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चाँद का टुकड़ा:-ऐसा बहुत कम ही होता है कि किसी की दुनिया उजड़ जाने पर वह उस उजड़ी दुनिया में अपना खोया आशियाना धूड़ ले, पर देखा जाए तो इनकी संख्या कम है पर कम होने के बावजूद ये कामयाब हैं। ठीक ऐसे ही थे एक्टर सुशांत सिंह राजपूत जिन्होंने कभी भी पीछे नहीं देखा, फिर चाहे अपने माँ की मृत्यु से उभरना हो या दिल्ली में मकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश करना हो, सब जगह अपने को परफैक्ट रखा और आगे भी बड़े पर पढ़ाई में न मन होने के कारण एक्टिंग लाइन में आ गए|

जहाँ इन्होंने एक विज्ञापन के ऐड साथ एक्टिंग की शुरुआत करी। इसके बाद इन्होंने कई सेरिअल्स में काम करें जिसमें किस देश में है मेरा दिल और प्रतिज्ञा ने उन्हें एक नया आयाम दिया।सन 2013 में इन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा जहाँ से इनका कारवाँ कभी नही रुका और ये आगे बढ़ते गए। पर इनको न जाने क्या तकलीफ हुई जो हमे जीने का पाठ पढ़ा कर और दिल में जगह लेकर हमें यूं तन्हा छोड़ गए।

वहीं इनका गाना “इक बारी आ भी जा यारा” न जाने क्यों इनके दर्द को बया कर रहा है. लेकिन अब राजपूत का आना संभव नहीं है पर उनकी याद में रिव्यु टीवी ऐसी पाँच फिल्में लायी है जिसे देख कर आप इनको याद रख सकते हैं…. आशा है कि हमारा ये छोटा सा प्रयास आपको अच्छा लगे।(चाँद का टुकड़ा)

2016 में M.S DHONI:THE UNTOLD STORY फ़िल्म रिलीज हुई जो कि महेंद्र सिंह धोनी के जीवनी पर बनी फिल्म है।जिसमें धोनी को अपने सपने की तरफ़ दौड़ते हुए दिखाया गया है और अब महेंद्र सिंह धोनी का नाम लेते ही राजपूत का चेहरा आँखों के सामने आकर दोनों को एक दूसरे से मिला देता है।

2019 में रिलीज हुई छिछोरे पांच ऐसे लूज़र्स की कहानी है जो फेल तो होते हैं जिंदगी में पर कभी हार नहीं मानते और अपने हर उस मुकाम तक पहुँचते हैं जहाँ का उन्होंने सपना देखा है।इस फ़िल्म में दोस्तों बुरे पल से लड़ने का हौसला दिया गया है।

2014 में रिलीज हुई फ़िल्म पीके ने राजपूत को एक नया नाम दिया जहाँ दो देश के संबंध को प्यार से सुलझाने का दृश्य व अफवाहों से दूर रहने की बात को दर्शाया गया है।

2013 में आई फ़िल्म “काई पो छे” सुशांत की पहली मूवी थी जो कि चेतन भगत के द थ्री मिस्टेक ऑफ माई लाइफ पर आधारित है। जहाँ तीन दोस्तों को धार्मिक भेदभाव, राजनेताओं, भूकंप आदि से संघर्ष करते हुए दिखाया गया है।

2019 में आई सोनचिड़िया फ़िल्म 1975 के चम्बल के बीहड़ों की कहानी है जहाँ डाकुओं का राज है। इन डाकुओं को चम्बल से निकालने के लिए पुलिस के प्रयास और भिड़न्त को दिखाया गया है।

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