Sanchar Ki Paribhasha, Sanchar Ki Meaning Aur Sanchar Ke Prakar

अपना रण

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संचार(Sanchar)

संचार एक ऐसी प्रक्रिया है, जो कि सृष्टि में जीवन के प्रारंभ के साथ-साथ निरंतर चलती आ रही है। कहने का तात्पर्य है कि, धरती पर जबसे जीवन का अंकुरण हुआ है तबसे संचार समय-दर-समय किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है। हम अगर कहें कि, जिस प्रकार से प्राणवायु के बिना मनुष्य जिंदा नहीं रह सकता ठीक उसी प्रकार से संचार के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है, तो यह गलत नहीं होगा।

मनुष्य का उदाहरण ले तो मनुष्य के उठने से लेकर सोने तक की जाने वाली क्रियाएं संचार के अंतर्गत ही आते हैं, फिर वह चाहे सुबह अपने पैरेंट्स को अभिवादन करना हो, अपने को स्कूल या कॉलेज के लिए तैयार करना हो, किसी को गुस्सा दिखाना हो या दिलाना हो, दोस्तों के साथ खेल खेलने के लिए मनाना हो, किसी दिवाल पर कुछ चित्र या आकृतियों को उकेरना, आदि सभी क्रियाएं संचार के अंतर्गत ही आते हैं।

संचार का सामान्य अर्थ देखा जाए तो, किसी सूचना या संदेश को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक या कहें एक जीवधारी से दूसरे जीवधारी तक पहुंचाना या उसका संप्रेषण करना है।

संचार के शाब्दिक अर्थ की बात करें तो संचार को अंग्रेजी में “Communication” कहते हैं। जो कि latin भाषा के “Communis” शब्द से बना है, जिसका अर्थ है “सामान्य”।

संचार शब्द के तात्पर्य की बात करें तो सूचना देने वाले संचारक(Sender) और ग्रहण करने वाली प्रापक(Receiver) के मध्य संचार या उभयनिष्ठता स्थापित करने से है। अन्य शब्दों में अगर हम इसे समझे तो, संचार एक ऐसी कला है जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के विचारों, भावनाओं से प्रभावित या उसका सहभागी होता है।

संचार एक ऐसा शब्द है जिसकी जितनी ज्यादा परिभाषाएं दे दी जाए, वह उतनी ही और ज्यादा परिभाषा की मांग करनी लगती है, इसलिए आज भी संचार के किसी एक परिभाषा को सर्व सम्मत नहीं माना गया है। पर फिर भी संचार की कुछ परिभाषाएं निम्न हैं:-

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संचार की कुछ परिभाषाएं

  1. जब दो या दो से अधिक व्यक्ति आपस में कुछ सार्थक चिन्हों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम से विचारों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे संचार कहते हैं।
  2. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार:- विचारों, जानकारी वगैरह का विनिमय, किसी और तक पहुंचाना या बांटना, चाहे वह लिखित, मौखिक या सांकेतिक हो संचार है।
  3. चार्ल्स ई. ऑसगुड के अनुसार:- आमतौर पर संचार तब होता है, जब एक सिस्टम या स्त्रोत किसी दूसरे या गंतव्य को विभिन्न प्रकार के संकेतों के माध्यम से प्रभावित करें।
  4. मैकडेविड और हरारी के अनुसार:- मनोवैज्ञानिक दृष्टि से संचार का तात्पर्य व्यक्तियों के बीच विचारों और अभिव्यक्तियों के आदान-प्रदान से है।

संचार मुख्यतः चार प्रकार का होता है:-

  1. अंतः वैयक्तिक संचार (Intrapersonal Communication)
  2. अंतर वैयक्तिक संचार (Interpersonal Communication)
  3. समूह संचार (Group Communication)
  4. जन संचार (Mass Communication)

अंतः वैयक्तिक संचार (Intrapersonal Communication):–

यह संचार की वह प्रक्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति खुद से ही संचार करता है कहने का तात्पर्य इसकी परिधि में व्यक्ति स्वयं ही संप्रेषक और स्वयं ही प्रापक होता है। वास्तव में कहें तो यह एक मनोवैज्ञानिक क्रिया है जिसके अंतर्गत मानव व्यक्तिगत रूप से अपने ही अंदर चिंतन और मनन करता है। अगर कोई व्यक्ति सपना(Dream) देखता है या कुछ सोच रहा होता है तो वह भी एक प्रकार का अंत:वैयक्तिक संचार ही है। इसके अंतर्गत मानव अपने केंद्रीय स्नायु-तंत्र (Central Nervous System) तथा बाह्य स्नायु-तंत्र ( Perpheral Nervous System) का प्रयोग करता है। केंद्रीय स्नायु-तंत्र में मस्तिष्क(Mind) आता है, जबकि बाह्य स्नायु-तंत्र में शरीर के अन्य अंग आते हैं। यहाँ हम यह कह सकते हैं कि वह व्यक्ति जो अंत:वैयक्तिक संचार नहीं करता है वह पागल है।

