Prayojit karykram ki prakriti… प्रायोजित कार्यक्रम के तहत अक्सर बस कमर्शियल, विज्ञापन, ऐड या ऐड फ़िल्म के रूप में जाना जाता है, संदेश पहुँचाने वाले किसी संगठन द्वारा किये गए भुगतान के तहत उसके लिए निर्मित टीवी कार्यक्रम का निर्माण किया जाता है।

दूसरे शब्दों में प्रायोजित कार्यक्रम इस तरह के विज्ञापन हैं जो दीर्घ अवधि के लिए किसी विशेष उत्पाद का प्रचार करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी विशेष चैनल में 30 मिनट के किसी खास कार्यक्रम का नियमित प्रसारण होता है तो ऐसे कार्यक्रमों को किसी विशेष उत्पाद की तरफ़ से प्रायोजित कर दिया जाता है। (Prayojit karykram ki prakriti)

तब प्रायोजक का नाम भी ऐसे कार्यक्रमों से जुड़ जाता है और कार्यक्रम के दौरान कई बार प्रायोजक का उल्लेख किया जाता है। मनोरंजन चैनल में इस तरह के प्रायोजित कार्यक्रम की भरमार होती है। क्रिकेट में तो कई बार पूरी प्रतियोगिता ही किसी प्रायोजक द्वारा प्रयोजित होती है।

और ऐसे मैचों के सजीव प्रसारण में बार-बार प्रायोजक का जिक्र होता रहता है।यहाँ इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सभी प्रायोजित सामग्री मूल विज्ञापन हैं लेकिन सभी मूल विज्ञापन प्रायोजित सामग्री नहीं हैं।

प्रायोजित कार्यक्रम की प्रकृति(Prayojit karykram ki prakriti)

वीडियो और एनीमेशन के माध्यम से प्रायोजक अपने विज्ञापन को जीवंत करने का प्रयास करते हैं। इन प्रायोजित उत्पादों को एक व्यापक मार्केटिंग(विपणन) के साथ अपने अभियानों के प्रति जुड़ाव, पहुंच और जागरूक करने में वृद्धि करने का प्रयास करता है। इसको संपन्न बनाने के लिए इसकी प्रकृति निम्नलिखित है:-

  1. मूल सामग्री का निर्माण।
  2. प्रोजेक्ट पैकेज को तैयार करना।
  3. मल्टी चैनल मार्केटिंग अभियान।
  4. लक्षित अभियान।
  5. बाजार को शिक्षित करना।

प्रायोजित कार्यक्रमो में मीडिया कवरेज (Prayojit karykram ki prakriti)

[आज तक न्यूज़ चैनल के वेबसाइट से] सदियों पहले किसी महानुभाव ने पेट को पापी कह दिया था। आज तक पेट ऐसा विलन बना बैठा है कि उसे भरने की हर जगह पाप की श्रेणी में आ जाती है। भले ही पेट केवल एक अंग है जहां चटोरी जीभ से होकर खाना पहुंचता है और शरीर के बाकी अंगों को जरूरी रसायन निचोड़ कर पेट ही भेजता है।

कहने का तात्पर्य है कि हमारे इस दुनिया में किसी भी चीज को लेकर एक सोच बन जाती है और फिर उस लेबल को हटा पाना नामुमकिन सा हो जाता है। ऐसा ही लेबल प्रायोजित कार्यक्रम के प्रेषण के लिए मीडिया पर भी लगा है, जिसमें एक हद तक मीडिया के पूर्व में किए गए अच्छे कार्य की बड़ी देन है। (Prayojit karykram ki prakriti)

ऐसा नहीं है कि मीडिया आज अच्छे कार्य नहीं कर रहा है पर पहले की तुलना में शायद इसके महत्वता में कमी आई है पर फिर भी यह जनसंपर्क का एक सशक्त माध्यम है जिसके तहत आज प्रायोजित कार्यक्रमों का मीडिया कवरेज होना अति आवश्यक हो गया है और एक हद तक सही भी है| (Prayojit karykram ki prakriti)

ताकि उपभोक्ता उनके द्वारा प्रदर्शित किए गए कार्य को गलत या संदेह की दृष्टि से ना देख कर उसे जीवन विकास के रूप में समझें और देखें। यह बात बाद की है उस प्रदर्शन से उपभोक्ता पर कितना प्रभाव पड़ा है। पर मीडिया की लोगों के बीच विश्वसनीयता इसे आसान बना देती है।

प्रायोजित कार्यक्रम समाचार-पत्र,पत्रिका, रेडियो, टेलीविजन आदि किसी संचार के माध्यम के द्वारा संपर्क स्थापित करने में मदद करता है। (Prayojit karykram ki prakriti)

निम्नलिखित आरेख में प्रायोजित कार्यक्रमों के कुछ माध्यम को दर्शाया गया है:-

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(क) मुद्रित माध्यम:- मुद्रित माध्यम व्यवसायियों या अन्य व्यक्तियों द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के लिए उपयोग में लाया जाने वाला एक आम माध्यम है। इसमें समाचार पत्रों, पत्रिकाओं आदि के माध्यम से प्रायोजित कार्यक्रम दिए जाते हैं, जिसे प्रेस विज्ञापन भी कहा जाता है। इस समय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रायोजक के लेआउट, डिजाइन, कलर आदि का ध्यान दिया जाता है और उस पृष्ठ को उसी तरह से बनाया जाता है।

(ख) इलेक्ट्रॉनिक माध्यम आज के बाजार युग में एक बहुत ही लोकप्रिय माध्यम बनकर उभरा है। इसके अंतर्गत प्रायोजक द्वारा बनाए गए छोटे ऐड फिल्म जिसमें उत्पाद के संबंध में जानकारी होती है दिखाए जाते हैं। (Prayojit karykram ki prakriti)

(ग) अन्य माध्यमों के अंतर्गत कुछ ऐसे माध्यम आते हैं, जिन्हें देखने के लिए उपभोक्ता को अपनी तरफ से कुछ खर्च भी नहीं करना पड़ता और घर के बाहर घूमते फिरते देख सकते हैं। जैसे:- होर्डिंग, पोस्टर, यान प्रदर्शनी, उपहार की वस्तुएं आदि प्रमुख हैं।

निष्कर्ष

प्रायोजित कार्यक्रमों (Prayojit karykram ki prakriti) को अगर कहें तो इसके अंतर्गत सामग्रियों को गैर आक्रामक तरीके से उपभोक्ता के सामने ब्रांड रखने वाला कहा जा सकता है। ऐसे में इनके लिए मीडिया कवरेज से अच्छे माध्यम और क्या हो सकते हैं। इनके मदद से ये अपने ब्रांड के पहुँच का विस्तार, विश्वास प्राप्त करने का कार्य और विश्वाशनियता में सुधार के साथ प्रतिस्पर्धा में आगे रहने का कार्य आसानी से कर सकते हैं।

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