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समाचार के प्रकार:- आज के इस आधुनिक दुनिया मे समाचार का विकास जिस प्रकार हुआ है, ऐसे विकास की कल्पना शायद ही समाचार के शुरुआत में की गई हो, जहाँ उंगलियों पर समाचार को गिना जा सकता था पर आज समाचार को उंगलियों पर गिन पाना ‘राई का पहाड़ ‘ कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

इसी के साथ यह भी हम आज देख सकते हैं कि आज इंटरनेट की सुविधा लगभग प्रत्येक लोगों के पास पहुँच चुकि है और प्रतिदिन समाचार के लोकल से लेकर नेशनल चैनल व पत्रिका का आरंभ हो रहा है, जिससे अब समाचार के माध्यम में प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा आ गयी है।

इसी के साथ यह भी ध्यान देना जरूरी है कि प्रत्येक समाचार को समाचार नहीं माना जा सकता जब तक उसकी सत्यता और तथ्यता सिद्ध न हो जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि आज समाचार का सागर उमर कर बह रहा है पर समुद्र से क्या उठाया जाए, यह पता होना आवश्यक है नहीं तो अर्थ का निरर्थ होने में देर नहीं लगती है। (समाचार के प्रकार)

अब हम बात करते हैं समाचार के प्रकार की, वैसे समाचार क्षेत्र में जिस तरह विकास और परिवर्तन हुआ है उसे देख कर कहा नही जा सकता कि इसके प्रकार सीमित होंगे या होने की संभावना होगी।

समाचार के प्रकार निम्नलिखित है:-

  • स्थानीय समाचार
  • प्रादेशिक समाचर
  • राष्ट्रीय समाचार
  • अंतरराष्ट्रीय समाचार
  • विशिष्ट समाचार
  • उद्योग व्यापार समाचार
  • संसद समाचार
  • भासड़ समाचार
  • व्यापी समाचार
  • खोजी समाचार
  • ब्रेकिंग न्यूज़ समाचार
  • फीचर समाचार
  • डायरी समाचार
  • सनसनीखेज समाचार
  • महत्वपूर्ण समाचार
  • कम महत्वपूर्ण समाचार
  • सामान्य महत्व के समाचार
  • पूर्ण समाचार
  • अपूर्ण समाचार
  • अर्ध विकसित समाचार
  • परिवर्तनशील समाचार
  • पेज 3 समाचार/ yellow journalism
  • सीधे समाचार व्याख्यात्मक समाचार
  • विषय विशेष समाचार

विषय विशेष समाचार के विशेष प्रकार (समाचार के प्रकार) निम्नलिखित हैं:-

  1. राजनीतिक समाचार
  2. साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचार
  3. अपराध समाचार
  4. खेल-कूद समाचार
  5. विधि समाचार
  6. विकास समाचार
  7. जन समस्यात्मक समाचार
  8. शैक्षिक समाचार
  9. आर्थिक समाचार
  10. स्वास्थ्य समाचार
  11. विज्ञापन समाचार
  12. पर्यावरण समाचार
  13. फ़िल्म टेलीविज़न समाचार(मनोरंजन)
  14. फ़ैशन समाचार
  15. सेक्स समाचार
  16. खोजी समाचार

स्थानीय पत्रकारिता:-

ऐसे समाचार जिसमें स्थानीय खबरों को महत्वता देकर उसे अखबार के पहले पेज पर प्रकाशित या टीवी और अन्य माध्यमों पर प्रसारित किया जाता है। आज जैसे-जैसे समाचार क्षेत्रो का दायरा बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे स्थानीय समाचारों का महत्व भी बढ़ता जा रहा है ऐसे में आज कोई भी खबर छोटी कहना गलत प्रभाव डाल सकती है। (समाचार के प्रकार)

आज यह भी देखा जा रहा है कि बड़े-बड़े न्यूज़ चैनलों ने भी स्थानीयता को महत्व देना शुरू कर दिया है और इसी के साथ यह भी देखा जाने लगा है कि जहाँ पहले छोटे कार्यक्रम राष्ट्रीय समाचार में जगह नहीं पाते थे वहीं आज उन्हें दिखाने के लिए स्क्रीन मिल गयी है।

प्रादेशिक पत्रकारिता:-

प्रादेशिक पत्रकारिता वे पत्रकारिता है जो प्रदेश या क्षेत्र से निकलती है। उदाहरण के लिए गाण्डीव, पंजाब केसरी, आदि। इन समाचारों में प्रादेशिक समाचारों का महत्व बहुत ज्यादा होता है और उन्हें ही ये ज्यादा प्रमुखता से दिखाते हैं। (समाचार के प्रकार)

