इस पोस्ट में आज हम बताने जा रहे हैं कि दांत जिसे इंग्लिश में Teeth कहते है का रंग, सफेद सफेद क्यों होता है| अपने मन पसंद चीज़ों को चबा-चबाकर कर खाने में दातों की अहम भूमिका होती है। इसके अलावा बोलने में, हंसने में भी जरूरी होता है| ऐसे में दांतो से जुड़ी कुछ खास बांटे और जानकारी, मैं आपको बताता हूं|

जैसा कि आप जानते ही हैं कि इंसान के मुंह में पूरे 32 दांत होते हैं जिसमें 16 दांत ऊपरी जबड़े में और 16 निचले जबड़े में होते हैं और ये सारे दांत मिलकर, खाने को चबाने या तोड़ने में मदद करता है।

पूरे जीवन में दांत दो बार निकलते है, जिन्हें अस्थायी और स्थायी दांत की संज्ञा दी जाती है| अस्थायी दांतों की संख्या ऊपरी और निचले जबड़ों की संख्या 10-10 की होती है।

इन्हें लोग दूध का दांत से भी नवाजते हैं| ऐसे दांत शिशु के 6 महीना के होने के बाद निकलने शुरू होते हैं और 6 से 7 साल के उम्र में गिरने लगते हैं, इनकी तुलना में स्थायी दांत 6 साल के उम्र में निकलने शुरू होते हैं और 25 साल की उम्र तक सारे स्थायी दांत आ जाते है( कुछ परिस्थितियों में ये ज्यादा समय भी ले लेते हैं)|

types of teeth
Types of teeth

छोटे से दिखने वाले ये दांत तीन प्रकार के होते हैं, शिखर ग्रीवा और मूल भोजन को काटने तोड़ने के लिए भी निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं। incisor teeth(कृंतक दांत), canine teeth(नुकीले दांत), प्रिमोलर(premolar teeth), मोलर(molar teeth)। हमारे शरीर का सबसे मज़बूत हिस्सा दांतो का ऊपरी भाग होता है। हमारे दांत कई परतों से मिलकर बने होते हैं इनमें सबसे बाहरी परत को दंत्वल्क या एनेमल (Enamel) कहते हैं।

enamel
ENAMEL (credit:- sensodyne)

ये परत दातों का सुरक्षा करती हैं एन्मेल शरीर के सबसे कठोर उतक होता है एनेमल कमजोर होने पर दात कमजोर होने लगती है।और जिसका मुख्य तत्वल कैल्शियम होता हैं यह एनेमल सफ़ेद (White) रंग का होता हैं और इसकी उपस्थित के कारण हमारे दात सफ़ेद दिखाई देते हैं।यही कारण है कि हमारे दात सफ़ेद रंग के होते हैं।

चिकित्सा के क्षेत्र में लाल प्लस के निशान का प्रयोग क्यों किया जाता हैं।

अक्सर रोजना हमारे जिंदगी में कई ऐसी चीजें होती है जिनसे हम अनजान होते हैं और बाद में हम उन्हें छोड़ देते हैं| जैसे की हम जब अस्पताल जाते है तो वहां पर हर चीजों पर रेडक्रॉस का निशान बना होता है, लेकिन उसका मतलब हममें से शायद ही किसी को मालूम होता है। तो आज हम आपको बताने वाले हैं की चिकित्सा के क्षेत्र में लाल प्लस के निशान का प्रयोग क्यों किया जाता हैं।

जैसे की आपने देखा ही होगा की जो लोग या वाहन चिकित्सा के विभागों से जुड़े होते हैं वे सभी लाल रंग के प्लस के एक चिन्ह का प्रयोग करते हैं लेकिन क्या आपने कभी इसके पीछे का कारण जानने की कोशिश की है कि, इस लाल प्लस के निशान का मतलब क्या है|

दरअसल जिस प्लस का निशान का प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता हैं वह रेडक्रॉस का संकेत है जो चिकित्सा सेवाएं के क्षेत्र में एक स्वैच्छिक संगठन है| रेडक्रॉस की मूल अंतरराष्ट्रीय समिति 1863 में, जिनेवा, स्विटजरलैंड में हेनरी डुनेंट और गुस्ताव योनियर द्वारा स्थापित की गई थी, यह संकेत हमेशा नार्सिंग होम, क्लिनिक डिस्पेंसरी अस्पतालों या एम्बुलेंस इत्यादि में पाया जाता हैं।

icrc


रेड क्रॉस का निशान देखकर बिना पढ़े लिखे भी लोग असानी से इसे जाने जाते हैं कि डॉक्टर या चिकित्सा के क्षेत्र में से जुड़े सभी आदमी इस संकेत का उपयोग करते हैं ताकि आपातकाल के स्थिति के समय उन्हें आसानी से पहचाना का सके। यही कारण है कि चिकित्सा के क्षेत्र में लाल प्लस के निशान का प्रयोग किया जाता हैं।

APNARAN

READ MORE

By Admin

Copy Protected by Chetan's WP-Copyprotect.

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Discover more from अपना रण

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading