pexels photo 1520372 1
Photo by Dzenina Lukac on Pexels.com

कथानक आधारित कार्यक्रम

कथानक आधारित कार्यक्रम और गैर कथानक आधारित कार्यक्रम……कथानक वह तत्त्व है जिसमें वर्णित कालक्रम से श्रृंखलित घटनाओं की धुरी बनकर उन्हें समायोजित किया जाता है और कथा की समस्त घटनाएँ इसके चारों ओर ताने बाने की तरह बुनी जाती हैं जिसमें वे बढ़ती और विकसित होती जाती हैं।कथानक कला का साधन है, अत: भावोत्तेजना लाने के लिए उसमें जीवन की प्रत्ययजनक यर्थातता के साथ आकस्मिकता का तत्त्व भी आवश्यक है।

इसीलिए कथानक की घटनाएँ यथार्थ घटनाओं की यथावत्‌ अनुकृति मात्र न होकर, कला के स्वनिर्मित विधान के अनुसार संयोजित रहती हैं। कथानक देव दानव, अतिप्राकृत और अप्राकृत घटनाओं से भी निर्मित होते हैं किंतु उनका उक्त निर्माण परंपरा द्वारा स्वीकृत विधान तथा अभिप्रायों के अनुसार ही होता है। अत: अविश्वसनीय होते हुए भी वे विश्वसनीय होते हैं।

कथानक की गतिशील घटनाएँ सीधी रेखा में नहीं चलती हैं। उनमें उतार चढ़ाव आते हैं, भाग्य बदलता है, परिस्थितियाँ मनुष्य को कुछ से कुछ बना देती हैं और उसे अपने संगी-साथियों के साथ या बाह्य शक्तियों अर्थात्‌ अपनी परिस्थिति के विरुद्ध उसे प्राय: संघर्ष करना पड़ता है।  (@wikipedia 28 जून 2021).

सोप ओपेरा / धारावाहिक

टेलीविजन धारावाहिक या रेडियो धारावाहिक ऐसी नाटकीय कथा को कहते हैं जिसे किस्तों में विभाजित करके उन किस्सों को टेलीविजन या रेडियो पर एक-एक करके दैनिक, साप्ताहिक, मासिक या किसी अन्य क्रम के अनुरूप प्रस्तुत किया जाता है।

इन्हें अंग्रेजी व अन्य कई भाषाओं में साबुन नाटक या सोप ओपेरा भी कहा जाता है। क्योंकि ऐसी धारावाहिकों को शुरू में प्रॉक्टर एंड गैंबल, कोलगेट पामोलिव और लीवर ब्रदर्स जैसी साबुन बनाने वाली कंपनियों के सौजन्य से पेश किया जाता था। इन धारावाहिकों को टीवी सीरियल से टीवी श्रृंखला भी कहते हैं।

टेलीविजन और रेडियो धारावाहिक का एक अहम तत्व उनकी कहानियों का अनंत चलता हुआ विस्तार होता है, जिसमें मुख्य कथाक्रम के अंदर नई कहानियां आरंभ होती है और फिर कई कड़ियों के दौर में विकसित होती हैं और फिर अंजाम पर पहुंचती है।

इसमें कई कहानियां एक साथ चल सकती है और धारावाहिक लिखने बनाने वाले अक्सर इनका रूप दर्शकों की बदलती रुचियां और भावनाओं के अनुसार बनाते जाते हैं। इसी तरह कहानी में मोड़ देकर उन पात्रों की भूमिका बढ़ा दी जाती है जिनमें दर्शकों को दिलचस्पी कम रहती है।

भारत में हमलोग, क्योंकि सास भी कभी बहू थी, ससुराल गेंदा फूल और यह रिश्ता क्या कहलाता है जैसे धारावाहिक बहुत सफल रहे हैं।

