
Watergate scandal
Watergate scandal....यह मामला अमेरिका में करीब 47 साल पहले चुनाव जीतने के जद्दोजहद मे, रिचर्ड निक्सन द्वारा विपक्षियों के गतिविधियों को जानने के लिए फ़ोन टैपिंग से जुड़ा है।
वाटरगेट कांड(Watergate scandal..) नाम तब पड़ा जब , अमेरिका के राष्ट्रपति ने दोबार चुनाव जीतने के लिए अपने विपक्षी नेताओं का फ़ोन, गतिविधियों को जानने के लिए करवाया था। जिसमें वे चुनाव तो जीते पर आरोपी सिद्द हो जाने पर उन्हें अपनी राष्ट्रपति की कुर्सी त्यागनी पड़ी थी।
रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार रिचर्ड रिक्सन प्रथम बार राष्ट्रपति जनवरी 1969 में बने थे। इन्होंने शुरुआती के लगभग 2 साल के कार्यकाल को सही से चलाया। परंतु जैसे जैसे राष्ट्रपति चुनाव दोबारा नजदीक आ रहा था, वैसे वैसे चुनाव जीतने के लिए काम में दोबारा जुट गए थे, लेकिन इसी के साथ वो अपने प्रतिद्वंद्वी डेमोक्रेटिक पार्टी की तैयारी क्या चल रही है जानना चाहते थे, ताकि चुनाव के समय वह काम आ सके।
यहाँ पर निक्सन ने अपने राष्ट्रपति के पद के ताकत का इस्तेमाल करते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल डेमोक्रेटिक कमेटी ऑफिस ( WATERGATE HOTEL ) में कुछ जासूस को जासूसी करने का जिम्मा दिया।
जासूसों ने अपने काम को अंजाम देते हुए वहाँ रिकॉर्डिंग डिवाइस लगा दिया ताकि वहाँ की बातें और सूचनाएं प्राप्त हो सके। लेकिन इस डिवाइस के लगाने के कुछ दिनों बाद इसने काम करना बंद कर दिया।
जिसे दोबारा ठीक करने के लिए कुछ लोग कमेटी ऑफिस में घुसने की कोशिश की परंतु तार को सही करने के दौरान वहां पुलिस पहुँच गयी और उसने उस समय 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद यह मामला टूल पकड़ने लगा।(Watergate scandal)
इस घटना के अगले दिन अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने एक खबर छापी। जिसकी तफ़सीस , पत्रकार बॉब वुडवर्ड और कार्ल बर्नस्टीन ने की थी। इन्होंने अपने खबर के स्त्रोत के रूप में ‘ दी डीप थ्रोट’ नाम बताया पर ये है कौन इसपर जवाब देने से मना कर दिया।
डीप थ्रोट देखें तो 1972 में अमेरिका में रिलीज हुई एक अश्लील फ़िल्म थी, जिसकी उस समय हर जगह चर्चा थी। लेकिन 2005 में डीप थ्रोट के ऊपर से पर्दा उठा जिसमें पता चला कि यह कोई और नही बल्कि उस समय के FBI के डिप्टी डायरेक्टर मार्क फेल्ट थे। यह बात उस समय कोई समझ नही पाया कि आखिर इतने साल बाद इसपर से पर्दा क्यो उठाया।
मार्क फ़ेल्ट ने जिसपर कहा कि वे कई साल तक अपने किए हुए की सज़ा को लेकर डरते रहे और उन्हें यह डर सताता रहा कि उन्होंने एफ़बीआई के अधिकारी के रुप में सरकारी गोपनीयता के उल्लंघन का अपराध किया है।

मार्क फेल्ट ने यह पर्दा अपने आप ही उठाया था कि वे ही डीप थ्रोट नाम के सूत्रपात थे। वैनिटी फेयर पत्रिका में लिखे गए एक लेख में उन्होंने कहा है कि ” मै ही वह व्यक्ति हूँ जिसे डीप थ्रोट के नाम से जाना जाता था।”
वाशिंगटन पोस्ट ने लेख पर क्या कहा
वाशिंगटन पोस्ट ने मार्क फेल्ट के बयान से पहले ‘डीप थ्रोट’ की पहचान को उजागर करने से साफ साफ मना कर दिया था। परंतु डीप थ्रोट का सच सामने आने पर रिपोर्टर बॉब वुडवर्ड और कार्ल Burnstain ने कहा था कि वे रहस्य मार्क फेल्ट के मौत के बाद उजागर करते।
मार्क फेल्ट ने ही रिपोर्टरों को बताया था कि वे वाशिंगटन के वाटरगेट काम्प्लेक्स में स्थित DEMOCRATIC NATIONAL कमेटी के मुख्यालय में चोरी की जांच पड़ताल करें। जिस पड़ताल के बाद पता चला कि इस चोरी के पीछे निक्सल के समर्थकों का ही हाथ था।(Watergate scandal)
आगे की जांच में जब निक्सन के शामिल होने का पक्का सबूत मिला, तो उनके पास इस्तीफे के अलावा कोई और रास्ता नहीं रह गया और 8 अगस्त 1973 को टीवी पर आकर अपना इस्तीफा दे दिया।
निक्सन का यह(Watergate scandal) मामला अमेरिका के इतिहास में अब तक का सबसे पहला मामला था, जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने पद पर रहने के दौरान अपना इस्तीफा दे दिया हो।
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