
लहू शरीर में पाया जाने वाला अनिवार्य तरल पदार्थ है, जो कि पोषक तत्व और ऑक्सीजन को कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम करता है और अपशिष्ट (खराब,गंदा) पदार्थों को कोशिकाओं से ले जाकर शरीर के बाहर निकालने में मदद करता है। मनुष्य और जानवरों में रक्त की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। रक्त अलग-अलग तरह की कोशिकाओं से मिलकर बना होता है जो कि रक्त प्लाज्मा में तैरती रहती हैं।
प्लाज्मा एक तरल का पदार्थ होता है जिसका लगभग 92% भाग पानी होता है तथा प्लाज्मा में प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हारमोंस, कार्बन डाइऑक्साइड आदि तत्व भी समाहित होते हैं, रक्त का 55 प्रतिशत भाग प्लाज्मा का बना होता है।
रक्त के कार्य (BLOOD WORK)
मनुष्य के शरीर में रक्त का तीन मुख्य काम होता है matlab शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में पदार्थों का परिवहन जैसे श्वसन गैस, अपशिष्ट पदार्थ, एंजाइम, रोगों से रक्षा करना और शरीर के तापमान का नियंत्रण करना, आदि |
– रक्त शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है |
– यह फेफड़ों से ऑक्सीजन लेता है और उसे शरीर के अन्य अंगों में पहुंचाता है|
– यह सांस बाहर छोड़ने के लिए शरीर की कोशिकाओं से कार्बन डाईऑक्साइड लेकर उसे फेफडों में पहुंचाता है |
– यह छोटी आंत में पचाए गए भोजन को लेता है और उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है |
– यह अंतःस्रावी ग्रंथियों से हार्मोन लेता है और उसे शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है |
– यह जिगर से अपशिष्ट उत्पाद यूरिया लेता है और उत्सर्जन(निकालने) हेतु उसे गुर्दे में ले जाता है |
– रक्त संक्रमण से बचाता है |
लाल रुधिर कोशिका(RBC)- लाल रुधिर कोशिकाएँ लाल रंग की होती हैं। हीमोग्लोबिन के कारण इनका रंग लाल होता है। ये 7.2 म्यू व्यास की गोल परिधि की और दोनों ओर से पैसे या रुपए के समान चिपटी होती हैं। इनमें केंद्रक नहीं होता। वयस्क पुरुषों के रुधिर के प्रति धन मिलीमीटर में लगभग 50 लाख और स्त्रियों के रुधिर के प्रति घन मिलिमीटर में 45 लाख लाल रुधिर कोशिकाएँ होती हैं। इनकी कमी से रक्तक्षीणता (देखें रक्तक्षीणता) तथा रक्त श्वेताणुमयता (Leukaemia) रोग होते हैं।
RBC का विकास- आधुनिक मत के अनुसार लाल रुधिर कोशिकाओं का निर्माण रक्त परिसंचरण प्लीहा तंत्र के बाहर होता है। सबसे पहले बनी कोशिका हीमोसाइटोब्लास्ट (Haemoctoblast) कहलाती है। पीछे यह कोशिका लाल रुधिर कोशिका में बदल जाती है। भ्रूण में लाल रुधिर कोशिका रुधिर परिसंचरण क्षेत्र में बनती है। पहले इसके मध्य में केंद्रक होता है, जो पीछे विलीन हो जाता है। शिशुओं के मध्यभ्रूण जीवन से लेकर जन्म के एक मास पूर्व तक लाल रुधिर कोशिकाओं का निर्माण यकृत एवं प्लीहा में होता है। शिशु जन्म के बाद लाल रुधिर कोशिकाएँ अस्थिमज्जा में बनती हैं।
लाल रुधिर कोशिकाओं (erythrocytes) का जीवन 120 दिन का होता है, तत्पश्चात् इनका अंत pliha me हो जाता है।
श्वेत रुधिर कोशिकाएँ(WBC)- ये लाल रुधिर कोशिकाओं से पूर्णतया भिन्न होती हैं। इनमें हीमोग्लोबिन नहीं होता, पर इनमें केंद्रक होते हैं। ये आकार में लाल रुधिर कोशिकाओं से बड़ी होती है। कुछ श्वेत रुधिर कोशिकाओं में कणिकाएँ होती हैं।
श्वेत रुधिर कोशिकाओं में जीवाणुओं के भक्षण(नष्ट) करने की शक्ति होती है। इनकी संख्या 6,000 से 8,000 प्रति घन मिलीमीटर होती है। संक्रामक रोगों के हो जाने पर इनकी संख्या बढ़ जाती है, पर मियादी बुखार, या तपेदिक हो जाने पर इनकी संख्या घट जाती है। श्वेत रुधिर कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं, एक में कणिकाएँ नहीं होतीं और दूसरी में कणिकाएँ होती हैं। पहले प्रकार को एग्रैन्यूलोसाइट्स (agranulocytes) और दूसरे प्रकार को ग्रैन्यूलोसाइट्स (granulocytes) कहते हैं।
श्वेत रुधिर कोशिकाएँ (White blood cell)निम्नलिखित कार्य करती हैं :
(1) आगंतुक जीवाणुओं का भक्षण करती हैं।
(2) ये प्रतिपिंडों की रचना करती हैं।
(3) हिपेरिन उत्पन्न कर रुधिरवाहिकाओं में ये रुधिर को जमने से रोकती हैं।
(4) ये प्लैज़्मा प्रोटीन और कुछ कोशिका प्रोटीन की भी रचना करती हैं।
(5) हिस्टामिनरोधी कार्य कर शरीर को एलर्जी से बचाने में सहायक होती हैं।
एग्रैन्यूलोसाइट्स कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं :
(1) लसीकाणु (lymphocyte) कोशिका और
(2) मोनोसाइट (monocyte) कोशिका।
लसीका कोशिकाएँ लघु और विशाल दो प्रकार की होती है। मोनोसाइट कुल श्वेत रुधिर कोशिकाओं की 5 से 10 प्रतिशत तक होती हैं।
ग्रैन्यूलोसाइट कोशिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं :
(1) न्यूट्रोफिल्स (Neutrophiles, 60 से 70 प्रतिशत)।
(2) ईओसिनोफिल्स (Eosinophilesm, 1 से 4 प्रतिशत)।
(3) बेसोफ़िल्स (Basophiles 0.5 से 1 प्रतिशत)।
Blood के बारे में कुछ रोचक तथ्य
- एक बूंद खून में 10,000 white ब्लड सेल्स और लगभग 2,50,000 लाख प्लेटलेट्स होती है।
- विश्व में खून का पहला ट्रांसफर 1667 में दो कुत्तों के बीच मे किया गया था।
- आपको लगता होगा कि मच्छर थोड़ा सा रक्त पीटा है, लेकिन यह बात जानकर आप ताज्जुब होंगे कि 12 लाख मच्छर आपका पूरा खून चूस जाएंगे वो भी कुछ समय में। मच्छर के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्हें “o” ग्रुप का खून पीना ज्यादा अच्छा लगता है।
- हमारा दिल कितनी तेज धड़कता है यह आप इस बात से समझ सकते हैं कि जब यह दिल शरीर के बाहर खून पंप करने लगे तो यह रक्त को लगभग 30 फिट ऊपर तक उछाल सकता है।
- ब्राज़ील देश मे एक ऐसा आदिवाशी समूह है, जिसका नाम ‘बोरोरो’ है, इस समूह के सभी लोगों का ब्लड ग्रुप “O” है।
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