
केदारनाथ के दर्शन करने के लिए भक्त साल भर का इंतेजार करते हैं। केदारनाथ की चढ़ाई को बेहद ही मुश्किल माना जाता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि भोले बाबा जिसे दर्शन देने की ठान लेते हैं उसे दर्शन देकर ही रहते हैं।इसी बात से जुड़ी है भगवान शिव के एक भक्त की कहानी जिसके बाद केदारनाथ को जागृत महादेव कहा जाने लगा।
केदारनाथ को ‘ जागृत महादेव ‘ कहा जाता है। इसके पीछे एक प्रसंग प्रचलित है। प्रसंग के मुताबिक , बहुत समय पहले एक शिवभक्त केदारनाथ के दर्शन करने के लिए अपने घर से पैदल ही निकल पड़ा।
केदारनाथ धाम तक पहुँचने में उसे महीने लग गए।वह भक्त जब वहाँ पहुँचा तो हैकेदारनाथ के द्वार 6 महीने के लिए बंद हो गए थे। परंपरा के मुताबिक दोबारा ये द्वार 6 महीने बाद ही खुलता। भक्त ने पंडित जी से इस बात का अनुरोध किया कि द्वार खोल दे, ताकि वह प्रभु के दर्शन कर सके। लेकिन पंडित जी ने परंपरा का पालन करते हुए द्वार को बंद ही रखा।इससे भक्त बहुत निराश हुआ और रोने लगा।
पंडित जी ने भक्त से कहा कि वह अपने घर चला जाये और दोबारा 6 महीने के बाद कपाट खुलने पर आए।लेकिन उस भक्त ने उनकी बात नहीं मानी और वहीं पट खड़ा होकर शिव की कृपा पाने की उम्मीद करने लगा।रात के समय भूख और प्यास ने उसका हाल और बुरा कर दिया।
इसी दौरान उसने रात के अंधेरे में एक सन्यासी बाबा के आने की आहट सुनी। बाबा के आने पर भक्त ने उनसे समस्त हाल कह सुनाया। बाबा ने कहा कि तुम निराश मत होना, मंदिर के द्वार जरूर खुलेंगे और तुम शिव के दर्शन जरूर करोगे। इसके कुछ समय बाद भक्त गहरी नींद में सो गया।

सुबह में जब भक्त की आंख खुली तो उसने देखा कि पंडित जी अपने मंडली के साथ केदारनाथ के द्वार खोलने की तैयारी कर रहे हैं।
भक्त ने पंडित जी को प्रणाम किया और कहा कि, आपने कहा था कि शिव जी के द्वार 6 महीने बाद खुलेंगे लेकिन इसे आप आज ही खोलने जा रहे हैं।
पंडित जी ने उस भक्त को पहचान लिया और कहा कि द्वार 6 महीने बाद ही खोले जा रहे हैं।जिसके बाद उसने समस्त घटना क्रम पंडित जी को बतलाया। पंडित जी समझ गए कि इस भक्त से उस रात स्वयं शिव जी ही मिलने आये थे। जिसके बाद केदारनाथ को ‘जागृत महादेव ‘ कहा जाने लगा।
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