अपना रण
प्रत्येक समाज के सामाजिक जीवन में जनमत अर्थात जनता के मत(Jansanchar madhyam AUR janmat nirman) का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जब भी लोगों के ‘आचार’, ‘व्यवहार’, और रवैये में परिवर्तन की बात आती है तो प्रायः जनमाध्यम की भूमिका पर बल दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी नीति को धारण करने या अपनाने के लिए तथा लोगों को प्रेरित करने के लिए आधुनिक जन माध्यमों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
जनमाध्यम हर प्रकार से व्यापक एवं सर्वशक्तिमान नहीं होते। जनमाध्यम के प्रभाव उस जनमत को सुदृढ़ करते हैं जो पहले से ही मौजूद हैं। जनमाध्यम से समस्याओं के समाधान में सहायता मिलती है, कई अध्ययनों से यह प्रमाणित हुआ है कि जनमाध्यमों के द्वारा लोगों की चुनाव में रुचि बढ़ी है। मुख्य तौर से अगर हम कहें तो आधुनिक जनमाध्यम यानी रेडियो, टेलीविजन और सोशल मीडिया इन सभी ने कहीं ना कहीं जनमत को प्रभावित किया है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम प्राय सत्ता पक्ष का प्रचार अधिक करते हुए दिखाई देते हैं क्योंकि इन पर ज्यादातर सत्ता का ही नियंत्रण होता है।
जनमाध्यम जनमत पर प्रभाव डालते हैं वे सर्वशक्ति संपन्न नहीं होते हैं। फिर भी वे जनमत को प्रभावित करते हैं। वैसे जनमत के प्रभाव उस जनमत को अधिक सुदृढ़ करते हैं जो पहले से ही मौजूद होते हैं। आधुनिक जनमाध्यम लोगों को महत्वपूर्ण घटनाओं और समस्याओं की सूचना देकर उन समस्याओं के समाधान तथा प्रशासन को प्रभावित करने हेतु, सक्षम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। जनमाध्यम जनमत(Jansanchar madhyam AUR janmat nirman) को निम्नलिखित तरीके से प्रभावित करता है:-
जनमाध्यम जनमत को तो प्रभावित करते ही हैं साथ ही साथ व्यक्ति के आचार व्यवहार को भी परिवर्तित करने में सहयोगी होते हैं। जनमाध्यम सामाजिक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं तथा राजनीतिक निर्णय लेने में, प्रभाव डालने का कार्य भी करते हैं। इनके माध्यम से ज्ञान का विस्तार संभव हो पाता है।
जनतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने के लिए उसके पक्ष में जनमत निर्माण करना आवश्यक होता है। यह जन्नत का निर्माण किसी साधन के बिना संभव नहीं है।
समाचार पत्र-पत्रिकाएं:- आधुनिक युग में जनमत के निर्माण में समाचार पत्र-पत्रिकाओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है। विभिन्न समाचार पत्र पत्रिकाएं विभिन्न दृष्टिकोण से समस्याओं पर विचार व्यक्त करते हैं जिसके परिणामस्वरूप समस्या के अनेक पहलुओं पर जनता के विचार प्राप्त होते हैं, यह आवश्यक नहीं है कि समाचार पत्र सदैव सही मार्ग की ओर की जनमत को तैयार करते हो। प्रायः देखने में आया है कि समाचार पत्र राजनीतिक दलों के नियंत्रण में ज्यादातर काम करते हैं। यह दबाव समूह अपने स्वार्थ के लिए जनमत निर्माण करते हैं।
रेडियो:- रेडियो जनमत निर्माण का महत्वपूर्ण साधन है। किसी समस्या के पक्ष में जनमत बनाने के उद्देश्य से अनुकूल सूचनाओं को प्रसारित किया जाता है। रेडियो का प्रभाव जनमत निर्माण के लिए समाचार पत्र पत्रिकाओं से अधिक होता है जनता पर रेडियो के प्रचार के मनोवैज्ञानिक प्रभाव को समझने के लिए अनेक अध्ययन भी किए गए हैं। जिसमें रेडियो के सकारात्मक की बहुलता है।
दूरदर्शन:- संचार माध्यम के रूप में दूरदर्शन आधुनिक युग का सबसे शक्तिशाली प्रभावशाली माध्यम माना जाता है जिसमें दृश्य श्रव्य दोनों सुविधाएं प्राप्त है। दूरदर्शन पर भिन्न-भिन्न विषयों तथा समस्याओं से संबंधित भाषण, विद्वानों एवं विशेषज्ञों के विचार, वाद विवाद, नाटक आदि प्रस्तुत किए जाते हैं जिससे एक विशेष जनमत का निर्माण होता है।
जनमत के साधन के रूप में दूरदर्शन अनेक गुणों से युक्त होता है यह एक साथ दूर दूर फैले जन समुदाय तक आंखों देखा हाल प्रसारित कर जनमत को प्रभावित करता है।
चलचित्र:- जनमत निर्माण में कुछ हद तक सिनेमा सहयोग देता है। फिल्म निर्माता किसी विशेष उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही फिल्म की कहानी, संवाद, गीत आदि का निर्माण करते हैं। अभिनेताओं के अभिनय से भी जनमत निर्माण में सहायता मिलती है।
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