THE PROPHET
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पुस्तक समीक्षा

नाम:- द प्रोफेट(THE PROPHET)
लेखक:- खलील जिब्रान
अनुवादक:- एम. ए. समीर
प्रकाशक:- फिंगरप्रिंट पब्लिशिंग
वर्ष: 1 जून 2019

सर्वश्रेष्ठ और सर्वप्रिय अलमुस्तफा यानी कि देवदूत जो अपने समय का अगुवा था, बारह वर्षों से अपने जहाज़ की प्रतीक्षा कर रहा था. ताकि वह उस जहाज की मदद से अपनी मातृभूमि वापस जा सके.

बारहवें वर्ष खलिहान के महीने के सातवें दिन अलमुस्तफा नगरी की चार दीवारी के बाहर पहाड़ी पर चढ़ा और समुद्र की ओर देखने लगा. दूर धुँधलेपन में उसने अपना जहाज आता हुआ देखा. उसका हृदय भर आया और उसका आनन्द समुद्र के ऊपर बिखरने लगा. उसने आँखें बंद की और आत्म-शांति के लिए प्रार्थना की.

लेकिन जैसे ही वह पहाड़ी से उतरा उसके ऊपर मलीनता छा गई और उसने दिल में सोचा.

“मैं कैसे शान्ति और सुख के साथ यहाँ से जा सकूँगा?” नहीं, मैं इस नगरी को बिना अपनी आत्मा घायल किए नहीं छोड़ सकता. मेरे इस नगरी में बिताए गए दुःख भरे दिन और अकेली सुनसान रातें बहुत लम्बी थीं.

ऐसा कौन है जो अपने दुःख और अकेलेपन को आसानी से अलग कर सके? इन गलियों में मेरी आत्मा के अनेकों टुकड़े बिखरे पड़े हैं और मेरी कामनाओं के अनेक बच्चे इन पहाड़ियों में नंगे घूमते हैं. मैं बिना भारीपन और दर्द महसूस किये इनसे अलग नहीं हो सकता.

यह सब सोचने के बावजूद भी अलमुस्तफा ओरफालीस नगरी में ठहरता नहीं है और वहाँ से जाने को तैयार हो जाता है. जैसे ही वह प्रस्थान होने को होता है ओरफालीस के लोग देवदूत को रोककर खड़े हो जाते हैं.

देवदूत इसके बावजूद भी वहाँ नहीं रुकता है लेकिन देवदूत को विदा करने से पहले ओरफालीस के लोग देवदूत से जीवन और रोज़मर्रा से जुड़े कई विषयों पर देवदूत के विचार जानते कि इच्छा प्रकट करते हैं.

देवदूत प्रस्थान होने से पूर्व ओरफालीस के लोगों के समक्ष जीवन के तमाम विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करते हैं. जीवन से जुड़े वह तमाम विषय कुछ इस प्रकार हैं. सुख, दुःख, प्रेम, कानून, न्याय, सौंदर्य, मृत्य, धर्म, आंनद, प्रार्थना, अच्छा-बुरा, समय, वार्तालाप, मित्रता, अध्यापन, आत्मज्ञान, दर्द, तर्क और भावुकता, स्वतंत्रता, अपराध और दंड, वस्त्र, मकान, कार्य, खाना और पीना, देना, बच्चे, शादी.

जीवन से जुड़े उपरोक्त सभी विषयों या पहलुओं पर देवदूत के विचारों को पढ़कर एक गहरी ठंढक मिलती है. हम सोचने के स्तर पर कितने सतही हैं इसका हमें अहसास होता है. इस पुस्तक को पढ़ते हुए साथ ही साथ इस बात की समझ भी विकसित होने लगती है कि हमें किसी भी विषय की गहरी समझ होनी कितनी जरूरी बात है.

द प्रोफेट के लेखक खलील जिब्रान को इस पुस्तक को लिखने में बारह वर्षों का समय लगा. जब आप यह पुस्तक पढ़ेंगे और इस पुस्तक में लिखित एक एक शब्द और वाक्यों से होकर गुज़रेंगे तो आपको जिब्रान की बारह वर्षों की कड़ी मेहनत का अहसास होगा.

यह पुस्तक सभी को पढ़ना चाहिए. युवा-व्यस्क, माता-पिता, बूढ़े-बुजुर्ग. वो भी एक बार नहीं बल्कि कई बार. हो सके तो बार बार…

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By Vishek

Writer, Translator

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