अंत: वैयक्तिक संचार की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं :- 

  • इस संचार को मानव स्वयं संचालित करता है और अपने जीवन की योजनाओं को तैयार करने का प्रयास करता है या अपने जीवन के योजनाओं को तैयार करता है।
  • मानव इस संचार के अंतर्गत अपने सुख-दुख का अनुभूति करता है।
  • अपने जीवन के लिए उपयोगी तथा आवश्यक आयामों का आविष्कार करता है।
  • इससे वह अपने दिल और दिमाग पर नियंत्रण रख सकता है, और
  • अपने मन मे ही वह अपने कार्यों, संदेशों, सूचनाओं, आदि के प्रति फीडबैक(प्रतिपुष्टि) व्यक्त करता है।

अंतर वैयक्तिक संचार(Interpersonal Communication)

यह संचार की वह प्रक्रिया है जिसमें 2 लोग शामिल होते हैं। जब 2 लोग आपस मे अपने भावनाओं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं तो उसको अंतर वैयक्तिक संचार कहा जाता है। यह संचार आमने-सामने होता है। यह संचार एक दो-तरफा (Two-way communication)  प्रक्रिया है। यह किसी भी रूप में फिर चाहे वह स्वर हो, संकेत हो, शब्द हो, ध्वनि हो, संगीत हो, चित्र हो, नाटक हो, आदि के रूप में हो सकता है। इसमें फीडबैक त्वरित और सबसे अच्छा मिलता है।

उदाहरण के तौर पर हम किसी मासूम बच्चे को ही ले लें, जो कि नवजात से जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है, वैसे-वैसे समाज के सम्पर्क में वह धीरे-धीरे आता जाता है और वह अंतर वैयक्तिक संचार को अपनाने लगता है। माता-पिता के बुलाने पर उस बच्चे का हंसना, बोलना या फिर भागना एक अंतर वैयक्तिक संचार का प्रारंभिक उदाहरण(Example) है। इसके बाद वह जैसे-जैसे किशोरावस्था की ओर बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे वह भाषा को, परम्परा को, अभिवादन आदि को अंतर वैयक्तिक संचार प्रक्रिया से सीखने लगता है। पास-पड़ोस के लोगों से उसके जुड़ने में भी, अंतर वैयक्तिक संचार की महत्वपूर्ण योगदान होती है। साक्षात्कार, कार्यालयों में हो रहे वार्तालाप, समाचार का संकलन आदि अंतर वैयक्तिक संचार के उदाहरण हैं।

अंतर वैयक्तिक संचार की विशेषताएं

  1. यह एक आंतरिक संचार है जिसके चलते फीडबैक तुरंत तथा बेहतर रूप में मिलने की संभावना रहती है।
  2. इसमें बाधा आने की संभावना कम होती है।
  3. संचारक और प्रापक के मध्य सीधा सम्पर्क और सम्बन्ध स्थापित होता है।
  4. इसमें एक संचारक के पास किसी प्रापक को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त अवसर और समय होता है।
  5. संचारक और प्रापक शारीरिक व भावनात्मकता की दृष्टि से ज्यादातर एक-दूसरे के समीप होते हैं।
  6. हस्तक्षेप करने का मौका प्रापक को।
  7. प्रापक के बारे में संचारक ज्यादातर पहले से ही, बहुत कुछ जानता रहता है।
  8. किसीसंदेश को भेजने के लिए अनेक तरीके होते हैं। जैसे- भाषा, शब्द, चेहरे की प्रतिक्रिया, भावभंगिमा, हाथ को पटकना, आगे-पीछे हटना, सिर को जोर से झटकना आदि।

समूह संचार (Group Communication)

इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह वह संचार है जो समूह में किया जाता है। समूह संचार को समझने के लिए सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि समूह संचार क्या है? मनुष्य अपने जीवन के दौरान किसी-न-किसी समूह का सदस्य अवश्य ही होता है। वह अपनी आवश्यकतओं को पूरा करने के लिए नए समूहों का भी निर्माण करता है। अगर मानव समूहों से पृथक हो जाए तो वह अलग-थलग पड़ जाता है, अकेला हो जाता है। समूह में रहकर जहां किसी के व्यक्तित्व का विकास होता है, तो वहीं देखा जाए तो सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि भी होने की संभावना रहती है। समूह के माध्यम से एक पीढ़ी के विचार को दूसरे पीढ़ी तक पहुँचाया जाता है। जब कुछ लोग किसी उद्देश्य के चलते एक-दूसरे मनुष्य से पारस्परिक सम्पर्क का निर्माण करते हैं और एक-दूसरे को जानते पहचानने लगते हैं तो उसे एक समूह की संज्ञा दे सकते हैं।

अत: हम कह सकते हैं कि जब 2 से अधिक व्यक्ति आपस में अपने भावनाओं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे समूह संचार कहा जाता हैं। उदाहरण के लिए देखें क्लासरूम में पढ़ाई के लिए ग्रुप का निर्माण, एक साथ किसी बात पर हंसना, कवि सम्मेलन, भाषण आदि सब समूह संचार के ही उदाहरण हैं।

समूह संचार की विशेषताएं

  1. सदस्यों के बीच समान रूप से विचारों, भावनाओं का आदान-प्रदान होता है।
  2. संचारक और प्रापक के बीच निकटता होती है।
  3. विचार-विमर्श के माध्यम से समस्याओं का समाधान किया जाता है।
  4. संचारक का उद्देश्य सदस्यों के बीच चेतना विकसित कर दायित्व बोध कराना होता है।
  5. फीडबैक समय-समय पर समूह के सदस्यों से प्राप्त होते रहते हैं।
  6. किसी समस्या के मूल उद्देश्यों के अनुकूल ही संदेश को सम्प्रेषित किया जाता है।
  7. प्रापकों की संख्या निश्चित होती है, सभी अपनी इच्छा व सामर्थ के अनुसार सहयोग करते हैं।

जन संचार (Mass Communication)

जनसंचार दो शब्दों के योग से मिलकर बना है। जन और संचार। जिसमें जन का अर्थ भीड़ से है और संचार का अर्थ सूचनाओं, संदेशों, भावनाओं के आदान-प्रदान से है। यह समूह संचार का वृहद रूप है। जिस प्रकार से न्यूज पेपर, रेडियो, टेलीविजन, केबल, इंटरनेट, वेब पोर्टल्स का प्रयोग बढ़ता जा रहा है, ठीक उसी तरह जनसंचार के क्षेत्र का भी विस्तार होता जा रहा है।

जनसंचार को अंग्रेजी भाषा में “Mass Communication” कहते हैं, जिसका अभिप्राय है बिखरी हुई जनता तक संचार के माध्यमों की मदद से सूचना को पहुंचाना। समाचार पत्र, टेलीविजन, रेडियो, सिनेमा, केबल, इंटरनेट, वेबपोर्टल आदि अत्याधुनिक संचार माध्यम हैं। जनसंचार का अर्थ एक विशाल और बड़े जनसमूह के साथ संचार करना है। दूसरे शब्दों में कहें तो, जनसंचार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा वृहद रूप में प्रस्तुत किए गए संदेशों को, जन माध्यमों के प्रयोग से, एक-दूसरे से अंजान तथा विषम जातीय जनसमूह तक किसी संदेश को सम्प्रेषित किया जाना है।

जनसंचार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं :-

  1. जनसंचार में विशाल भू-भाग में रहने वाले प्रापकों से एक साथ सम्पर्क स्थापित आसानी से हो सकता है।
  2. समस्त प्रापकों के लिए संदेश समान रूप से होता है।
  3. संचार माध्यम की मदद से संदेश का सम्प्रेषण किया जाता है।
  4. किसी संदेश के सम्प्रेषण के लिए औपचारिक व व्यवस्थित संगठन होता है।
  5. संदेश सम्प्रेषण के लिए सार्वजनिक संचार माध्यम का उपयोग किया जाता है।
  6. प्रापकों के विभिन्न संस्कृतियों के मानने वालों के होने के बावजूद एक ही समय में सम्पर्क स्थापित करना संभव होता है।
  7. संदेश का यांत्रिक रूप से बहुल संख्या में प्रस्तुतिकरण या सम्प्रेषण होता है।
  8. इसमें फीडबैक जनसंचारक के पास विलम्ब से या कई बार नहीं भी पहुंचता है।

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