1980 के दशक में पाकिस्तान के ‘धूप किनारे’ और ‘तनहाइयां’ जैसे धारावाहिक भी सफल रहे हैं और ये भारत में भी देखे गए हैं। अमेरिका का ‘गाइडिंग नाइट’ नामक धारावाहिक 1937 में रेडियो पर शुरू हुआ ,1952 में टेलीविजन पर स्थानांतरित हुआ और फिर 2009 में जाकर बंद हुआ । स्त्रोत के आधार पर इसे विश्व का दूसरा लंबे चलने वाला धारावाहिक के नाम से गिनीज बुक में सूचीबद्ध है।(विकिपीडिया)

1970 के दशक के अंत में दूरदर्शन पर दो धारावाहिक शुरू हुए थे जिन्हें भारत के पहले धारावाहिक का दर्जा दिया गया था हिना के नाम थे ‘अशांति शांति के घर’ जिसमें ‘आगा’ और ‘नादिरा’ ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थी एवं ‘लड्डू सिंह टैक्सी ड्राइवर’ जिसमें ‘पेंटल’ ने मुख्य भूमिका निभाई थी।

सिटकॉम्स:- सिटकॉम दो शब्दों से मिलकर बना है सिचुएशन और कॉमेडी। हम इसे एक विशेष हास्य स्थिति के आधार पर साजिश या कहानी के साथ एक एपिसोडिक कॉमेडी टेलीविजन कार्यक्रम कह सकते हैं। जैसे ग़ैरकथानक कथा कथानक कार्यक्रमों की कॉमेडी शो में देखा गया है।

ऐसे ही इन कहानियों में होता है, इसमें पहले एक कहानी तैयार की जाती है और उस कहानी में कुछ ऐसी क्वेश्चन तैयार किए जाते है कि लोगों को उस सिचुएशन की वजह से हंसी आ जाती है जब भी ऐसे नाटक तथा घटनाएं बनाई जाटी हैं जिसमें परिस्थितियां ऐसी पैदा हो जाए जिसमे लोगों को हँसी आ जाए तो वह सिटकॉम कहलाती है।

टेलीफिल्म:- ऐसी फिल्में जो टेलीविजन के लिए बनाई गई ही, जिनको थिएटर में प्रस्तुत करने के लिए ना बनाया गया हो। वह सारी फीचर लेंथ फिल्में जिनका टेलीविजन के लिए निर्माण किया गया है और टेलीविजन पर प्रस्तुत किया गया है वह सारी फिल्में टेलीफिल्म कहलाती है।

टेलिप्ले:- सीमित विषय पर सीमित वक्त के लिए जो टेलीविजन के लिए नाटक तैयार किए जाए तो उन्हें टेलीप्ले कहते हैं। जैसे शुरुआत में दूरदर्शन पर आधे-आधे घंटे के टेलीप्ले आते थे और जिस टेलीप्ले को अलग-अलग लोकल साहित्यकार, दिल्ली में रहकर बनाते और तैयार करते थे। अर्थात टेलीविजन पर प्रस्तुत होने वाले नाटक जिनको बढ़िया से टेलीविजन पर प्रस्तुत किया जाना है टेलीप्ले कहलाता है।

गैर कथानक कार्यक्रम

गैर कथानक कार्यक्रम, कथानक का सबसे व्यापक रूप है जिसमें सूचनात्मक, शैक्षिक और तथ्यात्मक लेखन शामिल है। यह एक विशेष विषय का एक सही खाता या प्रतिनिधित्व है। इसमें प्रामाणिक और सच्ची जानकारी, विवरण, घटनाओं, स्थानों, पात्रों या अस्तित्व वाली चीजों को चित्रित करने का दावा किया जाता है।

समाचार टॉक शो:- समाचार टॉक सो से तात्पर्य बातचीत का कार्यक्रम , जैसे सत्यमेव जयते ,कॉफी विद करण आदि । ऐसे कई समाचार टॉक सो टेलीविजन पर प्रसारित होते हैं। जब किसी शो में 1 से अधिक लोगों से बातचीत करते हैं तो वह समाचार टॉक सो कहलाता है। टॉक शो मनोरंजन परक और समाचार परक या कहें दोनों हो सकते हैं।

