर सम्पूर्ण अधिकार और पकड़ होना चाहिए।
समाचार की समझ होनी चाहिए।
स्मरण शक्ति मजबूत होनी चाहिए।
मीडिया कानूनों की जानकारी होना जरूरी:- उपसंपादक को मीडिया के अंतर्गत आने वाले सभी कानूनों की जानकारी होना अत्यंत जरूरी है। कई बार उपसंपादक भी कई कानूनों को लागू किये होते हैं, जिन्हें नए उपसंपादक को जानना जरूरी होता है।
उप संपादक में विश्लेषण करने की शक्ति, व्याख्या करने की शक्ति व अपने विचारों को प्रस्तुत करने की अपार शक्ति होनी चाहिए।
प्रति कार्य के लिए उप संपादक को जोश और स्फूर्ति से भरा होना आवश्यक है। जिससे वह अपने कार्य के प्रति सतर्क रह सके। (पत्रकारिता के क्षेत्र में उपसंपादक के कार्य)
(पत्रकारिता के क्षेत्र में उपसंपादक के कार्य)
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