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क्रिकेट हर भारतीयों के दिलों में बसने वाला गेम। जिसको देखने के लिए लगभग हर भारतीय आतुरता से भरा रहता है। शायद ही अभी, भारत में किसी अन्य खेल को उतनी महत्वता मिली हो जितनी की क्रिकेट को मिली है। हाँ, ये बात अलग है की आज समय के साथ अन्य खेलों का महत्व भी देखने को, भारतीयों में मिल रहा है। जो की अन्य खेल क्षेत्र विभाग के लिए एक अच्छा संकेत है।(UNDER ARM BALLING)

फिलहाल, खेलों में ज्यादा बड़े स्तर पर तो नहीं पर छोटे स्तर पर हम गेम्स में चीटिंग्स को होते हुए देखते हैं। हममें से कई लोगों ने अपने बचपन में बैट-बॉल तो खेला ही होगा। अक्सर जिसका बैट या बॉल होता था वह आउट होने के बाद भी अपनी धौंस जमाए रखता था और खेलना जारी रखता था। इसी प्रकार से अगर सामने वाली टीम हार रही हो, तब उस समय भी वह चीटिंग करने का प्रयास करता था और ज्यादा चांसेज ये बनते थे कि, वह फील्ड छोड़ कर बाहर भाग जाता था। ऐसे एक नहीं कई घटनाएं चीटिंग के छोटे स्तर पर देखने को पहले भी और अब-भी देखने को मिल ही जाती हैं। परंतु, एक बात यहां पर सटीक थी कि जितने का मजा तो बिना बेईमानी के ही आता है।

यहीं अगर हम आपको एक ऐसे बड़े मैच के मारें में बताएं जिसने मैच में चीटिंग का सहारा लेकर विजय प्राप्त की तो आप की क्या प्रक्रिया होगी। आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।

क्रिकेट जगत की ऐसी ही एक घटना या कहें वाक्या है 1981 की, जिसे क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा शर्मनाक और बेइमानी वाला मैच माना जाता है। इस घटना को क्रिकेट के इतिहास का इतना शर्मशार घटना माना गया है कि उस देश के प्रधानमंत्री ने भी इसके लिए अपने देश के खिलाड़ियों की आलोचना की थी। इसलिए कहा भी जाता है कि, जीत की भूख इतनी भी ज्यादा सर पर नहीं हावी हो जानी चाहिए की हार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न हो पाए।

under arms ball
  • ‘अंडरआर्म 1981’ क्रिकेट जगत में सबसे शर्मनाक घटना
  • इसे कुछ लोग ‘ब्लैक अंडरआर्म’ के नाम से भी पुकारते हैं क्योंकि इस मैच में सभी नियमों को ताक पर रख कर मैच जीता गया था।
  • ये घटना तीन मैचों के वनडे सीरीज के आखिरी बॉल दौरान घटित हुई थी जो की न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था।
  • दोनों ही टीमों ने खेले गए दो मैचों में एक-एक मैच में जीत प्राप्त कर लिया था और आखिरी मैच निर्णायक मैच था। अंतिम बॉल पर एक बॉल में 6 रन की जरूरत थी मैच को ताई करने के लिए। जहां ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ग्रेग चैपल ने भाई ट्रैवल द्वारा जमीन पर लुडकती गेंद(under arm balling) फेकवाई।
  • इस कायराना बॉलिंग के कारण बैटिंग कर रहे न्यूजीलैंड के खिलाड़ी ब्रायन ने मैदान पर ही बैट फेंक दिया था।
  • न्यूजीलैंड के उस समय के प्रधानमंत्री इस कदर इससे नाराज थे की उन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल भावना के विरुद्ध बता कर इसकी घोर आलोचना की। वहीं ऑस्ट्रेलिया के उस समय के प्रधानमंत्री मॉल्कम फ्रेजर ने इसपर अपनी नाखुशी जाहिर की थी।

अंडरआर्म(UNDER ARM BALLING) घटना वर्ष 1981 में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच तीन वनडे सीरीज में आखिरी वनडे सीरीज के अंतिम बॉल की घटना है। जहां न्यूजीलैंड को मैच को टाई कराने के लिए एक बॉल में 6 रन की आवश्यकता था। इससे पहले हुए दो वनडे मैचों में दोनों ही टीमों ने 1-1 मैच जीत लिया था और ये मैच आखिरी और निर्णायक था। ऐसे में उस समय के ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने आखिरी ओवर अपने भाई ट्रैवल चैपल को दिया।

जब आखिरी बॉल पर न्यूजीलैंड को 1 बॉल पर 6 रन की आवश्यकता थी तब ग्रेग चैपल को यह अंदेशा था की कहीं उनके भाई ट्रैवल चैपल के आखिरी बॉल पर प्रतिद्वंदी टीम का खिलाड़ी छक्का मार कर जीत अपने नाम न कर ले। ऐसे में उन्होंने अपने भाई को लुढ़कती हुए गेंद डालने को बोला। हम बता दें कि उस समय लुढ़कती हुई गेंद (UNDER ARM BALLING)डालना रूल के खिलाफ नहीं था परंतु यह एक जेंटलमैन खेल के विपरीत और खेल के नैतिकता के खिलाफ थी

जब ग्रेग ने अपने भाई ट्रैवल को ऐसा करने को कहा तो उन्होंने असहमति प्रकट की परंतु कप्तान और भाई की बात मानते हुए आखिरी गेंद अंडरआर्म फेंकी। ऐसे में न्यूजीलैंड इस मैच में हार गया और ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से इस मैच में बढ़त बना ली।

ट्रैवल के इस कायराना गेंद फेकने के हरकत, और जीत के लिए किसी भी परिस्थिति में जाने के सोच को लेकर न्यूजीलैंड की टीम काफी गुस्से से भर आई, ऐसे में बैटिंग कर रहे ब्रायन ने अपना बैट पटक कर नाराजगी अंपायर को जाहिर की।

क्रिकेट मैच के बाद यह भी खबर सामने सुनने को मिली की जब ग्रेग ने अंदर आर्म बॉलिंग(UNDER ARM BALLING) का निर्णय लिया था तब उनके बड़े भाई, जो की कमेंट्री कर रहे थे इयान चैपल ने ग्रेग से यह कहा था, 'नहीं ग्रेग, तुम ऐसा नहीं कर सकते।' लेकिन ऐसा लगता है की ग्रेग के सर पर जीत का चस्का लग गया था और जिसके लिए वे कोई भी शर्मनाक कदम उठाने को तैयार थे।

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