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कहाँ पर स्थित है यह(Tirupati temple) मंदिर

तिरुपति(Tirupati temple) भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं। समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थिम तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्‍वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं।

तिरुपति बालाजी(Tirupati temple) का नाम कैसे पड़ा?

जिस नगर में यह मंदिर बना है उसका नाम तिरूपति है और नगर की जिस पहाड़ी पर मंदिर बना है उसे तिरूमला (श्री+मलय) कहते हैं। तिरूमला को वैंकट पहाड़ी अथवा शेषांचलम भी कहा जाता है। यह पहड़ी सर्पाकार प्रतीत होती हैं जिसके सात चोटियां हैं जो आदि शेष के फनों की प्रतीक मानी जाती हैं। इन सात चोटियों के नाम क्रमश: शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरू़डाद्रि, अंजनाद्रि, वृषभाद्रि, नारायणाद्रि और वैंकटाद्रि हैं

तिरुपति महाराज की कहानी(Tirupati temple)

प्राचीन कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार महर्षि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही उन्होनें शेष नाग शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे भगवान विष्णु को लात मारी। भगवान विष्णु ने तुरंत भृगु के पैर पकड़ लिए और कहा कि आपके पैर में चोट तो नहीं आई। इसके बाद ऋषि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप ही हैं जो इतने शांत और सहनशील हैं।

माता लक्ष्मी को ऋषि का ये व्यवहार पसंद नहीं आया और वो विष्णु जी से नाराज होकर बैकुंठ छोड़कर आ गईं। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी को खोजना शुरु किया तो पाया कि माता एक कन्या के रुप में धरती पर जन्म लिया है। भगवान विष्णु ने रुप बदला और कन्या के पास पहुंच उन्हें शादी का प्रस्ताव दिया, इसे माता ने स्वीकार कर लिया।

विवाह के लिए धन की आवश्यकता थी, इस समस्या का समाधान निकालने के लिए भगवान शिव और ब्रह्म देव को साक्षी रखकर धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया और विष्णु ने वेंकटेश रुप और देवी ने पद्मावती कन्या के रुप में विवाह किया। कुबेर से धन लेने के बाद विष्णु जी ने वचन दिया था कि कलयुग के खत्म होने तक वो सारा कर्ज चुका देंगे।

कर्ज के खत्म होने तक वो उसका सूद चुकाएंगे। भगवान के कर्ज में होने की मान्यता के कारण इस मंदिर में भक्त धन-दौलत की भेंट करते हैं। इसी के कारण ये मंदिर भारत का सबसे अमीर मंदिर माना जाता है।

बालाजी(Tirupati temple) को चढ़ाने के लिए सामग्री कहा से आती है

भगवान बालाजी के मंदिर से 23 किमी दूर एक गांव है, और यहां बाहरी व्‍यक्तियों का प्रवेश वर्जित है। यहां पर लोग बहुत ही नियम और संयम के साथ रहते हैं। मान्‍यता है कि बालाजी को चढ़ाने के लिए फल, फूल, दूध, दही और घी सब यहीं से आते हैं। इस गांव में महिलाएं सिले हुए कपड़े धारण नहीं करती हैं।

रहस्यमयी है मंदिर(Tirupati temple)

भगवान तिरुपति(Tirupati temple) जी के बाल को कहा जाता है कि वे कभी भी उलझते नहीं हैं और मूर्ति पर बाल असली हैं। यह हमेशा मुलायम रहते हैं, मान्यता है कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वहाँ भगवान खुद विराजते हैं ऐसा मंदिर में होने वाले अजीब घटनाओं से अंदाजा लगाया जाता है । स्थानीय लोगों और पुजारी की बात माने तो सब एक ही स्वर में कहते हैं कि इस मंदिर में भगवान रहते हैं।

ऐसा क्यों मानते है?

बालाजी(Tirupati temple) के मूर्ति पर अपना कान लगाया जाए तो उसके अंदर से आवाज़ आती है, आवाज समुद्र के लहरों के समान होती है, जहाँ समुद्र के लहरों के समान कोई सबको अपने मे अस्म-सात करता रहता है।

इस मंदिर की एक बात और सबको आश्चर्य में डालती है, वह यह है कि मंदिर में बालाजी की मूर्ति हमेशा पानी से भीगी रहती है जिसे भगवान का पसीना माना जाता है। जैसी शांति आप समुद्र के पास रह कर करते हैं ठीक उसी प्रकार की शांति, जब आप मंदिर में प्रवेश करेंगे आपको मिलेगी।

जब आप मंदिर के मुख्य द्वार से आगे जाएंगे तो वहाँ द्वार पर दरवाजे के बाहर एक छड़ी रखी मिलेगी। जिसके बारे में यह मान्यता है कि भगवान बालाजी की पिटाई इस छड़ी से की गई थी। जिसके कारण उनकी ठूठी पर चोट लग गयी थी। जिसके कारण उनके उस जगह पर घाव हो गया ।

ऐसे में तब से लेकर आज तक उनके सेवक हर शुक्रवार ,उनकी ठूठी पर चंदन का लेप लगाते हैं ताकि उनका घाव जल्दी भर जाए और वो स्वास्थ्य हो जाए।

मंदिर और दीपक का संबंध

भगवान बालाजी(Tirupati temple) के मंदिर में एक दीपक हमेशा जलता रहता है। जिसके बारे में कहा जाता है कि न ही इस दीपक में कभी कोई तेल डालता है और न ही किसी को दीपक जलाते हुए देखा गया है। यह दीपक वर्षों से जल रहा है पर ये दीपक कब और किसने जलाया ये अभी तक रहस्य बना हुआ है।

मूर्ति के स्थित को लेकर लोग कंफ्यूज क्यों?

इसका कारण भगवान बालाजी(Tirupati temple) के गर्भ गृह में जाकर मूर्ति को देखने पर पता चलता है। गर्भ गृह से मूर्ति देखने पर मूर्ति मध्य में स्थित दिखाई देता है पर जैसे ही आप गर्भ गृह से बाहर आते हैं और मूर्ति को देखते हैं तो मूर्ति दाएं तरफ विराजमान दिखती है, जिससे लोग कंफ्यूज हो जाते हैं।

कपूर का लेप और लक्ष्मी जी का वास

भगवान बालाजी(Tirupati temple) की मूर्ति पर खास तरह का कपूर लगाया जाता है और कहा जाता है कि ऐसा कपूर किसी पत्थर पर अगर लगा दिया जाए तो वह पत्थर चटकने लगता है लेकिन वहीं यह कपूर भगवान की प्रतिमा पर लगा दिया जाता है तो उसका कोई असर नहीं होता। लोग ऐसे दैविक शक्ति के रूप में देखते हैं।

भगवान बालाजी के द्वारा महालक्ष्मी जी का भी दर्शन होता है। भगवान बालाजी के हृदय में माँ महालक्ष्मी विराजमान रहती हैं। माता का अहसास तब होता है जब हर गुरुवार को बालाजी भगवान का स्नान करवाकर उनका श्रृंगार उतारकर उन्हें चंदन का लेप लगाया जाता है।

इसी चंदन के लेप के दौरान बालाजी भगवान के हृदय पर देवी लक्ष्मी की छवी साफ साफ उभर आती है, जिसे भक्त-गण आसानी से देख सकते हैं।

आपको बता दें कि मंदिर के वातावरण को पूरी तरह ठंडा रखा जाता है फिर भी भगवान बालाजी महाराज(Tirupati temple) को गर्मी लगती है और उनके शरीर पर पसीने की बूंदे दिख जाती हैं जिससे उनके पीठ पर नमी बानी रहती है।

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