जनमत निर्माण के स्तर(Jansanchar madhyam AUR janmat nirman)
- किसी समस्या या मुद्दे का उपस्थित होना, किसी समस्या या मुद्दे का होना, जनमत निर्माण का पहला चरण होता है इसके अंतर्गत उस समस्या से संबंधित नकारात्मक और सकारात्मक परिस्थिति का उल्लेख किया जाता है।
- माहौल तैयार करना:- जनमत निर्माण का यह दूसरा चरण है, इसमें एक ऐसा माहौल तैयार किया जाता है जिससे जनता प्रभावित हो जैसे इवेंट करना या डिबेट के लिए तो को संचालित करना। इन माध्यमों से जनता उस समस्या को गंभीरता से समझ सकती है।
- विकल्प देना:- जनमत निर्माण का यह तीसरा चरण है, जिसमें हुए इवेंट के बाद, कुछ विकल्प दिए जाते हैं विचारों की अभिव्यक्ति की जाती है। जो जनमत निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
- विकल्प को मत में परिवर्तित करना:- यह जनमत निर्माण का चौथा चरण है। जिस में दिए गए विकल्पों को मत में परिवर्तित किया जाता है या, किए जाने का प्रयास किया जाता है। वाद विवाद, तर्क वितर्क एवं लेखन के बाद लोग एकमत पर पहुंच सकते हैं। इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं इस समूह के सभी व्यक्ति एक मत को स्वीकार कर लेते हैं। प्रजातंत्र में बहुमत का सर्वाधिक महत्व होता है।
जनमत को प्रभावित करने वाले तत्व
- विरोधी दबाव
- सामाजिक वर्ग
- नेतृत्व
- शिक्षा
- जनमत नेता
अंत में यह स्पष्ट हो जाता है की जनमत के निर्माण में जन माध्यमों की महत्वपूर्ण उपयोगिता होती है, साथ ही एक औसत व्यक्ति, जनमाध्यम के साथ समूह सामाजिक दबाव से भी प्रभावित होता है।
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