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भारतीय लोकतंत्र के चुनाव प्रक्रिया में जनसंपर्क का महत्व…भारत देश एक विविधता वाला देश है। जहाँ विभिन्न प्रकार की संस्कृत , भाषा, धर्म के लोग बिना किसी भेदभाव के आपस में हँसी-खुशी से रहते हैं और समय आने पर एक दूसरे की मदद करने से भी पीछे नहीं रहते। भारत देश में बेशक अराजक तत्वों ने धर्मों में लड़ाई करवाने के भरसक प्रयास किए हों पर हमारी गंगा-जमुना सभ्यता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस बंधन को कोई भी किसी भी हालत में छिन्न-भिन्न नहीं कर सकता है।

भारत में चुनाव को पर्व की तरह देखा जाता है जहां विभिन्न राजनीतिक दल अपने पार्टियों को जिताने के लिए, वोटर दाताओं को लुभाने का पूरा प्रयत्न करते हैं। ऐसे में चुनाव को भारत का सबसे बड़ा पर्व भी कहा जाना बिल्कुल भी गलत नहीं है।

ऐसे में देखें तो लोकतंत्र की चुनाव प्रक्रिया में जनसंपर्क का महत्व और उनकी विशेषता और बढ़ जाती है। चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियां घर-घर जाकर अपने पार्टी के हक में वोट मांग नहीं सकती हैं इसलिए वह जनता के बीच अपनी छवि को निर्माण करने के लिए जनसंपर्क अभियान का सहारा लेती हैं, ताकि अधिक से अधिक मतदाता उनके संपर्क में आ सकें और उनके पार्टी के नेताओं की प्रसिद्धि उनके बीच बढ़े और चुनाव जीतने में उनकी मदद का एक अहम जरिया बने।

भारतीय लोकतंत्र में जनसंपर्क की जरूरत चुनाव के दौरान

  1. चुनाव प्रचार की सामग्री का निर्माण:- चुनाव के दौरान जनसंपर्क अधिकारी को चुनाव प्रचार के विज्ञापन सामग्री का निर्माण करना होता है जिसमें पार्टी के कार्यों को बताना होता है जिससे जनता पार्टी के बारे में सटीक तरह से जान सके।
  2. पार्टी के लिए मीडिया कार्यक्रम और रैली का आयोजन:- चुनाव के दौरान पार्टियां अपने पूरे कार्यकाल का लेखा-जोखा मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुँचाती है। जिससे जनता में पार्टी के प्रति विश्वास की भावना आने की संभावना ज्यादा हो जाती है। इन कार्यक्रमों में पार्टी के नेता जनता(दर्शक) के सवाल हूं का भी जवाब देने का काम करते हैं। इसी तरह पार्टियां अपनी रैलियां निकालती हैं। जिसके पीछे पार्टी का मंतव्य अपना समर्थन दिखाना होता है। पर इन सब को सुचारू रूप से चलाने का कार्य जनसंपर्क अधिकारी और उसकी संस्था ही करती है।
  3. विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से संपर्क:- चुनाव के समय जनसंपर्क अधिकारी को विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से संपर्क करना होता है। उनकी इच्छा, उनके विचार आदि का अध्ययन करना होता है। यह संपर्क, जनसंपर्क अधिकारी कई माध्यमों से बना सकते हैं, जैसे व्हाट्सएप ग्रुप में प्रश्नावली दौरा, फोन कॉल्स द्वारा या ईमेल आदि द्वारा । इनसे बात करने के उपरांत जनसंपर्क अधिकारी को यह अध्ययन करना होता है कि कौन सी आयु का या वर्ग के विचार किस तरह के हैं। यह संपर्क चुनाव तक ही सीमित नहीं होता अपितु चुनाव के बाद भी अगले चुनाव की तैयारी के लिए चलता रहता है।
  4. जनमत का निर्माण:- जनमत का अर्थ होता है जनता का मत या राय। किसी भी विषय या मुद्दे पर एक जैसी राय वाले लोग हैं या जनता का समूह जनमत कहलाता है। ठीक इसी प्रकार किसी विषय मुद्दे पर जनता की राय का निर्माण करना जनमत निर्माण कहलाता है। चुनाव में जनसंपर्क अधिकारी का भी यही कार्य होता है। वह पार्टी के प्रति लोगों की अच्छी राय के निर्माण का प्रयास करता है। इसके कुछ चरण हैं:- तेजी से संदेश पहुंचा कर तथ्यों को जीवंत प्रस्तुत करके, विषय पर विभिन्न तरह की खबरों को दिखा कर, कार्य करने के लिए प्रेरित करके जनमत निर्माण का प्रयत्न करना।
  5. चुनाव व्यवस्था में लोगों का विश्वास बनाए रखने का भी कार्य जनसंपर्क अधिकारी द्वारा ही पूर्ण किया जाता है। लोकतंत्र व्यवस्था में जनता के चुनाव प्रक्रिया में, विश्वास बना रहना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए जनसंपर्क अधिकारी विभिन्न माध्यमों द्वारा जनता का, चुनाव प्रक्रिया में विश्वास बनाए रखने का प्रयास करते हैं।

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By Admin

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