शाम का समय कुछ समय मैनें सोचा की चलो पार्क में ही बैठ लिया जाए पर उसको कहा मेरा खाली बैठना मंजूर था और खास कर शांती से। उसने भी न आव देखा और न ही ताव सीधे अपने काम में लगा लिया, अब भला बताओ खाली समय में कोई काम पर बुरा ले तो गुस्सा लगना जायज़ है पर मै उसकी बात कैसे टालू एक तो वह मेरी प्रेमिका और दूसरा जिंदगी का चांद। जिसके लिए मै जी रहा हूँ उसकी बात शायद ही मैं टाल पाऊँ और ऐसा भी हो सकता है कि मै उसके बिना जी भी न पाऊँ या फिर मर ही जाऊँ।


जैसी परिस्थितियों में उसने मुझे अपने का अहसास दिलाया है, जिसने मुझे जीना सिखाया, जिसने मुझे प्यार क्या है और उसकी सही परिभाषा क्या  है को समझाया और उसी का साथ मै छोड़ दूं ऐसा उसके साथ करके न जाने कौन सी बला अपने सर पर लैलूं। हां शायद वह इन बातों को अच्छे से समझती थी इसलिए उसने कभी प्यार से तो कभी डरा कर अपनी बात समझाने की कोशिश की, तो भला आप ही बताइए कि मै उसकी बातों को न मानने की गलती करता शायद कोई नहीं करता। अब आप सभी के मन में ये विचार आरहा होगा पार्क में बैठने और उसके काम के कहने को इतना बड़ा-चड़ा कर क्यों बता रहा है ये… क्या ये प्रेमिका को मानता नहीं है तो मेरी बात सुनिए आप वह मेरी प्रेमिका तो है पर मैने उसे अपने से बांध नही रखा और वह मेरी कैसी प्रेमिका है ये शायद तुम जानते हुए भी बेजान बन जाओ। तो चलो मै बता दूं कि वह मेरी कैसी प्रेमिका है पर इसको मै सुरुआत से बताना पसंद करूँगा……


मै अपने कर्म पथ जो कि पर्यावरण को अच्छा बनाए रखने के लिए था उससे मै जी चुरा रहा था पर पर्यारूपी प्रेमिका ने मुझे पकड़ लिया और उसने फिर से उस प्यार भरे पथ पर ला दिया जिसके लिए मै अपने जिंदगी को धन्य मानता हूं, मुझे लगता है  कि उसे पहले ही मेरे भावनाओं का पता चल गया पर अब ऐसी प्रेमिका जिसने मेरा हमेशा ध्यान रखा जिसने अपनी नींद को भुला कर मुझे अपने आँचल में लोरी गाकर सुनाया अब उसके बुलाने पर भला मै कैसे उसे अनदेखा कर जाऊँ, जिसने मुझे अपना सबकुछ देकर बदले में सुरक्षा की सोच रखे तो भला कैसे मै लालची बनकर उस प्रेमिका के सहारे को अपने आबरू से दूर कर जाऊँ, नहीं मैं उसकी आबरू से खिड़वाड़ नहीं कर सकता शायद तुम लोग भी नहीं….. 


हाँ, मै जानता हूँ कि मै कुछ ज्यादा ही भावनात्मक हो गया पर वह प्यार जो मेरा उसके लिए है मै उस प्यार को उससे किसी भी कीमत पर जुदा नही कर सकता पर जो बला की बात जो मैनें कही……. उसमें मुझे ये लगता है कि शायद आज उस प्यार से अहम हो गया है मुझे, जो वह मुझसे करती है । शायद अब मुझमें वो अहम आ गया है कि मैने ही उसे पाला पर फिर भी उसने मुझे मेरे काम में क्यों रोकती है जहाँ मुझे बहुत फायदा होने की संभावना होती है। फिलहाल ऐसी सोच मुझे पर्यावरण के आँचल से मुझे दूर ले जा रही है जो कि उस प्यार के आंचल को टुकड़े-टुकड़े कर देने की कोशिश में लगी है। लगता है मै ही उसके प्यार और संस्कारों को नहीं समझ पाया जो मुझे उसने अपनी ममता और प्यार से दिया था पर  अब क्या, अब तो प्रेमिका जा चुकी है, पता नहीं नाराज़ होकर या क्रोधित होकर । लेकिन अब मेरी गल्तियों को भूल कर उसने फिर से अपना हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया तो मै उसके भरोसे को कैसे तोड़ दू और अपने कर्तव्यों से अपने को कैसे मोड़ लू अब तो मेरे लिए,उसके मर्यादा को बचा पाऊँ और उसकी प्यार की झप्पी को संभाल पाऊँ यही मेरे लिए उसके प्रेम की निशानी होगी।।

By Admin

One thought on “प्यार का आँचल”

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