मानव का जबसे विकास होना शुरू हुआ है चाहे वह आदिमानव का ही समय क्यो ही न हो उनमें संपर्क करने की आवश्यकता अवश्य रही होगी, नहीं तो आज मानव का जो विकास हुआ है वह संभव नहीं होता। मानव जीवित वस्तुओं में आज सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी के साथ साथ सामाजिक प्राणी भी है, ऐसे में मानव के जीवन मे। एक दूसरे से संपर्क बनाकर रखना भी बहुत आवश्यक है। एक दूसरे से संपर्क बनाए रखने के लिए उनमें मित्रतापूर्ण व्यवहार, आपसी समझ , मेल-जोल और आपसी सद्भाव का होना भी जरूरी है ताकि संपर्क करने में कोई दिक्कत या कहे बाधा न आए। कहने का तात्पर्य यह है कि जनसंपर्क वह कार्यप्रणाली है जो हमें आपस मे संचार और संपर्क करने के लिए एक मार्ग प्रदान करती है।
एक बात ध्यान रखना चाहिए कि जनसंपर्क करना कोई आसान कार्य नहीं है बल्कि यह एक कला है जिससे समाज मे चल रहे विषयों, रुखों, आपसी मतभेदों आदि को जाना जा सकता है पर यह कार्य सब नही कर सकते हैं।
जनसंपर्क का अर्थ
जन सम्पर्क में जहाँ जन का अर्थ लोग, समाज, संगठन ,क्षेत्र, समुदाय से है वही संपर्क का अर्थ आपसी मेलमिलाप या कहे मिलने से है, अर्थात जनसंपर्क का अर्थ देखें तो लोगों, संगठन, समुदाय या समाज से मिलना या संपर्क करने से है।
कुछ परिभाषाएं
पॉल डब्ल्यू गैटर के अनुसार:- जनसंपर्क मूलतः मानसिक वृत्ति एवं प्रबंधकीय दर्शन है जो जान बूझकर किसी कार्य के संपादन के लिए जनता के आत्मनिर्णय को विश्ववसनीय बनाता है।
ऑर्थर आर. रालमैन के अनुसार:- जनसंपर्क द्विपक्षीय संप्रेषण है जिसमें सहमति के आधार पर सम्पूर्ण राज्य, ज्ञान तथा पूर्ण सूचनाएं होती हैं, जिनमें अपनापन और सौहाद्र की उत्पत्ति अधिक होती है।
राजेन्द्र के अनुसार:- जनसंपर्क एक ऐसी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमे प्रयोक्ता को बहुत सजग और सतर्क रहना होता है तथा जिन पर यह प्रक्रिया प्रयोग की जाती है, उसकी मानसिकता वृत्तियां , अभिरुचियाँ , परिवेश तथा परंपराओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।
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