हेलो दोस्तों , स्वागत है आपका हमारे यूट्यूब चैनल पर, मै अभिनव तिवारी….. दोस्तों भारत सरकार ucc यानी uniform civil code लाने की बात कर रही है,, पर ये देखा गया है कि ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि आखिर यह कोड है क्या…इस कोड को सरकार क्यों ला रही है.. इस कोड से देश में क्या बदलाव होगा ….दोस्तों अगर आप भी अभी तक इस बिल से अनजान हैं, तो टेंशन बिल्कुल मत लीजिये और ये वीडियो देखिए… पर दोस्तों अगर आप हमारे चैनल पर नए हो तो इस चैनल को लाइक सब्सक्राइब के साथ आगे शेयर भी kariye….. ताकि आपको हमारी वीडियो तुरंत मिल जाए….
तो दोस्तों सबसे पहला प्रश्न तो यही है कि uniform सिविल कोड है क्या? दोस्तों uniform civil कोड का हिंदी में मतलब है समान नागरिक सहिंता यानी देश में हर नागरिक के लिए एक समान कानून का होना फिर भले ही वो किसी धर्म या जाति से संबंधित हों…
तो प्रश्न उठता है कि यह बिल क्यो जरूरी है?
तो दोस्तों जैसा कि हमे पता है कि भारत मे अलग अलग धर्म को मानने वाले लोग हैं जिनकी अलग अलग मान्यताएं हैं पर यूनिफार्म सिविल कोड के लागू हो जाने से हर धर्म का एक जैसा कानून हो जाएगा…..
इसे हम बिंदुओं से समझते हैं…
पहला बिंदु इस कानून के आने से धर्म से संबंधित मामलों का निपटारा करने में न्यायपालिका को केवल एक कानून का ही सहारा लेने होगा जिस कारण मामलों का निपटारा करने में आसानी होगी।
दूसरा बिंदु सभी के लिए कानून में एक समानता को बढ़ावा मिलेगा, और इस बात में कोई दो राय नहीं कि जहाँ हर नागरिक समान हो, उस देश का विकास तेजी से होता है।
तीसरा बिंदु यह है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसलिए कानून के एक समान हो जाने पर धर्म को एक तरफ रखकर लोगों से एक समान कानूनी प्रक्रिया की जा सकेगी।
वहीं चौथा बिंदु देखें तो हर भारतीय पर एक समान कानून लागू होंगे जिससे राजनीत में भी बदलाव आएगा या हम यू कह सकते हैं कि वोट बैंक और ध्रुवीकरण की राजनीति पर लगाम कसने में आसानी होगी।
वहीं अब ये सवाल आएगा कि क्या ये कानून भारत के लिए कितना जरूरी है?
तो हाँ दोस्तों ये कानून भारत मे बेशक बहस छिड़े होने के कारण आशंका पैदा करे, पर इसकी जरूरत के लिए ,अगर हम अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान , बांग्लादेश, मलेशिया, टर्की, और इजिप्ट जैसे कई देशों को देखें,जहाँ पर ये कानून लागू हो चुके हैं तो हमे इस कानून के जरूरत का पता भारत के लिए कितना है अपने आप ही चल जाएगा।।
अब फिर ये सवाल उठता है कि जब कानून इतना अच्छा है तो अभी तक लाया क्यो नही गया था?
ऐसा नहीं है कि इस कानून को लाने का प्रयास नहीं किया गया पर जितने भी प्रयास किये गए वो किसी न किसी तरह विद्रोह का शिकार होना पड़ा क्योंकि ऐसा ज्यादातर लोगों का मानते हैं कि इससे उनका धार्मिक अधिकार छीन लिया जाएगा।
तो प्रश्न उठता है कि क्या सच मे लोगों का धार्मिक अधिकार इससे छीन लिया जाएगा?
