उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर जिले की कादीपुर तहसील में बीजेथुआ नामक स्थान पर स्थित है हनुमान जी(Hanuman ji) का वह मंदिर जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं महाबली हनुमान ने कालनेमी का वध किया था।

pexels photo 5860770
Photo by Mohan Nannapaneni on Pexels.com

रामायण की कथा के अनुसार जब राम-रावण युध्द में लक्ष्मण जी को शक्ति लगी और वह मूर्क्षित हो गए तो वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी(Hanuman ji) संजीवनी बूटी लाने, हिमालय की तरफ चल पड़े।

हनुमान संजीवनी बूटी न ला पाएं, इसके लिए रावण ने अपने एक मायावी राक्षस कालनेमी को भेजा, ताकि वह मार्ग में ही हनुमान जी(Hanuman ji) का वध कर दे। कालनेमी मायावी था और उसने एक साधु का वेश धारण कर रास्ते में राम-राम का जाप करना शुरू कर दिया। थके-हारे हनुमान जी राम-राम सुनकर वहीं रुक गए।

कालनेमी ने उन्हें अपनी रामभक्ति का विश्वास दिलाया और उन्हें अपने आश्रम में कुछ समय विश्राम कर, फिर रामकाज के लिए आगे बढ़ने के लिए कहा। हनुमान जी(Hanuman ji) काफी थके हुए थे, सो उन्होंने स्नान करने की इच्छा जताई।

बिजेथुआ में आज भी वह कुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसी में हनुमान जी ने स्नान किया था। जब हनुमान जी इस कुंड में स्नान कर रहे थे तो कहते हैं, कि कालनेमी मगरमच्छ का रूप धारण करके इस कुंड में घुस आया और हनुमान जी को खा जाना चाहा । हनुमान जी से उसका भीषण युद्ध हुआ और हनुमान जी ने यहीं इसी कुंड में उसका वध कर दिया।

कालनेमी के वध के बाद हनुमान जी(Hanuman ji) सीधे संजीवनी लेने हिमालय की तरफ निकल गए। बिजेथुआ महाबीरन मंदिर, महावीर हनुमान की रामभक्ति और वीरता का प्रतीक भी है। हर मंगलवार को यहाँ विराट मेला लगता है।

हनुमान जी(Hanuman ji) का जन्म स्थान कहाँ है?

ज्योतिषियों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार और लगभग 112 वर्ष पहले हुआ था तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन, चित्रा नक्षण व मेष लग्न के योग में सुबह 6 बजकर 3 मिनट पर भारत देश के आज के झारखंड राज्य के, गुमला जिले में आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गांव के एक गुफा में हुआ था।

APNARAN TUMBLR

READ MORE

By Admin

Copy Protected by Chetan's WP-Copyprotect.

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading