नशा की लत बहुत ही खराब होती है चाहे नशा किसी का भी हो या किसी भी तरह का हो उसका लत लग जाने पर उससे निकल पाना मुश्किल हो जाता है जिसे एक बीमारी कहें तो कोई गलत नहीं होगा| जो किसी व्यक्ति के मस्तिष्क और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है| कुछ पदार्थ जैसे गांजा, एल्कोहल जैसे तत्वों के अगर आप आदी हो जाते है और इसके नुकसान को जानते हुए भी इनका प्रयोग करते है, तो बेशक नशे की लत आपको कुछ देर के लिए शुकून दे रहा हो पर सामाजिक माहौल में खुद की संतुष्टि के लिए ऐसा करना किसी भी रूप में सही नहीं है जिसके बाद आपसे लोग दूर होने लग सकते हैं | असल में इन चीजों का सीधा असर दिमाग पर होता है और दिमाग के अंदर केवल नशे का दीमक ही घूमता रहता है जो समाज के साथ साथ आपके दिमाग को भी एक ही चीज के पास जाने को कहता है |

जिसके कारण दिमाग के कुछ हिस्से ऐसे प्रभावित होते है की, जो बिलकुल वैसी ही भावनाएं पैदा करते है जैसी लोगों को दूसरी खुशी देने वाले कामों से मिलती है, जैसे कुछ अच्छा खाने से| लेकिन अंतर यह है कि नशीले पदार्थ से उत्पन्न होने वाली आनंद की ये भावनाएं उसकी तुलना में कहीं ज्यादा प्रबल होती है। इसके कारण मस्तिष्क की कुछ कोशिकाओ से डोपापीन हार्मोन के रूप में कुछ रसायनिक संदेश भी निकलते है| यहीं वह चीज है जो शुरुआती के दौर में कोई दोस्त या फिर रिश्तेदार लेने का सलाह देते है पर याद रखिए आप जितनी तेजी से इन चीज़ों के आदी होंगे उतनी ही तेजी से आप इसके ग्रसित भी होंगे ऐसे में कौन सी वस्तु आपके लिए सही या गलत है पहले भांप लें वर्ना बाद में आपको बुरे नशे की लत भापने नहीं देगी|


एक बात और लत लगने वाली जोखिम दवाएं जैसे ओपीओइड दर्द निवारक दवाओं से लत लगने का उच्च जोखिम होता है और यह अन्य की तुलना में लत लगने का मुख्य कारण भी होती है| जैसे जैसे समय बीतता जाता है इन नशीले पदार्थों का असर बड़ता जाता है तो आपको अधिक से अधिक खुराक की जरूरत होने लगती है| और जल्द से जल्द बेहतर महसूस करने के लिए आपको इसकी आवश्यकता होने लगती है जैसे ही आप इसका उपयोग बढ़ाते है आपको लगता है आप इन नशीले चीज़ों के बिना रहना मुश्किल है|

अगर आप इन नशीले पदार्थो के लत से दूर रहना चाहते हैं और नशीले दवाओं से मुक्त होना चाहते हैं तो आपको अपने सच्चे और पारिवारिक डाक्टर, सदस्य मित्रो आदि से मदद लेना चाहिए जो आपको इसको दूर करने में मदद सकते हैं । पर याद रखिये नशे की लत उस आशिक की तरह है जिससे छूट पाना लगभग असंभव है इसलिए नशे की लत लगने से पहले उससे दूर हो जाएं|

नए वाहनों के नंबर प्लेट पर A/F क्यों लिखा होता है।

नए वाहनों के नंबर प्लेट पर A/f क्यों लिखा होता हैं? नए वाहनों के नंबर प्लेट पर A/F बारे में तो आपने अक्सर देखा होगा कि कोई भी आदमी जब शो-रुम से नई वाहन खरीदता है तो चाहे वह बड़ा वाहन हो या छोटा वाहन, अधिकतर नई वाहनों के नंबर प्लेट पर आपको A/F लिखा ही हुआ मिलेगा| तो आपने कभी सोचा है कि ये क्यों लिखा जाता हैं| मोटर वाहन अधिनियम 1989 के तहत नए और पुराने वाहनों का पंजीकृत होना चाहिए बिना किसी रजिस्ट्रेशन नंबर के गाड़ी चलाना गैर क़ानूनी माना जाता हैं।

दोस्तों गाड़ी चलाते समय नियमों का पालन करना बहुत ही ज़रूरी होता है यह हमारे लिए और दूसरे के लिए भी फायदेमंद होती हैं जब आप वाहन खरीदते है तो जब वह शोरूम से रास्ते पर आती हैं, तब उस वाहनों का टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता हैं। अगर वाहन को टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं दिया जाता हैं तब नंबर प्लेट पर A/f लिखा जाता हैं | अब आपको बता दूं कि A/f का मतलब Applied for होता हैं इसका मतलब यह होता हैं कि मालिक ने परमानेंट नंबर के लिए अप्लाई किया है|

यानी नंबर आने के लिए प्रोसीजर की है। A/f लिखे हुए नंबर प्लेट की गाड़ी को एक सप्ताह से अधिक तक चलाते हो तो ऐसा करना गैर कानूनी है क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय अधिकारी (RTO) द्वारा A/f लिखने की सुविधा सिर्फ उस समय तक के लिए दी जाती हैं जब तक कि आपको परमानेंट रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिल जाता है, यही कारण है की नए वाहनों के नंबर प्लेट पर A/f लिखा जाता हैं।

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