राष्ट्रीय पत्रकारिता:-

इससे तात्पर्य ऐसे समाचार से है जो संपूर्ण देश पर प्रभाव डालने वाली हो। उदाहरण के लिए आम चुनाव, प्राकृतिक आपदा, बजट, आतंकी हमला आदि। राष्ट्रीय समाचार ऐसे समाचार होते हैं जो राष्ट्रीय समाचार के साथ साथ स्थानीय और प्रादेशिक समाचार माध्यमों में भी स्थान पाते हैं, जिसका कारण लोगों का राष्ट्रीय स्तर पर चल रही घटनाओं के बारे में जानकारी पाने के लिए लालायित होना है। (समाचार के प्रकार)

उद्योग व्यापार समाचार:-

1991 में वैश्वीकरण के पश्चात उद्योग व्यापार समाचार की बाढ़ सी आ गई है और आज इसने समाचार के सभी माध्यम में जगह बनाकर उनके लिए जरूरी तत्व बन गया है। उद्योग समाचार वे समाचार होते हैं जिसमें उद्योग से संबंधित खबरों, विज्ञापनों को दिखाया या छापा जाता है। (समाचार के प्रकार)

अंतर्राष्ट्रीय समाचार:—

आज का विश्व एक ग्लोबल गाँव बन गया है ऐसे में कोई भी खबर जो विश्व के किसी भी कोने में घटित होती है उसे प्रकाशित या प्रसारित करना आवश्यक हो जाता है। आज यह देखा भी जा सकता है कि संसार के किसी कोने में होने वाली घटना किसी के लिए कितना जरूरी है (समाचार के प्रकार)

व्यापी समाचार:-

वह समाचार जिनका प्रभाव व्यापक यानी बड़े स्तर पर हो, व्यापी समाचार कहलाते हैं। यह समाचार अपने आप में पूर्ण होते हैं और ये पाठक, दर्शक या श्रोता के बीच अपना प्रभाव विस्तृत रूप से बनाए होते हैं। उदाहरण के लिए आम चुनाव।

सनसनीखेज समाचार:-

इनके अंतर्गत ऐसे विषय आते हैं जो किसी व्यक्ति के अंदर हलचल पैदा कर सकते हैं। इसके अंदर हत्या से जुड़े समाचार, दुर्घटना से जुड़े समाचार, प्राकृतिक आपदा से जुड़े समाचार, आतंकी हमला आदि आते हैं।(समाचार के प्रकार)

महत्वपूर्ण समाचार:-

बड़े पैमाने पर दंगा, अपराध , दुर्घटना, राजनीतिक उठक-पटक आदि महत्वपूर्ण समाचार कहलाते हैं। वैसे देखा जाए तो गरीबी भारत के लिए बहुत बड़ी समस्या है पर शायद ही ऐसा हो कि कोई माध्यम इसे महत्वपूर्ण समाचार के श्रेणी में रखता हो।

फीचर स्टोरी / समाचार:-

इन्हें अपने नरम स्वभाव और मानवीय कोड़ की वजह से सॉफ्ट स्टोरी कहा जाता है। यह न्यूज़ के रनडाउन* के हिसाब से अति महत्वपूर्ण स्टोरी तो नहीं होते लेकिन रोचक जरूर होते हैं। इनका तकरीबन वही महत्व होता है जो कि अखबार के रंगीन पृष्ठों में छपने वाली खबरों का होता है। (समाचार के प्रकार)

मिसाल के तौर पर दिल्ली के गुमशुदा तलाश केंद्र पर एक स्टोरी करना और यह बताना कि इस विभाग के जरिए आज तक कितने गुमशुदा तलाश किए जा चुके हैं। ऐसी स्टोरी को दिखाने के 3 बड़े फायदे होते हैं:-

1. इन्हें जब चाहे run-down में शामिल किया जा सकता है यह हटाया जा सकता है क्योंकि ऐसी स्टोरीज अक्सर किसी समय सीमा की मांग नहीं करती। इन्हें चाहे तो आज भी दिखाया जा सकता है और चाहे तो 10 दिन बाद भी।

2. इन्हीं ऐसे ढीले ढाले दिनों में भी दिखाया जा सकता है जब रन डाउन में स्टोरी का अभाव होता है, ऐसी स्टोरी से run-down को कुशलतापूर्वक भरा जा सकता है। (समाचार के प्रकार)

3. ऐसे लोग जिनकी राजनीतिक , खेल या अपराध में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती तो वे ऐसी स्टोरीज के खास दर्शक होते हैं। इससे चैनल की दर्शनीयता का बनी रहती है।

