पोस्टल बैलेट या डाक मत पत्र क्या होता है कौन करता है इसका प्रयोग?

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भारत का प्रत्येक नागरिक जो अपने मत का उपयोग करने के लिए एक निश्चित आयु को प्राप्त कर चुका है उसे अपने मताधिकार से कोई नहीं रोक सकता है। हां, ऐसे कुछ नियम और कानून हैं जो किसी नागरिक को वोट देने से रोक सकते हैं या उनसे यह अधिकार नष्ट कर सकते हैं। परंतु इस पोस्ट में हम आज पोस्टल बैलेट या डाक मत पत्र क्या होता है और कौन करता है इसका प्रयोग?, के बारे में केवल जानेंगे……

चुनाव के समय में ऐसा नहीं है की सभी वोटर अपने वार्ड या नामांकित स्थान से ही अपने मताधिकार का प्रयोग कर पाए। उदाहरण के लिए एक सैनिक जो की देश की सुरक्षा के लिए बॉर्डर पर तैनात है ज्यादा अनुमान है की वह अपने निर्वाचित क्षेत्र न आपाए…. इसी तरह चुनाव ड्यूटी में लगा कर्मचारी के साथ भी हो सकता है, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी और प्रीवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग आदि, चुनावों में मतदान नही कर पाते हैं, ऐसे में चुनाव आयोग, चुनाव के नियमावली, 1961 के नियम 23 में संशोधन कर के ऐसे लोगों को चुनाव में पोस्टल बैलेट या डाक मत पत्र की मदद से चुनाव में वोट डालने की सुविधा प्रदान की है।

भारत में जब भी चुनाव होता है तब उसे भारत के लोग एक त्योहार की तरह मानते हैं फिर ये चुनाव चाहे राज्य स्तरीय हो, केंद्र स्तरीय हो, ग्राम स्तरीय हों या फिर कोई और चुनाव हो। चुनाव हमेशा एक फेस्टिवल के रूप में ही मनाया जाता है।

चुनाव को फेस्टिवल बनाने के ज्यादा श्रेय पहले नंबर पर तो चुनाव आयोग को जाता है जो 75 वर्षो से इस प्रक्रिया को बनाकर रखे हुए है और लोगों के विश्वास पर हमेशा कायम रही है। दूसरा श्रेय उस वर्ग को जाता है जो चुनाव के कद्र को समझते हैं और उसे आगे बढ़ाते हैं। अन्य श्रेय के रूप में मीडिया हाउस (बेशक ज्यादातर मीडिया,एक पक्ष से जुड़ी हुई लगती हैं), राजनीतिक पार्टियां, NGO’S का भी विशेष योगदान होता है। ये सब मिलकर माहौल को एक खुशनुमा माहौल दे देते हैं जिससे चुनाव और रोमांचकारी हो जाता है।

इन सब बातों को ध्यान में रखकर चुनाव आयोग यह भी सुनिश्चित करने का प्रयास करता है की अपने मत का प्रयोग करने के लिए नागरिक वोट देने या मतदान करने जरूर आए और इसी के साथ यह भी धाय देते हैं कि, कहीं कोई मतदाता, मतदाता सूची से बाहर न रह जाए ऐसे में वोटिंग पर्ची में सबका नाम हो, निगरानी करता रहता है। क्योंकि हर वोट है जरूरी । और हर वह व्यक्ति जो 18 वर्ष के आयु को पार कर गया है उसका वोटर लिस्ट में नाम और वोट देना देश के लिए बहुत अमूल्य है।

ऐसे में चुनाव आयोग उनका भी ध्यान रखता है जो अपने दिए गए वोटिंग बूथ पर किसी कारणवश नहीं आ सकते हैं। उनके लिए पोस्टल बैलेट या डाक मतदान की शुरुआत की। आइए अब विस्तार से ‘पोस्टल बैलेट या डाक मत पत्र क्या होता है कौन करता है इसका प्रयोग?’ के बारे में जानते हैं….

डाक मतदान(Postal ballot) ?

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि Postal ballot एक डाक मत पत्र होता है। यह 1980 के दशक में चलने वाले पेपर्स बैलेट पेपर की तरह ही होता है। चुनावों में डाक मत पत्र का इस्तेमाल उन लोगों के द्वारा किया जाता है जो कि अपनी नौकरी के कारण अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान नहीं कर पाते हैं। जब ये लोग Postal Ballot की मदद से वोट डालते हैं तो इन्हें Service voters या absentee voters भी कहा जाता है।

चुनाव आयोग पहले ही चुनावी क्षेत्र में डाक मतदान करने वालों की संख्या को निर्धारित कर लेता है। ऐसे में केवल उन्हीं लोगों को Postal ballot भेजा जाता है जिन्हें उसकी जरूरत होती है। इसे Electronically Transmitted Postal Ballot System (ETPBS) भी कहा जाता है।  

मतदाता द्वारा अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देकर  इस Postal ballot को डाक या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वापस चुनाव आयोग के सक्षम अधिकारी को लौटा दिया जाता है।

पोस्टल बैलट का उपयोग कौन कर सकता है (Who can avail Postal Ballot?)

इस नई व्यवस्था के तहत केवल पोस्टल बैलट को सेना और सुरक्षा बलों को इलेक्ट्रिक तौर पर भेजा जाता है। जिन इलाकों में इलेक्ट्रिक तरीके से पोस्टल बैलट नहीं भेजा जा सकता है वहां पर डाक के माध्यम से पोस्टल बैलट भेजा जाता है।

Postal Ballot का इस्तेमाल करने वाले लोगों के अंतर्गत कौन आता है….

  •  सैनिक
  • चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी
  • देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी
  • प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग (कैदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है)
  • 80 वर्ष से अधिक की उम्र के वोटर (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है)
  • दिव्यांग व्यक्ति  (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है)

नोट: वोटर, जिस चुनाव क्षेत्र में वोट डालने के लिए योग्य है उसका वोट उसी क्षेत्र की मतगणना में गिना जाता है।

कब से हुई शुरूआत पोस्टल बैलेट या डाक मत पत्र KI  (When Postal ballot Started in India)

पोस्टल बैलेट की शुरुआत 1877 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। इसे कई देशों जैसे इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि इन देशों में इसके अलग अलग नाम से जाना जाता है।

भारतीय चुनाव आयोग ने चुनाव नियामावली, 1961 के नियम 23 में संशोधन करके इन लोगों को चुनावों में Postal ballot या डाक मत पत्र की सहायता से वोट डालने की सुविधा के लिए 21 अक्टूबर 2016 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था

जब भी किसी चुनाव में वोटों की गणना शुरू होती है तो सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होगी। इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होती है। पोस्टल बैलेट की संख्या कम होती है और ये पेपर वाले मत पत्र होते हैं इसलिए इन्हें गिना जाना आसान होता है। तो अब आपको  Postal ballot के बारे में ज्ञात हो गया होगा कि आखिर ये क्या होता है और इसका प्रयोग किस काम में आता है|

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