कुशल सिंह द्वारा लिखी लौंडे शेर होते हैं एक ऐसी पुस्तक है जिसे हर उस युवा वर्ग को पढ़ना चाहिए जिसने जिंदगी में बात बात में कोई बखेड़ा खड़ा कर दिया हो. असल में ये पुस्तक बेशक उन पांच दोस्तों की जिंदगी में हुए कुछ कम तो कुछ ज्यादा डेयरिंग बन्दों की कहानी हो. जो अपने आप को शेर साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो सकते हैं.
खैर ये कहानी उन पांच लौंडों को लेकर है जो किसी न किसी रूप में एक खोली में रहते हैं लड़ाई करते हैं, गालियों की बौछार करते हैं, लौंडे होने का प्रमाण देने के लिए भानगढ़ किले में रात में घुस जाते हैं. वास्तव में ये कहानी उन युवाओं को अपने तरफ बुलाती है जो जिंदगी में कुछ कर गुजरना चाहते हैं. बेशक, संजू के किरदार की तरह सफल न हो पाएं और अपने पिता से इसलिए गाली सुने क्योंकि पिता का मानना है कि गाली देने से लक्ष्मी कि बरक्कत होती है. ऐसे में अपने बेटे को चार बार दिन में गाली देना उनके जिंदगी का काम हो सकता है.
ये कहानी असल में ऐसे ताने बाने से बुनी गई है कि आप लगभग हर पन्ने और हर लाइन पर हसने को मजबूत हो जाएंगे. मसलन, संजू के कमरे में एंट्री करते ही उनके दोस्तों द्वारा ऐसे दरवाना कि उसके मुंह से छीन के साथ मां निकल आना. और बात समझ जाने पर कहना की, ‘ सालों, अगर मेरा हार्ट फेल हो जाता न, तो मेरा बाप तुम सबको, बिजली के नंगे तारों पर चद्दियों की तरह सूखा देता.’
इस कहानी में एक पिता का दर्द भी झलकता है, उनके द्वारा बोले गए शब्द भी झलकते है. वास्तव में कहा जाए तो इस कहानी में पिता का झलकने वाला दर्द कहानी का नहीं अपितु हमारे इस जीवन में भी देखा जा सकता है. जहां हर पिता की ये इच्छा होती है कि मेरा लड़का कुछ करेगा उनका सम्मान बढ़ाएगा. वहीं हर बच्चा ये सोचता है कि वह कुछ ऐसा करेगा जिससे उनका नाम रोशन होकर समाज में दर्ज हो जाए. यही करने के चक्कर में ये लौंडे कुछ ऐसा अलग कर जाते हैं कि उनके जिंदगी पर ही बन आती है.
वास्तव में कहा जाएं तो ये पुस्तक अपने नाम को सार्थक सिद्ध करते हुए दिखती है. जहां कोई भी लड़का गीदड़ बनना किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकता. वैसे भी लौंडे भोले जरूर होटें हैं, लेकिन चूटिया नहीं. बल्कि लौंडे शेर होते हैं, बब्बर शेर. इसलिए तो बिना कोई प्लान बनाए निकाल गए घूमने और निकले कि बाबा के आश्रम से होते हुए भुल्लर जैसे दबंगों को उनकी नानी याद दिलवा दी.
हां, बिभा ने सबका अच्छे से काटा था. सबका मतलब पांचों दोस्तों का. क्योंकि पांचों कि जिंदगी में विभा आने वाली पहली लड़की थी. आप जब कहानी पढ़ेंगे तो आप को समझ आएगा. जिंदगी का वह रास्ता जहां से होकर गुजरना लगभग हर लौंडे का सपना होता है. जिसका मजा आपको किताब पढ़ कर मिलेगा.
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