अपना रण
सामान्य परिचय, विकास, उपयोगिता
वेब पोर्टल एक प्रकार का विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया वेबसाइट होता है जहाँ अलग-अलग सोर्सेज से विभिन्न सूचनाओं को एकत्रित करके एक सिंगल प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराया जाता है, और इस पर दूसरे कई साइट्स भी खोजे जा सकते हैं।मोटे तौर पर वेबसाइट के समूह को पोर्टल कहा जाता है। जो अपने यूजर को आवश्यकता के अनुसार बेसिक जानकारी देता है। इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती हैं, जैसे सर्च इंजन, कम्युनिटी चैट फोरम, निजी होम पेज और ईमेल की सुविधा। पोर्टल पर समाचार ,स्टाफ एक्सचेंज और फ़िल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं। कुछ सार्वजनिक वेब पोर्टल का उदाहरण है:- गूगल, याहू, ब्रेव आदि।
विकास
दुनिया का पहला कंप्यूटर सन 1945 में पेंसिल्वेनिया में बनाया गया था। 70 के दशक तक कंप्यूटर काफी महँगा और विशाल आकार वाला होता था। इसलिये बड़े सरकारी विभाग या कंपनियां ही इसे खरीद पाते थे। भारत मे पहला कंप्यूटर सन 1955 में भारतीय सांख्यकीय संस्थान ने खरीदा था। सन 1981 में ज़ेरॉक्स कंपनी ने पहला माइक्रो कंप्यूटर बाजार में उतारा । धीरे-धीरे छोटे, हल्के और सस्ते कंप्यूटर बनने लगे जिससे आम लोग भी कंप्यूटर खरीदने लगे। सन 1991 में टिम्बरनर्स ली ने अनेक कंप्यूटर जोड़ कर वर्ल्ड वाइड वेब की शुरुआत की। लेकिन भारत मे इंटरनेट सेवा 15 अगस्त 1995 में तब आरम्भ हुई जब विदेश संचार नगम लिमिटेड ने अपनी टेलीफोन लाइन के जरिये दुनिया के अन्य कंप्यूटर से भारतीय कंप्यूटरों को जोड़ दिया। इसी साल देश की पहली साइट ,इंडिया वर्ल्ड डॉट कॉम आरम्भ हुई। सन 1998 में सरकार ने निजी कंपनियों को इंटरनेट सेवा क्षेत्र में आने की अनुमति दे दी। 23 सिंतबर 1999 को दुनिया का पहला हिंदी पोर्टल वेब नई दुनिया, इंदौर से आरंभ हुआ।
1997-दैनिक जागरण द्वारा https://www.jagran.com
1998- अमर उजाला द्वारा https://www.amarujala.com
2000- प्रभात खबर द्वारा https://www.prabhatkhabar.com
उपयोगिता
पोर्टल इंटरनेट और विश्वव्यापी वेब के संदर्भ में जालस्थलों (वेबसाइट्स) के समूह को कहा जाता है। पोर्टल का शाब्दिक अर्थ होता है प्रवेश द्वार। एक पोर्टल वास्तव में स्वयं भी एक जालस्थल होता है, जिससे दूसरे कई अन्य संबंधित जलस्थलों पर पहुँचा जा सकता है। इंटरनेट पर जुड़ने से कई प्रकार के पोर्टल मिलते हैं। ये अंतर्जाल के अथाह सागर में एक लंगर की तरह काम करता है। इन पर विभिन्न स्रोतों से जानकारियां जुटाना तथा व्यवस्थित रूप में उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती हैं, जैसे कई पोर्टल पर उपयोक्ताओं को सर्च इंजन उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा कम्युनिटी चैट फोरम ,निजी गृह- पृष्ठ (home page) e-mail की सुविधाएं दी गयी होती है। पोर्टल पर समाचार, स्टॉक मूल्य और फ़िल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं। कुछ सार्वजनिक वेब पोर्टल के उदाहरण हैं: AOL, I-GOOGLE, MSN, YAHOO आदि ।
ऐतिहासिक रूप में पोर्टल का प्रयोग किसी द्वार ,इमारत या अन्य संरचना के मुख द्वार में किया जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ था वहाँ प्रवेश करने के लिए एक प्रभावी मार्ग। मोटे तौर पर वेब पोर्टल उपभोक्ताओं को आधारभूत जानकारी उपलब्ध कराता है। साथ ही इसके माध्यम से विभिन्न अन्य साइट्स तक पहुँच सकते हैं। एक विशेष सुविधा यह है कि पोर्टल पर उपयोक्ता अपना स्वयं का कैलेंडर तैयार कर सकते हैं और महत्वपूर्ण अवसरों के लिए अनुस्मारक(reminder) भी बना सकते हैं। उपयोक्ता अपना पोर्टल तैयार कर उसमें अपनी रुचियों ,कार्य यात्राओं आदि के बारे में पाठ को पृथक-पृथक रूप में ढाल सकते हैं। इसी तरह प्रशासन नागरिकों को अपने पोर्टल के माध्यम से मौसम की जानकारी उपलब्ध करा सकता है। साथ ही उसमें वहाँ की खबरे और शेष सरकारी जानकारी भी हो सकती है। इसमें सरकार के प्रतीक चिन्ह भाषण, उपभोक्ता सेवाएं और कर आदि से सम्बंधित जानकारी भी शामिल हो सकती है।
