
Oxygen की मात्रा का शून्य होना, पृथ्वी के विनाश का सूचक…
What is oxygen? ऑक्सीजन क्या है?
Oxygen,वायुमंडल में पाया जाने वाला एक ऐसा रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधहीन गैस है जो किसी भी जीवित वस्तु के लिए , जीवित रहने के लिए अत्यंत आवश्यक है । इसका अर्थ है ‘ अम्ल उत्पादक’। इसे ओ2 से दर्शाया जाता है। इसकी एक खास बात यह है कि यह वायुमंडल में पाए जाने वाले तत्वों की तुलना में सबसे अधिक है। इसकी मात्रा वायुमंडल में 21 फीसद है जो कि अब घटकर लगभग 20.9 रह गया है।
Why oxygen is necessary?
जिस प्रकार से प्रत्येक जीवित प्राणी जीने के लिए खाने की तरफ भागता है उसी प्रकार उसे जीने के लिए ऑक्सिजन की भी जरूरत भी पड़ती है। इसी के साथ यह औद्योगिक कार्यो में भी प्रयोग किया जाता है।
यदि कुछ समय के लिए oxygen गायब हो जाए तो क्या होगा?
कान के पर्दे पर प्रभाव
पूरे पर्यावरण(पृथ्वी पर) में ऑक्सीजन की मात्रा लगभग 21 फीसद(20.9) है। अगर कभी धरती से ऑक्सीजन लुप्त हुआ, तो यह जगह पर्यावरण में खाली हो जाएगा। जिसकी कमी के कारण हमारे आस पास मौजूद हवा का दबाव कम हो जाएगा और सारी हवाएं कम क्षेत्र के तरफ बढ़ने लगेंगीं, जिससे कान के पर्दे पर पहले इसका प्रभाव पड़ेगा और कान का पर्दा फटने की समस्या उत्पन्न हो जाएगा। जो कि अनुमान लगाया जाए (विज्ञान की तरफ से) तो यह समुद्र तल से करीब 2,000 मीटर की ऊंचाई से छलांग लगाने जैसा होगा।यह बात ध्यान रखना चाहिए कि oxygen पर्यावरण के दबाव को अनुकूल बनाने का काम करता है।
दिन में भी रात होना
हमारे पर्यावरण में धूल, ऑक्सीजन अणु ,अन्य तत्व आदि, हवा में मौजूद होते हैं, जो हवा में मौजूद प्रकाश कड़ो को परिवर्तित करने के क्षमता रखते हैं।इनकी सहायता से सूर्य की किरणों को परिवर्तित करने में सहायता मिलती है।ऑक्सीजन के विलुप्त होने का सीधा मतलब है कि प्रकाश का परिवर्तित न होना। जिसके कारण हमारा वायुमंडल कला दिखने लगता है। इसका एक प्रभाव यह भी पड़ेगा कि अगर कोई भी व्यक्ति सूर्य के रोशनी में सीधे आया तो वह टोस्ट बन जायेगा, जिसमें उसे cancer जैसी बीमारी होने की पूरी संभावना हो सकती है।
हर जीवित कोशिका जो कि जीवित है वह कट कर फट जाएगी
यह एक भ्रम है कि oxygen के विलुप्त होने पर साँस न ले पाने की वजह से मृत्यु हो जाएगी जबकि सच यह है कि इसकी अनुपस्थित में सबसे पहले जीवित कोशिका फूल कर, फट जाएगी। इसका सीधा कारण यह है कि oxygen जीव जंतु के कोशिकाओं को बाहरी प्रभाव(reaction) से बचाता है।
बिना वेल्डिंग के धातुओं के टुकड़े जुड़ जाना
वेल्डिंग के दौरान किसी वस्तु पर ऑक्सिकरण की परत को चढ़ाया जात है लेकिन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में मध्यवर्ती तरल पदार्थ का सिद्धान्त काम करना बंद कर देता है, जिससे संपर्क में आने वाले एक दूसरे तत्व नहीं चिपकते।इसे सीधे सीधे कहे तो ओ2 के अनुपस्थित में दो substance एक दूसरे से नहीं मिलते।
समुद्र का पानी भाप बनने लगेगा
पानी(h2o) दो तत्वों हायड्रोजन(h) और oxygen(ओ2)से मिलकर बना है और हमारे वायुमंडल में 33 फीसद के लगभग ऑक्सीजन है।इसके विलुप्त होने पर हायड्रोजन जो कि हल्का होता है क्षोभमंडल में पहुँच जायेगा और धीरे-धीरे पृथ्वी पर स्थित सारा हायड्रोजन अंतरिक्ष मे चला जाएगा।
पृथ्वी की ऊपरी परत(crust) धूल या टुकड़ों में परिवर्तित
पृथ्वी का ऊपरी परत 45 फीसद ऑक्सीजन से ढंका होता है, इसकी अनुपस्थिति से यह परत अपनी कठोरता को खोते चला जाएगा जिसके कारण धरती नीचे से कमजोर और गायब होने लगेगी और जीवित प्राणी इसमें गिरता जाएगा।
आंतरिक दहन का इंजन और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति
आंतरिक दहन का इंजन ऑक्सीजन पर निर्भर करते हैं, जिसके कारण वे सभी कारे और वाहन रुक जाएंगे। इसकी वजह से अंतरिक्ष मे स्थित यान, विमान ,हेलिकॉप्टर आसमान में उड़ नहीं पाएंगे और जमीन पर आकर तबाही के हथियार बन जाएंगे।
Oxygen प्रत्येक जीवित प्राणियों को जीवित रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है पर आज के इस वर्तमान युग मे,जब सब जगह विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है तो वहीं इसका पहिया ब्रेक मार रहा है जिससे यह अपनी शक्ति खोए जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि समाज के अंधाधुंध विकास में ऑक्सीजन की महत्ता को लोगों ने नजरन्दाज कर दिया है। जिस नजरअंदाज को ये पर्यावरण बखूभी समझता है, शायद इसलिए आज प्राकृतिक आपदाओं का अंबार विश्व मे लग गया है।जिसे समझना और सही करना बहुत जरूरी है।
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