ब्रेकिंग न्यूज़ समाचार:-

आज के इस प्रतिस्पर्धा युग में जब हर एक समाचार किसी भी संस्थान के लिए आवश्यक हो गया है तो ऐसे में, खबरों को पहले दिखाने की होड़ में ब्रेकिंग न्यूज़ का आगमन हुआ। (समाचार के प्रकार)

इसके जरिए समाचार संस्थान अपनी पहचान को पुख्ता या कहें प्रासंगिक बनाए रखने का प्रयास करते हैं। ब्रेकिंग न्यूज़ का एक महत्व यह भी है कि किसने पहेली किसी सम्बंधित न्यूज़ को ब्रेक किया है और बाद में उसका फॉलोअप* कैसे लिया।

ब्रेकिंग न्यूज़ पत्रकारिता केवल टेलीविजन माध्यम में है समाचार पत्र पत्रिकाओं और रेडियो चैनलों में इसका महत्व नहीं है, क्योंकि पत्र-पत्रिका 24 घंटे की खबर को एक साथ छाप कर अगले दिन अपने पाठक के पास देती है या वह मासिक, साप्ताहिक, आदि के रूप में पाठकों तक पहुचती है वहीं रेडियो में फिलहाल वर्तमान में समाचार देने की आज्ञा AIR या हिंदी में कहे तो आकाशवाणी को ही है।

हां, इस बात से मना नही किया जा सकता कि आज समाचार के सभी माध्यम अपने वेबसाइट्स के माध्यम से ब्रेकिंग न्यूज़ देते रहते है, जो कि आगे आने वाले समय में एक नई प्रतिस्पर्धा लाने वाला है। (समाचार के प्रकार)

खोजी समाचार:-

खोजी समाचार को पत्रकारिता को जीवंत रखने का एक मुख्य कारण माना जाता है। समाचार देने के इस प्रकार को जासूसी पत्रकारिता भी कहा जाता है। खोजी समाचार की आवश्यकता तब पड़ती है जब यह संदेह होने लगे कि कोई खबर जो कि देश को बृहत स्तर पर प्रभावित कर सकती है पर किसी दबाव, लालच या अन्य कारणों की वजह से उसे बाहर नही लाया जा रहा है, तो उस समय इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है।

वैसे तो पत्रकारिता में प्रत्येक समाचार को समाचार बनने से पहले उसके तथ्यों, सत्यता, तारतम्यता आदि को देख लेना चाहिए पर आज के इस युग में अगर ये किया जाने लगे तो खबर का क्रेडिट कोई और ही लेकर चल देगा, ऐसे में आज इसके तरफ कम ही ध्यान दिया जाता है। (समाचार के प्रकार)

वहीं एक लाइन में कहें तो खोजी पत्रकारिता वह पत्रकारिता है जो सत्य को तथ्य के साथ लोगों के समक्ष प्रस्तुत करती है और समाचार के गरिमा को बनाये रखने में सहायक होती है। (समाचार के प्रकार)

उदाहरण:- 1992 में हर्षद मेहता के बैंक के साथ scam का भंडाफोड़ खोजी पत्रकारिता द्वारा ही संभव हुआ।

रनडाउन:-

रन डाउन का मतलब है किसी निर्धारित समय पर प्रसारित होने वाले समाचारों का ब्लूप्रिंट। इसे प्रड्यूसर और रिपोर्टर दोनों का गाइड माना जाता है इसमें हर हिस्से को पहले ही सुव्यवस्थित कर लिया जाता है।

फॉलोअप:

फॉलोअप में किसी एक खबर के आगे के विकास को बताया जाता है ताकि दर्शक को घटना के बाद की गतिविधियों से भी अवगत करवाया जा सके। मिसाल के तौर पर भोपाल में कोई सनसनीखेज घटना होती है लेकिन अपराधी पकड़ में नहीं आता।

ऐसे में घटना के बाद वाले दिनों में जो स्टोरीज दिखाई जाएंगी वे उस घटना का फॉलोअप कहलाएंगे। फॉलोअप को घटना के 1 महीने बाद भी किया जा सकता है। किसी ढीले ढाले दिन में जब पत्रकारों के पास कोई स्टोरी नहीं होती तब वे अक्सर फॉलोअप स्टोरी करते नजर आते हैं।

सामाजिक मुद्दों पर फॉलो अप फायदेमंद साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए धूम्रपान के लिए रोक लगने पर कानून बनने के एक महीने बाद इसका फॉलोअप करना कि, इस कानून का कितना पालन हुआ।

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