भगवान शंकर का अमोघ मंत्र है, “महामृत्युंजय मंत्र(Mahamrityunjaya Mantra)”,इसे सिद्ध कर लेने पर मनुष्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है। यह मंत्र महान ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचा गया है। यह महामृत्युंजय मंत्र भगवान शंकर को मृत्युंजय के रूप में समर्पित ऋग्वेद ग्रंथ में है।
स्वयं या परिवार में किसी अन्य व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर या असाध्य रोगों से मुक्त होने पर, बुरे समय के भय होने आदि पर , घर मे एकांत में बैठकर इस मंत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र निम्न प्रकार से है।
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ...
लघु मृत्युंजय मंत्र(Mahamrityunjaya Mantra)
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ। अगर आप किसी और के लिए मृत्युंजय मंत्र कर रहे हैं तो माम् की जगह उसका नाम लें।
महामृत्युंजय मंत्र(Mahamrityunjaya Mantra) का अर्थ
इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। इस पूरे विश्व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
महामृत्युंजय मंत्र का पुनश्चरण सवा लाख है और लघु मृत्युंजय मंत्र की 11 लाख है। इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला पर सोमवार से शुरू किया जाता है, अपने घर पर महामृत्युंजय यंत्र(Mahamrityunjaya Mantra) या किसी भी शिवलिंग का पूजन कर जप शुरू करें या फिर सुबह के समय किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करें और फिर घर आकर घी का दीपक जलाकर मंत्र का 11 माला जप कम से कम 90 दिन तक रोज करें या एक लाख पूरा होने तक जप करते रहें।
अगर आप इतना जप नहीं कर सकते तो आप मंत्र जप 11,000, 1,100, 108 की संख्या में भी कर सकते हैं। आप नित्य सुबह 11 बार भी जप कर सकते हैं।

इस बात का ध्यान रखें कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्युंजय मंत्र(Mahamrityunjaya Mantra) का जाप न करें। मंत्र का जाप पूर्ण होने के बाद हवन करना उत्तम माना जाता है।
डिस्क्लेमर-
”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ”
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