अपना रण
लक्षद्वीप(Lakshadweep) , पूर्व में (1956-73) लक्कादीव, मिनीकाय और अमीनदीवी द्वीप समूह के रूप में जाना जाता था और वर्तमान में यह भारत का केंद्र शासित प्रदेश है।
यह भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से अरब सागर के लगभग 30,000 वर्ग मील (78,000 वर्ग कि.मी.) में फैले हुए कुछ तीन दर्जन (36) द्वीपों का एक समूह है ।
इस क्षेत्र में प्रमुख द्वीप मिनिकॉय और अमिंडी समूह में हैं।
सबसे पूर्वी द्वीप केरल राज्य के तट से लगभग 185 मील (300 कि.मी.) दूर है। इन द्वीपों में केवल दस ही द्वीपों पर आबादी है। केवल 6 द्वीपों पर ही टूरिज्म का कारोबार किया जाता है| जिसमें केवल दो द्वीपों(अगाती और बंगाराम) पर ही विदेशी पर्यटकों को जाने की अनुमति है|
लक्षद्वीप(Lakshadweep) नाम का अर्थ मलयालम भाषा में “सौ हजार द्वीप” और संस्कृत में ‘एक लाख द्वीप‘ है ।
वास्तव में यह एक बहुत रोचक कहानी है कि लक्षद्वीप भारत गणराज्य का अभिन्न भाग कैसे बना. क्योंकि जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से 1947 में आज़ाद हुआ. इस आज़ादी के साथ उसके दो टुकड़े भी कर दिए गए . उस समय न तो भारत को पता था कि लक्षद्वीप किसके अधिकार क्षेत्र में है और न ही नव-निर्मित देश पाकिस्तान को ही यह पता था. पता के नाम पर बस इतना ही पता था कि दोनों देश इस क्षेत्र पर अपनी हुकूमत चाहते थे लेकिन असमंजस की स्थिति में दोनों देशों के मुखाबिरों को शंका बनी हुई थी.
उस समय(1947 में) पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली की सोच यह थी कि लक्षद्वीप पर मुस्लिम की जनसंख्या ज्यादा है और भारत ने अपना दावा भी उस क्षेत्र के लिए नहीं किया है. ऐसे में क्यों न इसे पाकिस्तान में मिले लिया जाए. ठीक यही सोच भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार पटेल की भी थी. लेकिन दोनों ही देशों को यह बात असमंजस में डाल दे रही थी कि कहीं दूसरे देश ने उस द्वीप पर कब्जा न कर लिया हो.
असमंजस की स्थिति में पाकिस्तान ने जहाँ अपना एक युद्धपोत इस द्वीप पर अपना अधिकार जमाने के लिए भेजा वहीं सरदार पटेल किसी भी रूप में इस द्वीप को अपने अधिकार क्षेत्र से जाने नहीं देना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने त्रावणकोर में राजस्व कलेक्टर को निर्देश दिया कि वे तुरंत पुलिस टीम के साथ जाकर लहराएं ताकि पता चले कि वह भारत का इलाका है.
तेजी से आदेश का पालन करते हुए कलेक्टर लक्षद्वीप पहुँचे और बिना कोई विलम्ब किये भारत का तिरंगा फहरा दिया. ऐसा कहा जाता है कि इसके कुछ ही समय के बाद पाकिस्तान का युद्धपोत उस द्वीप पर पहुँचा, परंतु भारतीय झण्डा देखकर वापस पाकिस्तान चले गए. तब से लेकर अब तक यह द्वीप भारत का ही अभिन्न अंग है.
लक्षद्वीप पर भारत गणराज्य द्वारा पाकिस्तान से पहले तिरंगा फहराये जाने के चलते यह क्षेत्र भारत देश का अभिन्न अंग बन पाया. वैसे जब भारत के सैनिक वहाँ पर पहुँचे तो, उस द्वीप पर रहने वाले निवासियों को इन सब के बारे में कुछ भी नहीं पता था. सीधा कहा जाए तो वे न तो भारत के बारे में जान रहे थे और न ही पाकिस्तान के बारे में. बाद में उन्हें इसके बारे में विस्तृत जानकारी मिली जब वे अपना समान केरल बेचने आए.
READ MORE
REFERENCES