प्रमुख हिंदी समाचार पत्र , न्यूज़ चैनल व पत्रिकाओं के वेब पोर्टल
प्रमुख समाचार पत्र के वेब पोर्टल्स
अन्य
न्यूज़ चैनल वेब पोर्टल
पत्र-पत्रिकाओं के वेब पोर्टल
गैर-सरकारी स्वतंत्र वेबपोर्टल
सरकारी उपयोगी स्वतंत्र वेबपोर्टल
सोशल मीडिया और आचार सहिंता
सोशल मीडिया जहाँ विचार अभिव्यक्ति का एक अच्छा माध्यम है। वहीं वर्तमान समय में सूचना और शिक्षा के माध्यम के रूप में भी इन्हें बखूबी पहचाना जा रहा है।स्कूल के क्षात्र-क्षत्राएँ हो या कॉलेज के, आज कल सब इंटरनेट और सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म को अपनी सूचना का एक अच्छा स्त्रोत मानते हैं। उदाहरण के लिए यूट्यूब , गूगल विकिपीडिया , ब्लॉग और वे सारी वेबसाइटें जिनके नाम अगर हम ढूढने बैठे तो इंटरनेट का पूरा युग ही समाप्त हो जाएगा पर सभी वेबसाइट मिल पाएंगी, यह सवाल बन कर रह जाएगा। वहीं दूसरी तरफ हम सोशल मीडिया पर फैले अफवाहों के जाल में भी फसते जा रहे हैं। सोशल मीडिया हमें बनाने के साथ साथ बिगाड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए व्हाट्सएप या फेसबुक पर शेयर की गई कोई पोस्ट बिना सोचे-समझे हम आगे शेयर कर देते हैं बिना यह जाने की इसमें कही गयी बात सच है भी या नहीं।
इन्ही सब बातों को ध्यान में रखकर भारत ने सन 2000 में सूचना तकनीक अधिनियम , भारतीय संसद द्वारा पारित करवा लिया गया तथा सन 2009 में 27 अक्टूबर को एक घोषड़ा द्वारा इसे संसोधित किया गया।
30 जनवरी 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में प्रस्ताव संख्या 56/162 द्वारा सूचना तकनीक की आदर्श नियमावली पेश किए जाने के बाद सूचना तकनीक कानून 2000 को पेश करना अनिवार्य हो गया था। जिसे 9 जनवरी 2000 को सूचना तकनीक कानून के नाम से सांसद में पेश किया गया।
आधुनिक कानून की शब्दावली में साइबर कानून का संबंध कंप्यूटर और इंटरनेट से है। विस्तृत संदर्भ में कहा जाए तो यह कंप्यूटर आधारित सभी तकनीकों से संबंध है। साइबर आतंकवाद के मामले में , दंड विधान के लिए 2000 में धारा 66 एफ की जगह दी गयी है।
66-एफ : साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान
1. यदि कोई- (A) भारत की एकता , अखंडता , सुरक्षा या संप्रभुता को भंग करने या इसके निवासियों को आतंकित करने के लिए कार्य करता है। (क) किसी अधिकृति व्यक्ति को कंप्यूटर के इस्तेमाल से रोकता है या रोकने का कारण बनता है।(ख) बिना अधिकार के या अपने अधिकार का अतिक्रमण कर जबरन किसी कंप्यूटर के इस्तेमाल की कोशिश करता है।(ग) कंप्यूटर में वायरस जैसी कोई ऐसी चीज डालना या डालने की कोशिश करता है, जिससे लोगों पर जान का खतरा पैदा होने लगता है या आशंका होने लगती है या संपत्ति के नुकसान का खतरा होने की संभावना या जीवन के लिए आवश्यक सेवाओ में जानबूझ कर खलल डालने वाला हो। (B) अनाधिकार या अधिकारों का अतिक्रमण करते हुए जानबूझ कर किसी कंप्यूटर से ऐसी सूचनाएं हासिल करने में कामयाब होता है, जो देश की सुरक्षा या अन्य देश के साथ उसके संबंध के नजरिये से संवेदनशील है या, गोपनीय सूचना इस इरादे के साथ हासिल करे ,जिससे भारत की सुरक्षा , एकता-अखंडता एवं संप्रभुता , अन्य देशों के साथ इसके संबंध , सर्वजनिक जीवन या नैतिकता पर बुरा असर पड़ता हो या ऐसा होने की आशंका हो, देश की अदालतों की अवमानना अथवा मानहानि होती हो या ऐसा होने की आशंका हो, किसी अपराध को बढ़ावा मिलता हो या इसकी आशंका हो, किसी विदेशी राष्ट्र अथवा व्यक्तियों के समूह अथवा किसी अन्य को ऐसी सूचना से फायदा पहुँचना हो, तो उसे साइबर आतंकवाद का आरोपी माना जा सकता है(जब तक दोष न्यायालय में सिद्ध न हो जाए तब तक कोई भी नागरिक दोषी नहीं कहा जा सकता बेशक उसने जुर्म किया हो)।
2. यदि कोई व्यक्ति साइबर आतंकवाद फैलाता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने का प्रावधान हो सकता है।
कानून का वह क्षेत्र जो कंप्यूटर और इंटरनेट से संबंधित है और उसके दायरे में इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचनाओं तक निर्बाध पहुँच आदि आते हैं।
Use this material only for education purpose..