वर्तमान संदर्भ में समाचार पत्रों एवं टेलीविज़न कार्यक्रमों का स्वरूप बदल गया है आजादी से पहले पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी परंतु वैश्वीकरण के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में नए बदलाव देखने को मिले हैं, जो आज वर्तमान समय में अधिक लोकप्रिय हैं।

समाचार पत्रों की अगर हम बात करें तो दिन प्रतिदिन इनमें बदलाव किए जा रहे हैं। प्रतिस्पर्धा की होड़ में सभी समाचार पत्र अपनी डिजाइनिंग, फॉन्ट , खबर की प्रस्तुति , मनोरंजन खबर आदि को बदल रहे हैं।

मुख्यतौर से अगर हम कहें तो समाचार पत्र की आत्मा उसका संपादकीय होता है सभी समाचार पत्र अपने संपादकीय को अलग-अलग कॉलम में विभाजित कर देते हैं।

वर्तमान समय में समाचार पत्र, प्रतिस्पर्धा के कारण अपने कुछ खूबियों को खोते जा रहे हैं, आज समाचार के शीर्षक अधूरे लिख दिए जाते हैं ताकि वे आकर्षक नजर आए इनके अनेक कारणों में से एक है।

टेलीविजन की शुरुआत 1955 से हुई इसके बाद इसमें कई बदलाव आए । जिसमें तकनीकी स्तर का भी विकास हुआ ऐसे में इनका स्वरूप भी बदल रहा है आज भाषा के स्तर पर बदलाव देखने को मिल रहा है।

समाचार पत्र की समीक्षा

समाचार पत्र एक मुद्रित माध्यम है इसमें शब्दों को अधिक महत्व दिया जाता है। आज के समय में विज्ञापन पर समाचार पत्रों की निर्भरता अधिक बढ़ रही है जिसके कारण खबरों को अधिक महत्व दिया नहीं जा रहा है। समाचार पत्र आज स्मार्ट हो गए हैं, तकनीक, लेआउट कलर, शीर्षक और खबरों को लेकर आज ये ज्यादा सजग हो गए हैं।

आज अखबारों की भाषा में बदलाव आ रहा है हिंगलिश भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, रंगों की चटकता और उनसे संबंधित अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं। पाठकों की जरूरत के हिसाब से समाचार पत्र अपने स्वरूप को बदल रहे हैं आज कई सारे पेज विभाजित कर दिए गए हैं जिसमें राजनीतिक, आर्थिक, खेल, मनोरंजन आदि शामिल है।

एक उदाहरण के रूप में देखें तो नवभारत टाइम्स ने आज के संदर्भ में एक नए कॉलम की शुरुआत की। जैसे अपना शहर अपना नज़र, सिटिज़न रिपोर्टर आदि के लिए अलग कॉलम का प्रयोग किया जा रहा है। स्कैनर भी आज समाचार पत्रों का भाग बन गए हैं, आज के युवा स्कैन करके आसानी से खबरों को पढ़ सकते हैं।

अखबार के लिए यह जरूरी है कि वे अपने स्वरूप के साथ-साथ कई खबरों को भी महत्व दें। पेड न्यूज़ से परे वे महिलाओं, बच्चों, किसान की समस्याओं को उठाएं और हासिये के समाज की समस्याओं को समझें। समाचार समय के साथ-साथ अपनी खबरों की व्यापकता भी बढ़ाए यह भी जरूरी है।

टेलीविजन कार्यक्रमों की समीक्षा

टेलीविजन कार्यक्रमों के स्वरूप में बदलाव इसके शुरुआती दिनों से ही आ रहा है आज के संदर्भ में टेलीविजन को दो भागों में विभाजित करके देख सकते हैं। 1) कंटेंट के आधार पर 2) अन्य कारक

टेलीविजन की समीक्षा निम्नलिखित आधारों पर की जा सकती है:-

  1. भाषा के स्तर पर:- टेलीविजन कार्यक्रमों में भाषा के आधार पर कई बदलाव हुए हैं। आज रोचक और चटक भाषा का प्रयोग किया जा रहा है वहीं सरकारी चैनल जैसे दूरदर्शन में भाषा के स्तर पर देखें तो त्रुटियां शायद ही होती हैं।उदाहरण:- आजतक की हैडलाइन “नैना ठग लेंगे”।
  2. विज्ञापन के स्तर पर:- विज्ञापनों का प्रभाव टेलीविजन में आज के समय में अधिक है। विज्ञापन के कारण आज के कार्यक्रमों में वे हाशिए के समाज की खबरों को छोड़ने में देर नहीं करते हैं। विज्ञापन के साथ यह जरूरी है कि वह उन खबरों को भी अधिक महत्व दें जो राष्ट्र के विकास के लिए जरूरी है।
  3. कंटेंट के स्तर पर:- कंटेंट के स्तर पर टेलीविजन ने खबरों को सनसनी कवरेज बना दिया है। क्रिकेट, क्राइम, सेलेब्रिटी की खबरों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। और इनसे संबंधित नए नए कार्यक्रम भी आ रहे हैं। जैसे:- खबरदार, अविश्वसनीय, अकल्पनीय आदि।
  4. प्रस्तुति के स्तर पर…

APNARAN

READ MORE

By Admin

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Copy Protected by Chetan's WP-Copyprotect.

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading