पतझड़

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पुस्तक समीक्षा:- पतझड़

नाम:- पतझड़
लेखक:- फ्रेडरिक नीत्शे
अनुवादक:- विशेक
प्रकाशक:- नोशन प्रेस
तिथि:- 14 जुलाई 2022
विधा:- कविता

पतझड़...जर्मनी के महान दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे वह पहले व्यक्ति हैं जिनके दर्शन, चिंतन और लेखन को मैंने सबसे अधिक पढ़ा, लिखा और उनके जीवन एवं रचनाओं पर कार्य किया है तथा अभी भी कर रहा हूँ।

फ्रेडरिक नीत्शे का व्यक्तित्व बहुमुखी है तथा उन्होंने दर्शन, मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद तथा परिघटनामूलक चिंतन के क्षेत्र में आमूलचूल योगदान दिया है। हालांकि बहुमुखी प्रतिभा के धनी फ्रेडरिक नीत्शे विश्व में एक दार्शनिक के रूप में प्रतिष्ठित हैं, लेकिन फ्रेडरिक नीत्शे के जीवन को करीब से देखने और पढ़ने पर फ्रेडरिक नीत्शे के कवि मन से रूबरू हुआ जा सकता है।

“पतझड़: जर्मनी के महान दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे की दुर्लभ कविताओं का पहला संग्रह” पुस्तक फ्रेडरिक नीत्शे की उन दुर्लभ कविताओं का हिन्दी भाषा में पहला संग्रह है जिसका अनुवाद करने की प्रेरणा मुझे पाब्लो नेरुदा की कविताओं को पढ़ते हुए मिली।

पाब्लो नेरुदा की कविताओं को हिन्दी में अनुवाद की जद्दोजहद में फ्रेडरिक नीत्शे की कविताओं से राब्ता हुआ और फिर धीरे-धीरे नीत्शे की दुर्लभ कविताओं का हिन्दी में अनुवाद करने में मुझे सफलता मिली।

फ्रेडरिक नीत्शे की कविताओं को जब मैंने पढ़ना शुरू किया तो मुझे उनके जीवन की घटनाओं का क्रमागत रूप से मार्मिक चित्रण एवं विवरण मिला। हालांकि मैं इससे पहले ही नीत्शे के जीवन को लेकर गहराई से पढ़ रहा था। ऐसे में मुझे नीत्शे की दुर्लभ कविताओं को मार्मिक रूप से समझने एवं अनुवाद करने में सहजता हुई।

इसमें भी नीत्शे के आखरी दिनों में उनके द्वारा लिखे वह पत्र जो उन्होंने अपने दोस्त फ्रांज ओवरबेक को लिखा था, उन पत्रों से भी नीत्शे की मनोस्थिति एवं यथास्थिति को समझते हुए उनकी कविताओं के शब्दों में निहित मार्मिक अर्थों को समझने में आसानी हुई। हालांकि नीत्शे ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जो कविताएं लिखीं उन कविताओं को भी अपने दोस्त फ्रांज ओवरबेक को ही भेजा।

नीत्शे की कविताएं नीत्शे के जीवन के विभिन्न पहलुओं एवं घटनाओं को मार्मिकता से उजागर करती हैं। नीत्शे ने अपनी कविताओं में अपने जीवन से जुड़ी तकरीबन उन सभी महत्वपूर्ण घटनाओं का खूबसूरत, ह्रदयस्पर्शी एवं मार्मिक विवेचन किया है जिन्हें पढ़कर नीत्शे से एक ख़ास क़िस्म का लगाव हो जाता है। नीत्शे की कविताओं में व्यक्तिवाद, ईश्वर, एकांत, प्रकृति, सत्यनिष्ठता, घुमक्कड़पन और विषाक्त सौंदर्य भाव मूलरूप से विद्यमान है।

फ्रेडरिक नीत्शे अपनी कविताओं में नमबर्ग में बिताए दिनों का ज़िक्र करते हुए पफोर्टा स्थान की खूबसूरती को बयां करते हुए बेहद ही खूबसूरत और मार्मिक कविता लिखते हैं।

वहीं एक अन्य कविता में नीत्शे सपनों को लेकर जिस कविता की रचना करते हैं वह मार्मिक होने के साथ ही मस्तिष्क में कई प्रश्नों को उतपन्न करता है। इसके अलावा नीत्शे “पागल आदमी” नामक से अपनी रचना में ईश्वर और उनके अस्तित्व को लेकर जिस तरह से प्रश्न खड़े करते हैं वह कई रूपों में हमें ठहरकर सोचने के लिए बाध्य करता है।

“पतझड़: जर्मनी के महान दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे की दुर्लभ कविताओं का पहला संग्रह” पुस्तक के माध्यम से फ्रेडरिक नीत्शे को मार्मिक रूप से समझा जा सकता है। फ्रेडरिक नीत्शे अपनी कविताओं में उस रूप में दिखाई देते हैं जिस रूप से अवगत होने पर हमें यह आभास होता है कि नीत्शे का जीवन विषाक्त का विचारपूर्ण सौन्दर्यकरण है।

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~विशेक

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