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(नियामक सिद्धान्त)किसी देश व समाज के संचार माध्यमों को समझने के लिए उस देश व समाज की आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था, भौगोलिक परिस्थिति तथा जनसंख्या को जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके अभाव में संचार के माध्यमों का विकास व विस्तार संभव है।

इस संबंध में संचार विशेषज्ञ फ्रेडरिक सिबर्ट, थियोडोर पिटर्सन तथा विलबर श्राम ने 1956 में प्रकाशित अपनी चर्चित पुस्तक Four theories of the press के अंतर्गत, प्रेस के चार प्रमुख सिद्धान्तों की विस्तृत व्याख्या की है, जिसे नियामक सिद्धान्त कहा जाता है। इस सिद्धान्त में, बाद में, दो सिद्धान्तों को और जोड़ा गया।

अधिनायकवाद सिद्धान्त:-

अधिनायकवाद सिद्धांत से हमारा अभिप्राय उस समय से है जब मीडिया स्वतंत्र नहीं थी, जब राजा रजवाड़ी राज करते थे। उस समय राजा का प्रभुत्व हुआ करता था और राजसत्ता का मीडिया पर पूर्ण अधिकार हुआ करता था, वह किस खबर को सामने लाएं और इस खबर को दबा दें।

उदारवादी सिद्धान्त:-

जब लोकतंत्र की शुरुआत हुई तो राजा और सत्ता के चयन का अधिकार जनता के पास आ गया। इसका मतलब अब अपने शासक को चुनने का अधिकार जनता को दे दिया गया।

यहां मीडिया को ज्यादा तो नहीं परंतु स्वतंत्रता कुछ हद तक जरूर मिली। और यहीं से मीडिया ने स्वतंत्र रूप से सही खबर क्या है, गलत खबर क्या है आज को दिखाने व सुधारने का प्रयास शुरू किया।

सामाजिक उत्तरदायित्व का सिद्धान्त:-

इस सिद्धांत के अंतर्गत माना गया है कि मीडिया भी नागरिक है। उसके भी उत्तरदायित्व और कर्तव्य हैं। जिसे मीडिया को हर हाल में पालन करने की आवश्यकता है।

मार्क्सवादी सिद्धान्त:- इस सिद्धांत के अंतर्गत यह कहा गया है कि मीडिया पर पूंजी पतियों या अमीर लोगों का कब्जा है जो केवल अपने ही लाभ के बारे में सोचते हैं, और उसी प्रकार की खबरें भी दिखाते हैं।

जिसके कारण, हाशिए के लोगों के लिए इनका कार्य सोने मात्र हो जाता है इसलिए मीडिया में क्रांति लाना बहुत ही आवश्यक है।

लोकतांत्रिक सहभागिता का सिद्धान्त:-

जर्मन के Thinker मैकविल ने इस सिद्धान्त को प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रतावाद, क्षेत्रवाद, कल्पनावाद, क्षमतावद, समाजवाद मीडिया में आवश्यक है लेकिन एक शब्द है जो बचता है वह है मानव अधिकार।

मीडिया तब तक पूरा नहीं होता जब तक वे मानवाधिकार की बात नहीं करते। एक नागरिक की सरकार चलाने की उतनी ही जिम्मेदारी है जितनी एक सरकार की।

विकासात्मक सिद्धांत:-

संचार की प्रक्रिया में विकासात्मक सिद्धांत का महत्वपूर्ण योगदान है। मीडिया यह तय करेगा कि व्यक्ति का विकास कैसे होगा, किस दिशा में होगा।

पर मीडिया ने शायद ही, पर्यावरण जनसंरक्षण जैसे विषयों को आज के वर्तमान समय को देखते हुए प्रमुखता से उठाया हुआ हो। लेकिन फिर भी कई ऐसे मीडिया हैं जिन्होंने ज्यादातर इसपर पकड़ बना कर रखी है।

उदाहरण के लिए देखें तो नवभारत समाचार पत्र का कॉलम “अपना शहर अपनी नज़र”।

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By Admin

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