
प्रेमाग्रह
सुनो! नई दिल्ली की पुरानी मकान की तरह हो तुम
आधुनिकता की लंपट चुने,प्लास्टर, रंगों से एकदम दूर
औरों की तरह मुझे किराएदार नही बनना है तुम्हारा,
ना ही मुझे जबरन कब्जा जमाना है
मुझे पूरे मकान को अपना बनाना है ,उसे सजाना है
देखो मैंने अग्रिम में अपना छद्म पौरुष तुम्हें सौप दिया है
कह देना गोडसे से फ़िर प्रेम का गांधी लौट आया है
इस बार उसके हथियार से नही मरने वाला
वर्षों से अपने को तुम्हारे लिए बचा कर रखा है मैंने
तुम क्षितिज के पार तक मेरी चेतना की सारथी हो
तुम्हें पाने के लिए इस बार भी सत्याग्रह करूँगा
ये कोर्ट, कचहरी ,लोग सब तुम्हारे लिए ही थोड़े न हैं।।
कविता Alok kumar Mishra द्वारा लिखी गई है…
G-mail I’d:- [email protected]
READ MORE
- महात्मा गांधी के प्रयोगों में लियो टॉलस्टॉय की भूमिका
- जॉन एलिया(JOHN ELIA): मेरे कमरे का क्या बयां करू, यहाँ खून थूका गया है शरारत में
- प्राथमिक चिकित्सा(First Aid) क्या है?
- हार्ट अटैक क्यों आता है? इससे बचने के क्या उपाय हो सकते हैं? यहां जानें सबकुछ
- पोस्टल बैलेट या डाक मत पत्र क्या होता है कौन करता है इसका प्रयोग?
You must be logged in to post a comment.