हाल ही में हैदराबाद में हुए गैंग रैप की घटना हमारे समाज को फिर से ये सोचने में मजबूर कर रहे है कि हम महिलाओं को सच में देवी मानते है या ये बातें सिर्फ किताबी रह गए है?
जिस देश में नारी को देवी के समान पूजा जाता है। उस देश में महिलाओं के साथ शर्मनाक और दर्दनाक हादसे हो रहे है। देश का समाज पुरुष प्रधान है और यहाँ परिवारों में पुरुषो की अधिकतर चलती है। नारी का आगे बढ़ना , उन्नति करना और उनकी सोच सबके समक्ष रखना कुछ पुरुषो के लिए असहनीय हो जाता है। कुछ ऐसे ही पुरुष घर पर महिलाओं पर रोब जमाते है , उन्हें नीचा दिखाते है और मारते पीटते है। इस प्रकार के अत्याचार और अपराध निंदनीय है।
महिलाओ के खिलाफ बढ़ रही हिंसा , देश के प्रगति में बाधक बन कर खड़ी है। आये दिन कुछ ससुराल में शिक्षित महिलाओं को भी दहेज़ के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। कहीं तो महिलाओं से दहेज़ ना मिलने के कारण उन्हें आग के हवाले कर दिया जाता है। दिल काँप उठता है यह सुनकर जब देश इतना शिक्षित हो रहा है , उन्नति कर रहा है मगर महिलाओं के साथ इतनी हैवानियत क्यों। दिल्ली , देश की राजधानी और दूसरे इत्यादि राज्यों में में भी बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में हर साल बढ़ोतरी हो रही है।
कम उम्र की लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं हो रही है। कई लड़कियों का जबरन अपहरण करके उन्हें जिस्म फरोशी के धंधे में धकेल दिया जाता है। महिलाओं को गलत सोच से देखने वाले कुछ गन्दी मानसिकता रखने वाले पुरुष समाज में रहते है। ऐसे पुरुष महिलाओं को कमज़ोर समझते है और उनका सम्मान नहीं करते है। फिर मौका पाकर इस तरीके के लोग अपने नापाक इरादों को अंजाम देते है। निर्भया बलात्कार केस से पूरा देश दहल गया था। इस भयानक हादसे ने लोगो को सोचने पर मज़बूर कर दिया था कि क्या वाकई महिला देश में सुरक्षित है ?
आये दिन महिलाओं से जुड़े अपराधों में वृद्धि हो रही है। यह एक भीषण गंभीर समस्या है। महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करना , उन्हें गलत शब्द कहना मानसिक उत्पीड़न कहलाता है। यह अपराध की श्रेणी में आता है। घरेलू हिंसा के कई केसेस रोज़ दर्ज हो रहे है। महिलाओ को इतना पीटा जाता है कि वह अस्पताल पहुँच जाती है। अपने परिवार के लिए कुछ महिलाएं यह चुपचाप सहन करती है। अंत में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते है।
आजकल लड़कियाँ लड़को को विवाह के लिए मना करती है तो कुछ गलत मनशा रखने वाले लड़के उन के परिवार को परेशान करते है और लड़कियों पर एसिड से वार करते है। एसिड अटैक से लड़कियों का जीवन बर्बाद हो जाता है। ऐसे अपराधों की हम कड़े शब्दों में निंदा करते है। ऐसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। अपराधिक ब्यूरो रिकार्ड्स के अनुसार आज नारी अपने ससुराल में सुरक्षित नहीं है। अक्सर दहेज़ के लिए उन्हें सास और बाकी लोगो के अत्याचार सहने पड़ते है। लोगो को अपने सोच बदलने की ज़रूरत है। आज लड़कियाँ हर मामले में पुरुषो से बेहतर काम कर रही है। समाज में बैठे कुछ लोगो की गलत सोच की वजह से पूरा समाज बदनाम होता है।
समाज में महिलाओ को पुरुषो के समान इज़्ज़त और अधिकार मिलने चाहिए। समाज को महिलाओ के सोच की कदर करनी होगी। कहीं भी अगर उनके साथ गलत हो रहा है तो आम जनता को उसके विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी। महिलाओ के मन में हिंसा का भय बैठ गया है , इसे हमे ही निकालना होगा। हम तब यह कर पाएंगे जब हम घर और बाहर के माहौल को सुधार पाएंगे। गलत सोच रखने वाले इंसान की सोच को बेहतर बना पाएंगे। अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाएंगे। यह सब इतना सरल नहीं है मगर नामुमकिन नहीं है। हम सभी देशवासी को मिलकर महिलाओं के प्रति हो रहे हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी। उन्हें सामाजिक मसलो का शिकार होने से रोकना पड़ेगा।
निष्कर्ष
प्रत्येक दिन सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाओ को सुनकर दिल दहल उठता है। फिर लोगो की भीड़ देश की सरकार से न्याय मांगती है। सोचने की बात यह है कि लोगो में शिक्षा स्तर की वृद्धि के बावजूद इतने घिनौने अपराध कैसे हो रहे है। यह कहना गलत न होगा कि महिलाओ के प्रति असम्मान , अत्याचार , हत्या जैसी हिंसाओं का कारण है देश की कमज़ोर कानून और न्यायिक व्यवस्था । यहाँ के कानून प्रशासन को और सख्त होना पड़ेगा ताकि ऐसी हिंसात्मक घटनाएं बंद हो। कानून व्यवस्था को और कई गुना अधिक सख्त होना पड़ेगा ताकि देश की महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण ना हो। देश तभी प्रगति करेगा जब देश की कानून व्यवस्था सख्त होगी और अपराध कम होंगे|
[…] अपराधों की गिरफ्त में महिलाएं […]
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