आज के समय में लोगों को किसी के जान से ज्यादा, उसके वीडियो को बनाकर अपलोड करने की और फिर उसे वायरल करने की सनक लग गई है। ऐसी ही एक घटना दिल्ली के मायापुरी से आई है जहा एक एएसआई पर चाकू से वार कर जख्मी कर दिया और 50 से ज्यादा की भीड़ केवल मूकदर्शक बनकर घटना को देखती रही।
ये जिस घटना की मै बात कर रहा हूं ये दिल्ली के मायापुरी थाना क्षेत्र में हुई घटना है। जहां बीते 4 जनवरी को एक स्नैचर पकड़े जाने पर एएसआई शंभुलाल पर चाकू से हमला कर दिया। वहीं जब उनपर उस समय स्नैचर ने हमला किया था तब उस समय वहां पचास से ज्यादा लोग थे परंतु, शर्म की बात है की उन्होंने इससे कन्नी काट कर किसी शो में चल रहे ड्रामें की तरह दूरी बना कर रखा और उन्हें उनकी हालत पर छोड़ दिया।
जो कहे की भीड़ ने बचाने का प्रयास किया पर उन्हें न बचा पाए, उससे झूठा कोई हो ही नहीं सकता.... बाकी आप समझदार हैं....जख़्म को जख़्म बनने से पहले जख़्म का उपचार कर दें वर्ना ये जख़्म एक दिन आपको जख़्म दे जाएगा......
स्नैचर को पकड़ने के दौरान उन पर जो चाकू के अघात अपराधी द्वारा किया गया, उसके चलते उन्हें गंभीर रूप से चोटे आई जिसके बाद उन्हें बीएलके हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया और आज, इलाज के दौरान वे शहीद हो गए।
अब इस घटना को देखा जाए तो प्रश्न उठना लाज़िम है कि क्या कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का मुश्किल परिस्थिति में साथ देगा। अरे, जब वे भारत सरकार के कर्मचारी को बचाने के लिए आगे नहीं आए तो किसी आम आदमी के लिए वे क्या ही हाथ बढ़ाएंगे।
ये वाक्या तो चलो मान लिया पुलिस का था। आप पुलिस के पचरे में नहीं पड़ना चाहते थे और एक बात आप वीडियो बनाकर शायद वायरल करना चाहते थे। पर क्या ये जो कर रहे हैं क्या ये भारत की गरिमा पर धब्बा नही लगा रहे। अरे जिस भारत को “वसुधैव कुटुंबकम्” यानी धरती ही परिवार है के रूप में जाना जाता है। उसी के तने को कोई चाकू से कुरेद रहा है और आप केवल भीड़ का अंग बनकर गूंगे और बहरे बने हुए है।
इस वारदात के साथ आइए एक घटना को भी देख ही लेते हैं क्योंकि जब हम गिर ही चुके हैं और अपने आदर्श और मर्यादा को ताक पर रख कर वायरल के हवाले कर चुके हैं तो इसे भी पढ़ लेने में क्या हर्ज हो सकता है….
ऋषभ पंथ, हां वहीं ऋषभ पंथ जो भारत में मैन्स नेशनल क्रिकेट टीम का हिस्सा है। पूरा ब्योरा देना अच्छा नहीं, क्योंकि आप में से शायद ही कोई ऋषभ को न जानता हो। अब आप कहेंगे की इसका पहले वाली वारदात से क्या जुड़ाव है। तो ठहरिए जनाब… सब बताते है। बात इस प्रकार से जुड़ी है की ऋषभ पंथ अपनी मां को नए साल पर सरप्राइज़ देने के लिए उनके पास जा रहे थे और दिल्ली-देहरादून हाइवे पर उनका एक्सीडेंट हो गया था।
अब बात ये है की उस समय कई गाड़ियां वहां से निकली पर उनमें से शायद ही कोई उनकी मदद करने के लिए रुकीं वहीं समाचार में ये भी आया की कुछ गाड़िया जो रुकी या जो लोग उनके पास आए वो उन्हें बचाने के बजाय उनके पैसों और उनके महत्वपूर्ण पहने हुए समान को चोरी कर भाग खड़े हुए। वहीं एक सरकारी बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने क्रिकेट के बारे में न जानते हुए उनकी मदद की। जिससे उनकी जान बच सकी।
बात की सुई फिर वहीं आकर अटक गई की आखिर हम जा किस रास्ते पर रहे हैं। क्या आज सोशल मीडिया या वीडियो वायरल होना ही समाज में रहने का एक सुगम तरीका बन गया है। क्या लोगों का किसी अन्य व्यक्ति से संबंध केवल रोमांच या दर के लिए ही रह गया है। क्या भारत जैसे देश में जिसकी एकता पहचान है, के बीच में कोई बिचौलिया अपना घर बना चुका है और दूसरे की रोटी खाने को अमादा है… सोचिए जरा कहीं सोचने में देर न हो जाए?
याद रखिए अभी भी समय है। किसी भी अपराध को अगर आप भीड़ बनकर देख रहे हैं तो आप भी उतने ही दोषी है जितना वह व्यक्ति को अपराध कर रहा है। एक बात और, इनका खौफ खत्म और शुरू करने वाले हम ही लोग हैं क्योंकि बस इन्हे एक बार पता चल जाए की आप तो मोम की गुड़िया हैं फिर आप क्या और आपका संसार क्या…. हम ही इसे साथ मिलकर खत्म कर सकते हैं। हां, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म, शांति जैसे वाक्य कहीं- कहीं काम आ सकते हैं परंतु ये केवल एक माध्यम हैं।
महाभारत सीरियल में कृष्ण भगवान ने पांडवों से कहा है कि, हे पांडव तुम श्रेष्ठ हो क्योंकि तुम पांचों भाई पांच होकर भी एक ही आत्मा हो। ठीक यही अभिप्राय आज भी सत्य और मजबूती से खड़ा है। हम जब तक साथ हैं हमारा बाल भी बाका कोई नहीं कर सकता लेकिन भीड़ में एक मूक दर्शक की तरह खड़े रहकर मदद के योग्य होने पर भी मदद के लिए आगे न आने पर स्वयं ही हम ऐसे अपराधों को दावत दे रहे हैं जो एएसआई और क्रिकेटर के साथ बीते दिनों घटित हो चुका है। भीड़ से एक बार आवाज निकाल कर देखिए तो हुजूर यह आवाज ऐसी गूंजे गी की अपराधी अपराध और तानाशाह तानाशाह भूल जाएगा।
जय हिन्द……
READ MORE
- भारत: 2024 के अंत तक मोबाइल में होगा, यूएसबी-सी टाइप चार्जर अनिवार्य
- गांधीवादी विचारधारा में भगत सिंह कहां चूकते हैं?
- Learn how to achieve better shots with the Rule of Thirds.
- सुबह के समय ही क्यों आते हैं ज्यादा हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट
You must log in to post a comment.