तो उत्तर है नहीं, किसी भी व्यक्ति का इस कानून को लाने से अधिकार खत्म नहीं होगा क्योंकि भारत संविधान के अनुच्छेद 44 में यूनिफार्म सिविल कोड का पक्ष लिया गया है जो कि पूरी तरह सरकार पर निरभर करता है कि वह कानून बनाये या नही पर इसके तहत आर्टिकल 25 और 29 में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी वर्ग को अपनी धार्मिक मान्यताओं और रीति रिवाजों को मानने का पूरा अधिकार देता है। वहीं एक बात यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत केवल हर धर्म के लोगों को समान कानून के दायरे में लाया जाएगा, जिसके तहत शादी तलाक, प्रॉपर्टी, और गोद लेने जैसे मामले शामिल होंगे। जिससे लोगों का कानून पर विश्वास अडिग हो सके।
लेकिन इसके अंतर्गत एक बात यह भी जान लेना आवश्यक है कि कुप्रथा को धार्मिक स्वतंत्रता बिल्कुल नहीं मान सकते। यदि महिला और पुरुष में कहीं भी गैर बराबरी होती है तो उसे धार्मिक स्वतंत्रता का तबका नहीं दिया जा सकता क्योंकि भारत सेक्युलर संविधान से चलता है। जिसकी मूल आत्मा है बराबरी वहीं अगर कोई भी रीति रिवाज गैर बराबरी के सिद्धांत पर है तो उसे संविधान धार्मिक स्वतंत्रता नहीं मान सकता और आर्टिकल 37 में ये साफ साफ लिखा है कि नीति निर्देशक सिद्धान्त को लागू करना सरकार की फंडामेंटल ड्यूटी है। इसलिए सरकार को उन सभी डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स को लागू करना जरूरी है जो भारतीय संविधान के पक्ष को मजबूत करता हो।
अब प्रश्न उठता है कि किस प्रकार कानून बनाये की कोई गतिरोध न हो?
तो हम आपको बता दे दोस्तों की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट सीधे तो सरकार को कानून बनाने को नहीं कह सकता पर हाँ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट सरकार को यह कह सकता है कि वह एक ज्यूडिशियल कमिशन बनाये या फिर एक्सपर्ट कमेटी , जो विकसित देशों के कॉमन सिविल कोड और भारत मे चल रहे कानूनों को पढ़ कर और सब की अच्छाइयों को मिला कर एक मोडल को ड्राफ्ट करके वेबसाइट पर डाल दे ताकि इस विषय पर खूब चर्चा हो ताकि जो लोग गलतफहमी में हों या गलत एजेंडा चला रहे हों उसे बंद करने में मदद मिल सके।
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि सुप्रीम कोर्ट और high कोर्ट ने इस कानून को लाने के लिए ऐसा पांचवी बार किया है।
अब प्रश्न उठता है कि जब पांचवी बार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने अपना राय व्यक्त कर दिया है तो फिर दिक्कत क्यों?
तो दोस्तों हम आपको बता दे कि किसी भी बिल को कानून बनाने के लिए दोनों ही सदनों राज्यसभा और लोकसभा से दो तिहाई बहुमत चाहिए पर भारत जनता पार्टी जो कि सत्तारूढ़ पार्टी है…. लोकसभा में तो बहुतमत प्राप्त कर सकती है पर राज्यसभा मे बहुमत न होने के कारण इस बिल को पास करवा पाना मुश्किल है,,,, हाँ अगर इसके लिए अन्य पार्टियां और सभी धर्म समुदाय के लोगों को विश्वास में ले लिया जाए तो बात अलग है वरना 1951 में हिन्दू कोड बिल को लेकर अड़े नेहरू की तरह इसे भी ठंडे बस्ते में डालना होगा जो कि अंतिम चारा होगा।।।।।
तो दोस्तों यूनिफार्म सिविल कोड क्या है, क्यो जरूरी है, इसकी दिक्कते क्या हैं इनके जैसे अन्य प्रश्नों के बारे में आशा है कि आपको समझ मे आ गया होगा। तो दोस्तों मिलते हैं आपसे अगले वीडियो में तब तक धन्यवाद जय हिंद….
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