कार्टून:- कार्टून का अर्थ है कोई भी हाथ से मनोरंजक चित्र। कार्टून फिल्म एक चलचित्र (सिनेमा या उनका हिस्सा) होता है, जिसे एक कार्टून चित्रों के सिलसिले को लगातार फोटोग्राफी करके बनाया जाता है। हर चित्र अपने पिछले वाले से थोड़ा अलग हरकत या चाल चित्रित करता है जिससे कि हमारी आंखों को ये चलते फिरते नजर आते हैं, जब उनको इस सिलसिले में प्रोजेक्ट किया जाता है।

कार्टून फिल्म मनोरंजन का अच्छा साधन है, खासतौर पर बच्चों के लिए, ऐसे में कुछ टेलीविजन चैनल सिर्फ कार्टूनों के लिए बने जैसे पोगो, हंगामा, कार्टून नेटवर्क आदि। वर्तमान समय मे टेक्नीक ने इस काम को और आसान बना दिया है, अब कंप्यूटर पर ही ग्राफ़िक्स के गठजोड़ से कार्टून का निर्माण आसानी से किया जा सकता है।

डॉक्यूमेंट्री:- किसी वृत्त अर्थात समाचार या सत्य घटना पर आधारित फिल्म को डॉक्यूमेंट्री कहते हैं। इसमें कलात्मक अभिनय और मनोरंजन के स्थान पर वृत्त के विषय और उद्देश्य पर अधिक ध्यान रखा जाता है। ये मुख्यता एक विषय पर आधारित होती है।

जैसे:- नार्थ-ईस्ट दिल्ली में 2020 में फरवरी में हुए दंगे पर डॉक्यूमेंट्री जिसमें दंगे से संबंधित सारे प्रश्नों को दिखाने का प्रयास किया जाए और उसे सामने लाए। ठीक इसी प्रकार एक दूसरा उदाहरण ले तो नेटफ्लिक्स द्वारा 2018 में हुए बुराड़ी कांड को लेकर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री है आदि ऐसे कई उदाहरण आपको नेट पर देखने मे मिल सकते है।

रियलिटी शो:- जिस कार्यक्रम में रियल्टी यानी unscripted बातें होती हैं या फिर कोई सेलिब्रिटी को बुलाया जाता है उसके साथ मस्ती की जाती है उसके लाइफ से जुड़ी खास बातें की जाती है,उसे रियल्टी तो कहते हैं। जैसे बिग बॉस पर biggboss को पुरी तरह से reality पर आधारित नहीं कहा जा सकता है, इसमें कहीं-न-कहीं स्क्रिप्ट का बोलबाला होता है।

तो हम रियलिटी शो का दूसरा उदाहरण देखें तो हम नीरज चोपड़ा द्वारा ओलम्पिक में गोल्डेन पदक जीतने पर उनके यहाँ तक पहुँचने के, कठोर परिश्रम को दिखाना, मैरी कॉम के सफल होने तक आयी मुश्किलों को उनके ही शब्दों में लोगों के समक्ष रखना आदि वास्तविक शो के अंदर आते हैं।

कॉमेडी शो:- यह कार्यक्रम मनोरंजक परक होता है, इसमें शो में आये मेहमानों से ऐसे सवाल पूछे जाते है कि वहाँ पर बैठी पब्लिक को मजा आजाए।इसमें मेहमानों के जीवन से जुड़े सवाल भी कभी-कभी पूछ लिए जाते हैं पर ये सवाल हल्के-फुल्के अंदाज में पूछे जाते हैं ताकि किसी को बुरा न लगे। जैसे द कपिल शर्मा शो।

APNARAN MEDIUM PLATFORM

READ MORE

By Admin

Copy Protected by Chetan's WP-Copyprotect.

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading