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लक्षद्वीप

लक्षद्वीप(Lakshadweep) , पूर्व में (1956-73) लक्कादीव, मिनीकाय और अमीनदीवी द्वीप समूह के रूप में जाना जाता था और वर्तमान में यह भारत का केंद्र शासित प्रदेश है। 

यह भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से अरब सागर के लगभग 30,000 वर्ग मील (78,000 वर्ग कि.मी.) में फैले हुए कुछ तीन दर्जन (36) द्वीपों का एक समूह है । 

इस क्षेत्र में प्रमुख द्वीप मिनिकॉय और अमिंडी समूह में हैं। 

सबसे पूर्वी द्वीप केरल राज्य के तट से लगभग 185 मील (300 कि.मी.) दूर है। इन द्वीपों में केवल दस ही द्वीपों पर आबादी है। केवल 6 द्वीपों पर ही टूरिज्म का कारोबार किया जाता है|  जिसमें केवल दो द्वीपों(अगाती और बंगाराम) पर ही विदेशी पर्यटकों को जाने की अनुमति है|

लक्षद्वीप(Lakshadweep) नाम का अर्थ मलयालम भाषा में “सौ हजार द्वीप” और संस्कृत में ‘एक लाख द्वीप‘ है । 

लक्षद्वीप(Lakshadweep) के बारे में और महत्वपूर्ण जानकारियाँ

  • इसका प्रशासनिक केंद्र कवरत्ती है । 
  • लक्षद्वीप का क्षेत्रफल 12 वर्ग मील (32 वर्ग किमी) है।
  • लक्षद्वीप(Lakshadweep) की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 64,429 थी।
  • 1956 में इन द्वीपों को मिलाकर केंद्र-शासित प्रदेश बना दिया गया और तब से इसका शासन केंद्र सरकार के प्रशासक के माध्‍यम से चल रहा है।
  • सन 1973 में लक्‍का दीव, मि‍नीकाय और अमीनदीवी द्वीपसमूहों का नाम लक्षद्वीप कर दिया गया।
  • लक्षद्वीप भारत का एकमात्र मूँगा द्वीप हैं। इन द्वीपों की श्रृंखला मूँगा एटोल है। एटोल मूँगे के द्वारा बनाया गई ऐसी रचना है जो समुद्र की सतह पर पानी और हवा मिलने पर बनती है। केवल इन्हीं परिस्थतियों में मूँगा जीवित रह सकता है।
  • लक्षद्वीप(Lakshadweep) का कुल क्षेत्रफल 32 वर्ग किलोमीटर है।
  • लक्षद्वीप की राजधानी कवस्ती है।
  • लक्षद्वीप की मुख्य भाषा मलयालम, जेसरी (द्वीप भाषा) और माहल है।
  • यहां पर कृषि में मुख्य रूप से नारियल की खेती की जाती है जहां प्रति वर्ष 580 लाक नारियल का उत्पादन होता है।
  • अगाती, बंगारम, कलपेनि, कादमत, कवरत्ती, तथा मिनिकॉय यहाँ के मुख्य पर्यटन स्थल है।
  • लक्षद्वीप पन्ना अरब सागर में स्थित है।
  • एंड्राइड द्वीप 4.90 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ लक्षद्वीप का सबसे बड़ा द्वीप है।
  • लक्षद्वीप(Lakshadweep) का जलवायु उष्ण कटिबंधीय है।
  • लक्षद्वीप का राजकीय पशु और राजकीय पक्षी सूरी टेम है।
  • लक्षद्वीप का राजकीय वृक्ष ब्रेड फ्रूट है।
  • लक्षद्वीप(Lakshadweep) में विधानमंडल नहीं है, लक्षद्वीप सर्वाधिक साक्षरता वाला संघ शासित राज्य है।

लक्षद्वीप(Lakshadweep) कैसे भारत का अभिन्न अंग बना

वास्तव में यह एक बहुत रोचक कहानी है कि लक्षद्वीप भारत गणराज्य का अभिन्न भाग कैसे बना. क्योंकि जब भारत अंग्रेजों की गुलामी से 1947 में आज़ाद हुआ. इस आज़ादी के साथ उसके दो टुकड़े भी कर दिए गए . उस समय न तो भारत को पता था कि लक्षद्वीप किसके अधिकार क्षेत्र में है और न ही नव-निर्मित देश पाकिस्तान को ही यह पता था. पता के नाम पर बस इतना ही पता था कि दोनों देश इस क्षेत्र पर अपनी हुकूमत चाहते थे लेकिन असमंजस की स्थिति में दोनों देशों के मुखाबिरों को शंका बनी हुई थी.

उस समय(1947 में) पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली की सोच यह थी कि लक्षद्वीप पर मुस्लिम की जनसंख्या ज्यादा है और भारत ने अपना दावा भी उस क्षेत्र के लिए नहीं किया है. ऐसे में क्यों न इसे पाकिस्तान में मिले लिया जाए. ठीक यही सोच भारत के तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार पटेल की भी थी. लेकिन दोनों ही देशों को यह बात असमंजस में डाल दे रही थी कि कहीं दूसरे देश ने उस द्वीप पर कब्जा न कर लिया हो.

असमंजस की स्थिति में पाकिस्तान ने जहाँ अपना एक युद्धपोत इस द्वीप पर अपना अधिकार जमाने के लिए भेजा वहीं सरदार पटेल किसी भी रूप में इस द्वीप को अपने अधिकार क्षेत्र से जाने नहीं देना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने त्रावणकोर में राजस्व कलेक्टर को निर्देश दिया कि वे तुरंत पुलिस टीम के साथ जाकर लहराएं ताकि पता चले कि वह भारत का इलाका है.

तेजी से आदेश का पालन करते हुए कलेक्टर लक्षद्वीप पहुँचे और बिना कोई विलम्ब किये भारत का तिरंगा फहरा दिया. ऐसा कहा जाता है कि इसके कुछ ही समय के बाद पाकिस्तान का युद्धपोत उस द्वीप पर पहुँचा, परंतु भारतीय झण्डा देखकर वापस पाकिस्तान चले गए. तब से लेकर अब तक यह द्वीप भारत का ही अभिन्न अंग है.

लक्षद्वीप पर भारत गणराज्य द्वारा पाकिस्तान से पहले तिरंगा फहराये जाने के चलते यह क्षेत्र भारत देश का अभिन्न अंग बन पाया. वैसे जब भारत के सैनिक वहाँ पर पहुँचे तो, उस द्वीप पर रहने वाले निवासियों को इन सब के बारे में कुछ भी नहीं पता था. सीधा कहा जाए तो वे न तो भारत के बारे में जान रहे थे और न ही पाकिस्तान के बारे में. बाद में उन्हें इसके बारे में विस्तृत जानकारी मिली जब वे अपना समान केरल बेचने आए.

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