
वकील लोगों से बहुत कुछ छिपाते है यह सच है। परंतु आपको बता दूँ कि आप किसी भी पेशेवर को देख लो तो वो सब भी कुछ ना कुछ छुपाते ही है, इस छुपाने के पीछे एक डॉक्टर, वकील या टीचर का आशय गलत भी हो सकता है और सही भी। जैसे एक डॉक्टर किसी की बीमारी लाइलाज होने पर भी उसको हिम्मत बढ़ाने के लिए कुछ तथ्य छुपा सकता है, वही कोई डॉक्टर फीस ऐंठने के लिए डराने का प्रयास भी कर सकता है।
वही एक टीचर कमज़ोर बच्चे को हिम्मत देने के लिए ये बात छुपा सकते है कि वो कमज़ोर है, वही खुद से ट्यूशन लगवाने के लालच में वे कह सकती है कि बच्चा बहुत कमजोर है इसको ट्यूशन भेजो नही तो फेल हो जाएगा।
ऊपर दिए उदाहरणों से आप समझ गए होंगे कि क्यों कभी छुपाना और कभी बताना जरूरी होता है। बस ये ही वकील भी करते है।
अब आपको सीधे समाझते हैं , कभी-कभी ऐसा क्लाइंट आता है कि उसकी हिम्मत टूटी हुई होती है वो निराश होता है, तब एक अच्छा वकील उसको हिम्मत देता है, भरोसा देता है, और उनमें पंप मारकर हवा भरने का प्रयास करता है, ताकि उसमें हिम्मत वापिस आये और वो केस को लड़ने के लिए उस वकील को चुने, तथा वकील साहब को फीस भी मिल जाए।
वही कई बार ऐसा आत्मविश्वास से भरा क्लाइंट आता है कि लगता है इसको किसी का डर ही नही, क्योंकि वो क्लाइंट सोचकर आता है कि उससे अक़्लमंद कोई नही वो गूगल से सभी जानकारियों को साथ लाता है, और वकीलो को समझाने लगता है।
अब वकील ऐसे क्लाइंट की हवा निकालते है, और क्योंकि वो वकील है कानून में महारत है तो गूगल के ज्ञान को धूल में मिलाते हुए उस क्लाइंट को इतना डराते है कि वो धरती पर रहे, और खुद को अधिक अक़्लमंद समझकर ये ना सोचे कि वो वकील हो गया है और अब वकील साहब को फीस भी क्या देनी है।
क्योंकि कोई दुनियॉ का वकील आपको 100% नही कह सकता कि कोई केस जीता जा सकता है या हारने वाला है।
अब आते है कि क्या केस के सिलसिले में भी वकील झूठी बात कहते है जबकि उनको पता होता है कि केस हारने वाले है ? तो मेरा जवाब है नही।
क्योंकि केस का ट्रायल/विचारण एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है, कब किस मोड़ पर आपको जीत मिल जाए और कब हार, ये तो भविष्य और वकील की काबलियत पर निर्भर होता है।
वैसे एक कड़वी बात आपको बताना चाहता हूँ कि क्लाइंट ऑनलाइन सलाह ले या पर्सनली मिले उसे आसान भाषा में पूरा कानून समझाकर उसकी शंकाओं और डर को निकालने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से क्लाइंट में इतनी हिम्मत आ ही जाता है कि उसको कानून का डर, कानून के ज्ञान के कारण खत्म हो जाता है।
अब वकील कहे कि वह फीस इतनी लेगा, तो क्लाइंट कहता है, वकील साहब आप ही तो कह रहे थे कि केस में कुछ नही है तुमको जेल भी नही जाना पड़ेगा, आसानी से बरी हो जाएगा।
इसके उलट मेरे साथी बहुत से वकील अच्छे है, मगर कुछ वकील इतना डराते है क्लाइंट को की उसको लगता है कि वकील साहब की मुँह मांगी फीस ना दी तो आज ही जेल हो जाएगी। ऐसे वकील तुरंत डराकर मोटी फीस वसूल लेते है, और जब कोई कानून की जानकारी मांगता भी है तो कहते है, “हमने तेरा केस लड़ने की फीस ली है तुझे कानून पढ़ाने की नही” और क्लाइंट खामोश हो जाता है।
इसलिए सच्चाई ये भी है कि आप लोग भी सच्चाई और अच्छाई को देखकर वकील को फीस नही देते बल्कि ज्यादातर डर के कारण देते हो, इसलिए ही वकील आपको डराते है।
तो अब इतनी फीस क्यों मांग रहे हो ? अब मैं क्या कहूँ कुछ समझ नही आता। इसके बाद वो क्लाइंट मोल-भाव करने की कोशिश करता है, जिससे एक सही वकील हमेसा वकालत में बचता रहता है।वहीं कई वकील इस पर राजी भी हो जाते हैं।
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