मानव का द्वंद्व !
मानव का द्वंद्व BY VIVEKANAND PANDEY द्वंद्व से मानव घिरा,निज जीवन की आश में ,स्वयं को साध्य अमर्त्य मानताभौतिकता के आभास में !अधर आलिंगन में प्रकृति की ,करता रहा दीदार…
आइये कुछ नया करते हैं
मानव का द्वंद्व BY VIVEKANAND PANDEY द्वंद्व से मानव घिरा,निज जीवन की आश में ,स्वयं को साध्य अमर्त्य मानताभौतिकता के आभास में !अधर आलिंगन में प्रकृति की ,करता रहा दीदार…
मातृभाषा निर्झर किंचित की स्वरों से ,एक आस सी मन में रहती है ,संकल्प शक्ति की यह भावना ,निज भाषा से रहती है ! लेकर यह अदम्य कल्पना ,खुद को…
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